ऑक्सीजन की कमी से मौत न होने वाले बयान पर सरकार पर भड़की प्रियंका गांधी
ऑक्सीजन की कमी से मौत न होने वाले बयान पर सरकार पर भड़की प्रियंका गांधी Social Media
पॉलिटिक्स

ऑक्सीजन की कमी से मौत न होने वाले बयान पर सरकार पर भड़की प्रियंका गांधी

Author : Priyanka Sahu

दिल्‍ली, भारत। देश में महामारी कोरोना की दूसरी लहर ने किस तरह आतंक मचाया था, यह तो सभी जानते ही हैं। कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमण इतना अधिक बढ़ा कि, अस्‍पताल में मरीजों के लिए जगह नहीं थी और ऑक्‍सीजन की भारी किल्‍लत भी देखी गई थी। हालांकि, अब दूसरी लहर काबू में है, लेकिन इस दौरान जो हालात थे। उसपर अभी तक राजनीति हो रही है। आज कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी का नया ट्वीट आया, जिसमें उन्‍होंने ऑक्सीजन की कमी से मौत नहीं वाले बयान पर केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा है।

प्रियंका गांधी ने बताया इस वजह से लोगों की मौत हुई :

दरअसल, अब ऑक्सीजन की कमी से एक भी मौत न होने वाले बयान पर सियासत गरमाई है और विपक्ष केंद्र की मोदी सरकार पर हमलावर है। आज बुधवार को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने अपने ट्वीट में ऑक्सीजन की कमी से मौत वाले बयान पर ये बात कही है और मौत की वजह भी बताई। उन्‍होंने ट्वीट में लिखा- "ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई": केंद्र सरकार

मौतें इसलिए हुईं-

  • क्योंकि महामारी वाले साल में सरकार ने ऑक्सीजन निर्यात 700% तक बढ़ा दिया।

  • क्योंकि सरकार ने ऑक्सीजन ट्रांसपोर्ट करने वाले टैंकरों की व्यवस्था नहीं की।

  • एंपावर्ड ग्रुप और संसदीय समिति की सलाह को नजरंदाज कर ऑक्सीजन उपलब्ध कराने का कोई इंतजाम नहीं किया।

  • अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाने में कोई सक्रियता नहीं दिखाई।

बता दें कि, इन दिनों संसद का मानसून सत्र चल रहा है। ऐसे में बीते दिन मंगलवार को राज्यसभा में सरकार से सवाल पूछा गया था कि, ऑक्सीजन की कमी की वजह से कितने मरीजों की मौत हुई ? जिस पर सरकार ने यह जवाब दिया था कि, ऑक्सीजन की वजह से एक भी मौत नहीं हुई है।

राज्यसभा में सरकार ने बताया- राज्य और केंद्र शासित प्रदेश कोरोना से होने वाली मौतों की जानकारी नियमित आधार पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को देते हैं, लेकिन किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश ने ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौत को लेकर जानकारी नहीं दी है।स्वास्थ्य मंत्रालय ने ये भी बताया कि, ''पहली लहर के मुकाबले दूसरी लहर में मेडिकल ऑक्सीजन की मांग काफ़ी बढ़ गई थी। पहली लहर में जहां 3,095 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की मांग थी, तो दूसरी लहर में यही मांग 9,000 मीट्रिक टन तक पहुंच गई थी।''

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