💬  Whatsapp :  कोर्ट के रुख से साफ है भारत में वाट्सएप की नहीं चलने वाली
💬 Whatsapp : कोर्ट के रुख से साफ है भारत में वाट्सएप की नहीं चलने वाली Social Media
राज ख़ास

💬 Whatsapp : कोर्ट के रुख से साफ है भारत में वाट्सएप की नहीं चलने वाली

Author : राज एक्सप्रेस

संदेश सेवा प्रदाता कंपनी वाट्सएप ने जैसे ही गोपनीयता नियमों में बदलाव की घोषणा की, स्वाभाविक ही उसे लेकर विरोध के स्वर फूट पड़े। जैसे-तैसे कंपनी ने घोषणा की कि वह अपने नियम लागू करने की अवधि को आगे बढ़ा रही है। मामले में सरकार ने भी दखल दिया। लेकिन अब पूरा विवाद सुप्रीम कोर्ट की चौखट पर है। कोर्ट भी इस मामले में गंभीर दिख रही है। मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने वॉट्सएप से कहा कि आपकी नई प्राइवेसी के बाद भारतीय लोगों में निजता को लेकर काफी आशंकाए हैं। चीफ जस्टिस एसए बोबड़े ने कहा कि आप भले ही खरबों डॉलर की कंपनी होंगे, लेकिन लोगों के लिए निजता का मूल्य पैसों से ज्यादा है। चीफ जस्टिस ने इस प्राइवेसी पॉलिसी को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर वॉट्सएप, फेसबुक और केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। अदालत ने वरिष्ठ वकील श्याम दीवान की उस दलील का भी समर्थन किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत में डेटा प्रोटेशन को लेकर कोई कानून नहीं है।

चीफ जस्टिस बोबड़े की बेंच ने एक सुर में कहा कि ऐसा कानून प्रभाव में लाना चाहिए। बता दें कि वॉट्सएप नई प्राइवेसी के तहत भारतीयों का डेटा शेयर करेगा। इस डेटा शेयरिंग को लेकर भारतीयों में कई आशंकाएं हैं। वॉट्सएप यूजर जो भी कंटेंट अपलोड, सबमिट, स्टोर, सेंड या फिर रिसीव करते हैं, कंपनी उसका इस्तेमाल कहीं भी कर सकती है। कंपनी उस डेटा को शेयर भी कर सकती है। यह पॉलिसी आठ फरवरी 2021 से लागू होनी थी, लेकिन विवाद बढऩे के बाद डेडलाइन को बढ़ाकर 15 मई कर दिया गया है। पहले दावा किया गया था कि अगर यूजर इस पॉलिसी को एग्री नहीं करता है तो वह अपने अकाउंट का इस्तेमाल नहीं कर सकेगा। हालांकि, बाद में कंपनी ने इसे ऑप्शनल बताया था। हाल ही में सरकार ने सोशल मीडिया पर किसान आंदोलन के बारे में फेक न्यूज, आपत्तिजनक और हिंसा भडक़ाने वाले कंटेंट को लेकर नाराजगी जताई थी।

राज्यसभा में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था, हम सोशल मीडिया का सम्मान करते हैं। इसने आम लोगों को ताकत दी है। डिजिटल इंडिया प्रोग्राम में भी सोशल मीडिया की भूमिका काफी अहम है, लेकिन अगर इससे फेक न्यूज और हिंसा को बढ़ावा मिलता है तो हम कार्रवाई करेंगे। फिर वो ट्विटर हो या कोई प्लेटफार्म। हाल के वर्षों में जिस तरह इस गोपनीयता का कुछ शरारती तत्वों ने बेजा इस्तेमाल किया है, अफवाहें फैलाने, गलत सूचनाएं प्रसारित करने और भीड़ को भडक़ाने, किसी का चरित्र हनन या उसका अपमान करने वाले संदेश परोसने आदि में वे कामयाब होते रहे हैं, उसे देखते हुए इस माध्यम को अनुशासित करने की मांग भी खूब उठती रही है। इस लिहाज से देखें, तो वाट्सएप की नई शर्तें कुछ हद तक मनमानियों पर लगाम लगाने में कारगर साबित हो सकती हैं। मगर अभी भारतीयों की जो शंका है, उसका निराकरण होना जरूरी है।

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