हाईकमान vs गहलोत गुट हुआ राजस्थान का विवाद
हाईकमान vs गहलोत गुट हुआ राजस्थान का विवाद Social Media
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हाईकमान vs गहलोत गुट हुआ राजस्थान का विवाद, इन मांगों को लेकर फंसा है पेंच

Vishwabandhu Pandey

राज एक्सप्रेस। राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के गुटों के बीच शुरू हुआ राजनीतिक विवाद अब हाईकमान बनाम गहलोत गुट बनता नजर आ रहा है। सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के विरोध में गहलोत खेमे के विधायकों के बगावती तेवरों से कांग्रेस नेतृत्व भी खासा नाराज है। विधायक दल की बैठक के लिए राजस्थान भेजे गए अजय माकन ने वापस दिल्ली आकार सोनिया गांधी से मुलाकात की और कार्रवाई के संकेत भी दे दिए हैं। वहीं दूसरी तरफ इस मुद्दे को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने की कोशिश भी हो रही है, लेकिन गहलोत खेमे की चार मांगो के चलते पेंच फंसा हुआ है। अगर कांग्रेस हाईकमान इन चार मांगो में से कोई एक मांग भी मान लेता है तो यह मुद्दा खत्म हो सकता है।

राहुल अध्यक्ष, गहलोत मुख्यमंत्री :

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित उनके समर्थकों की मांग है कि राहुल गांधी एक बार फिर से कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी संभाले और गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री बने रहे। गहलोत खुद भी भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होकर राहुल गांधी से बात कर चुके हैं, लेकिन राहुल गांधी ने अध्यक्ष बनने से इंकार कर दिया है।

गहलोत ही अध्यक्ष, गहलोत ही मुख्यमंत्री :

कांग्रेस हाईकमान के कहने पर अध्यक्ष बनने के लिए राजी हुए अशोक गहलोत के समर्थकों की मांग है कि कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद भी गहलोत को राजस्थान का मुख्यमंत्री बने रहने दिया जाए। लेकिन केरल में राहुल गांधी ने इसे सिरे से खारिज करते हुए एक व्यक्ति एक पद का नियम लागू करने की बात कही है।

उत्तराधिकारी का चयन :

गहलोत और उनके समर्थकों की मांग है कि अगर अशोक गहलोत को राजस्थान के मुख्यमंत्री पद से हटाया जाता है तो ऐसी स्थिति में उन्हें अपने उत्तराधिकारी का चयन करने का अधिकार दिया जाए। यानी गहलोत अपने ही किसी विश्वासपात्र विधायक को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं। उनकी इस बात को भी हाईकमान ने नकार दिया है।

चुनाव के बाद इस्तीफा :

गहलोत गुट की मांग है कि कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के बाद ही अशोक गहलोत इस्तीफा दें और फिर नए मुख्यमंत्री का नाम तय किया जाए। लेकिन कांग्रेस हाईकमान इस बात के लिए भी राजी नहीं हुआ, क्योंकि उन्हें पता है कि अध्यक्ष बनने के बाद अशोक गहलोत को इस्तीफा देने या अन्य किसी चीज के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है।

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