Indian National Congress
Indian National Congress Syed Dabeer Hussain - RE
पॉलिटिक्स

केवल युवाओं से कांग्रेस कैसे चलेगी

Sushil Dev, Priyanka Sahu

राज एक्‍सप्रेस। जितनी चर्चा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की होती है, उतनी ही चर्चा गांधी परिवार या कांग्रेस की भी हो जाती है। इन दिनों चौक-चौराहों से लेकर आफिस-दफ्तरों में जहां देखोंं वहां लोग ये कहते नजर आ जाएंगे कि, युवाओं को ही पार्टी की पूरी कमान दे दी जाए तो क्या कांग्रेस का कायाकल्प हो जाएगा? कांग्रेस में ऐसे सैंकड़ों अनुभवी नेता हैं, जिनके कंधे पर कभी पार्टी की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती थी। अब बेशक हाशिए पर चले गए हों, मगर इतने युवा भी तो नहीं कि, पार्टी को पूरी तरह से चला लें। कोई कहता ये वक्त कांग्रेस का नहींं तो कोई कहता है भाजपा या मोदी के आगे अब पार्टी कहीं नहीं टिकती।

युवाओं की विफलता बने सवाल :

ज्ञात हो कि, सबसे अधिक चर्चा यह है की कांग्रेस में युवाओं को पार्टी की कमान दी जानी चाहिए। विभिन्न राज्यों में युवा अध्यक्षों को नियुक्त करने या प्रभारी बनाने की बात चल रही है। कुछ दिनों पहले इसके लिए राहुल गांधी नाम सबसे ऊपर था, वह कांग्रेस के युवा नेतृत्व का चेहरा थे। पर एक के बाद एक विफलता और जिम्मेदारी छोड़ कर भागने की उनकी प्रवृत्ति ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। बड़ा सवाल तो यह भी है कि, कांग्रेस में इतने युवा नेता कहां हैं, जो पार्टी को पूरी तरह संभाल सके। भले कांग्रेस में युवाओं को तरजीह दिए जाने की बात चल रही है, लेकिन सभी युवा इसके लायक नहीं हैं। अगर होते तो लोकसभा चुनाव से पहले दिल्ली में 81 साल की शीला दीक्षित और लोकसभा चुनाव के बाद हुई पहली नियुक्ति में झारखंड में 72 साल के रामेश्वर उरांव अध्यक्ष नहीं बनाए जाते।

पुराने नेताओं का परफॉर्मेंस अच्छा :

खास बात यह है कि, जहां-जहां कांग्रेस ने युवाओं को जिम्मेदारी दी, वहां बहुत कम युवा कामयाब हो पाए, इस वजह से पार्टी की चिंता लाजिमी है। प्रदेश अध्यक्ष के तौरपर जिन नेताओं ने पिछले विधानसभा चुनावों में सफलता दिलाई है, उनमें भी युवा नेताओं के करिश्मे ज्यादा पुराने नेताओं की भूमिका अधिक रहीं। उदाहरण के तौर पर...

  • पंजाब में कांग्रेस 76 साल के कैप्टन अमरिंदर सिंह की वजह से बची।

  • मध्य प्रदेश में कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने पार्टी को सफलता दिलाई।

  • छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल कांग्रेस के काम आए।

  • कर्नाटक में भी मल्लिकार्जुन खड़गे, सिद्धारमैया, जी परमेश्वरा, वीरप्पा मोईली, डीके शिवकुमार आदि सब पुराने ही नेता हैं।

  • यहां तक कि, केरल में भी कांग्रेस का पुराना नेतृत्व ही काम आया।

  • राजस्थान में जरूर सचिन पायलट का युवा नेतृत्व सफल रहा मगर उस सफलता के पीछे भी अशोक गहलोत का ही चेहरा था।

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