कर्नाटक में हारी भाजपा
कर्नाटक में हारी भाजपा Syed Dabeer Hussain - RE
राज ख़ास

धुआंधार प्रचार के बावजूद कर्नाटक में हारी भाजपा, जानिए भाजपा की हार के पांच बड़े कारण

Priyank Vyas

Karnataka Election Results : हिमाचल प्रदेश के बाद अब कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भी भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा है। चुनाव में कांग्रेस ने एक तरफा अंदाज में जीत दर्ज की है। इस जीत से कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जश्न का माहौल है, वहीं भाजपा में निराशा का माहौल है। पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह सहित भाजपा के तमाम बड़े नेताओं द्वारा धुआंधार प्रचार करने के बावजूद चुनाव में मिली हार बीजेपी के लिए बड़ा झटका है। तो चलिए जानते हैं कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार के पांच बड़े कारण क्या रहे।

भ्रष्टाचार

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने कर्नाटक की बसवराज बोम्मई सरकार में हुए भ्रष्टाचार के मुद्दे को खूब भुनाया। कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर 40 फीसदी कमीशन लेने का आरोप लगाया। भ्रष्टाचार के मुद्दे के चलते बोम्मई सरकार की छवि लोगों के बीच खराब हुई। उनके एक मंत्री को इस्तीफा देना पड़ा तो एक विधायक को जेल जाना पड़ा। भाजपा के पास कांग्रेस के इस आरोप का कोई जवाब नहीं था।

स्थानीय चेहरा नहीं

भाजपा ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव प्रधानमंत्री मोदी को आगे करके लड़ा था। इसका कारण यह है कि येदियुरप्पा के बाद भाजपा के पास कर्नाटक में कोई बड़ा चेहरा नहीं है। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई का इतना बड़ा जनाधार नहीं है कि वह पार्टी को जीत दिला सके। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के पास डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया जैसे दो मजबूत नेता हैं।

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सत्ता विरोधी लहर

कर्नाटक के विधानसभा चुनावों में सत्ता विरोधी लहर का इतिहास रहा है। यहां कोई भी पार्टी साल 1985 के बाद से अपनी सरकार रिपीट नहीं कर पाई है। ऐसे में देखा जाए तो चुनाव में भाजपा सत्ता विरोधी लहर को खत्म नहीं कर पाई।

आंतरिक कलह और बगावत

इस चुनाव में भाजपा के आंतरिक कलह ने भी उसे खूब नुकसान पहुंचाया। पार्टी के अंदर कई गुट बने हुए थे। वहीं रही सही कसर टिकट बंटवारे की गड़बड़ी ने पूरी कर दी। कई भाजपा नेताओं ने टिकट ना मिलने के चलते पार्टी छोड़ दी। भाजपा के बागी नेताओं ने चुनाव में पार्टी को बड़ा नुकसान पहुंचाया।

नहीं चला हिंदुत्व कार्ड

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जमकर हिंदुत्व कार्ड खेला। चाहे वह हिजाब का मामला हो या फिर बजरंग दल को बजरंग बली से जोड़ने की कोशिश हो, भाजपा ने चुनाव में इसे खूब मुद्दा बनाया। हालांकि चुनाव परिणाम से स्पष्ट है कि कर्नाटक में भाजपा का यह दांव बिल्कुल काम नहीं आया।

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