राज एक्सप्रेस, भोपाल। मोदी ने दूसरे कार्यकाल में जब गृह मंत्री की कमान राजनाथ सिंह के बजाय अमित शाह को सौंपी तब ही बड़े फैसलों की सुगबुगाहट सुनाई देने लगी थी। अब यह दिख भी रहा है। अब देखना है कि, मोदी और शाह की जोड़ी अपने किस फैसले से देश को चौंकाती है।
अनुच्छेद-370 के प्रावधान को खत्म करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद अगर किसी की चर्चा सबसे ज्यादा हो रही है तो वह हैं अमित शाह। अमित शाह की छवि अब तक चाणक्य के रूप में दिखती थी, जो भाजपा को एक के बाद एक राज्य में मजबूती देता जा रहा है। मगर अमित शाह को भाजपा अब नए लौह पुरुष के तौर पर देख रही है। आर्टिकल-370 हटाने जैसा कदम उठाने के बाद भाजपा नेताओं और समर्थकों ने शाह की तुलना सरदार वल्लभ भाई पटेल से करनी शुरू कर दी। धारा-370 हटाने के फैसले पर दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता ने ट्वीट किया- मोदी फॉर 2024, शाह फॉर 2029। रविवार को खत्म हुए भाजपा सांसदों के दो दिन के अभ्यास वर्ग में वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने यहां तक कहा था कि अमित शाह में बतौर गृह मंत्री सरदार पटेल की छवि दिखती है। एक तरह से यह सही भी है। शाह ने अपनी लौह पुरुष की छवि को हर उस मौके पर साबित किया, जब कि पीएम नरेंद्र मोदी ने उन्हें किसी जिम्मेदारी के लिए चुना हो।
यूपी में 50 फीसदी से अधिक वोटों को अपने पाले में करने से लेकर बंगाल में भगवा लहराने तक शाह मजबूती से पार्टी के लिए काम करते रहे और अब जम्मू-कश्मीर पर एक ऐतिहासिक फैसले के बाद शाह ने अपने को भारतीय सियासत का एक नया लौह पुरुष साबित कर दिया। चुनाव जिताने की रणनीति बनाने में माहिर अमित शाह को चाणक्य के तौर पर पहले ही पेश कर दिया गया था। अब कश्मीर पर लिए ऐतिहासिक फैसले के बाद उनकी बोल्डनेस की भी चर्चा की जा रही है। भाजपा लोकसभा चुनाव नरेंद्र मोदी के नाम पर जीती और उसकी रणनीति का जिम्मा शाह ने संभाला था। मोदी सरकार के पहले पांच साल में शाह ने पूरा देश घूमकर लोगों की नब्ज पकड़ी, जो चुनावी रणनीति बनाने में काम आई। पहले से भी ज्यादा बहुमत से भाजपा सरकार की वापसी हुई और शाह ने सबसे अहम गृह मंत्रलय की जिम्मेदारी ली। दिलचस्प है कि ओरिजिनल लौह पुरुष यानी सरदार पटेल भी देश के गृह मंत्री रहे। सरकार सहित पार्टी में सभी अहम नियुक्तियों में मोदी और शाह, दोनों की सहमति जरूरी मानी जाती है।
विरोधी भी मानते हैं कि, शाह सदन में हर सवाल का जवाब देने को तैयार रहते हैं। उनकी रणनीति थी कि सरकार बहुमत न होने के बावजूद अहम बिल पास करा ले गई। जिस तरह दूसरी पार्टी के सांसद लगातार भाजपा में शामिल होते जा रहे हैं, वह भी शाह के मैनेजमेंट का ही नमूना है। अमित शाह का जिस तरह का उपयोग प्रधानमंत्री मोदी ने किया है, उसकी झलक अब दिख रही है। मोदी ने दूसरे कार्यकाल में जब गृह मंत्री की कमान राजनाथ सिंह के बजाय अमित शाह को सौंपी तब ही बड़े फैसलों की सुगबुगाहट सुनाई देने लगी थी। अब यह दिख भी रहा है। अब देखना है कि मोदी और शाह की जोड़ी अपने किस फैसले से देश को चौंकाती है।
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