Delhi Excise Policy case
Delhi Excise Policy case  Raj Express
राज ख़ास

ऐसी नीति जिसकी वजह से पूरी 'सरकार' ही पहुंच गई सलाखों के पीछे, आइए जानते हैं क्या थी Excise Policy

Author : gurjeet kaur

हाइलाइटस :

  • बड़े शराब कारोबारियों से रिश्वत लेने का आरोप।

  • GOM के चेयरमैन थे डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया।

  • नई नीति से 3200 करोड़ रुपए का लाभ होने का दावा ।

राज एक्स्प्रेसनवंबर 2021, दिल्ली में मुख्यमंत्री केजरीवाल की सरकार ने नई उत्पाद शुल्क नीति लागू की। यह नीति एक एक्सपर्ट कमेटी की अनुशंसाओं पर आधारित थी। नवीन उत्पाद शुल्क नीति पर शुरुआत से ही कई आरोप लगाए गए। कहा गया था कि, नई नीति के जरिए दिल्ली सरकार कुछ बड़े शराब माफियाओं को लाभ पहुंचाना चाहती है। इसके बाद अब साल 2024 तक इस नीति के लूप होल्स के चलते सीएम केजरीवाल समेत उनकी कैबिनेट के कुछ मंत्री जेल और कुछ हिरासत में हैं। यही नहीं इस मामले में तेलंगाना के पूर्व सीएम KCR की बेटी के. कविता भी इस समय ईडी की हिरासत में हैं। इस तरह दिल्ली सरकार ही इस नीति के चलते सलाखों के पीछे पहुंच गई। जानते हैं क्या है दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति से जुड़े घोटाले का मामला...।

पहले समझते हैं, क्या है उत्पाद शुल्क ? :

सरकार चलाने के लिए धन की जरुरत होती है। सरकार कोई व्यवसाय नहीं करती इसकी आय का महत्वपूर्ण स्त्रोत टैक्स होता है। उत्पाद शुल्क भी एक तरह का इनडायरेक्ट टैक्स है जिसे सरकार द्वारा वस्तुओं और सेवाओं के विनिर्माण और उपयोग पर लगाया जाता है। इसकी उगाही कस्टमर्स से नहीं की जाती बल्कि उत्पाद में ही शामिल होती है।

केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में नई उत्पाद शुल्क नीति लागू करने का फैसला लिया था। दिल्ली सरकार का कहना था कि, क्योंकि मौजूदा नीति काफी पुरानी और पेंचीदा है इसलिए दिल्ली में एक नई उत्पाद शुल्क नीति लागू की जाएगी। इस नीति से न केवल सरकार के खजाने में बढ़ौतरी होगी बल्कि, कस्टमर एक्सपीरियंस भी अच्छा होगा।

नई उत्पाद शुल्क नीति लागू करने के लिए आप सरकार ने 4 सितम्बर 2020 को एक कमेटी का गठन किया। इस कमेटी के अध्यक्ष एक्साइज कमिश्नर थे। समिति के अन्य सदस्यों में डिप्टी एक्साइज कमिश्नर और अतिरिक्त कमिश्नर थे। इस कमेटी को विचार करने के लिए पांच बिंदु दिए गए थे।

  • राज्य की एक्साइज ड्यूटी रेवेन्यू को कैसे बढ़ाया जाए

  • शराब शुल्क निर्धारण को सरलीकृत कैसे किया जाए।

  • शराब कारोबारियों द्वारा शराब शुल्क चोरी को कैसे रोका जाए।

  • सभी तक शराब की सुलभ पहुँच को कैसे सुनिश्चित किया जाए।

  • आधुनिक समय के अनुसार नई नीति।

इस समिति ने अपनी रिपोर्ट 31 अक्टूबर 2020 को सौंपी। दिसम्बर 2020 में यह रिपोर्ट पब्लिक डोमेन में सार्वजनिक की गई। 14671 फीडबैक लिए गए। इसके बाद 5 सितम्बर 2021 को कैबिनेट की मीटिंग हुई जिसमें एक ग्रुप ऑफ़ मिनिस्टर बनाया गया। इस GOM को समिति की रिपोर्ट और 14671 फीडबैक ध्यान में रखते हुए इसका इम्लीमेन्टेशन प्लान तैयार करना था। यहीं से असली कहानी शुरू होती है......।

इस GOM के चेयरमैन थे डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया। GOM में शामिल अन्य मंत्रियों में स्वास्थ और अर्बन डेवलपमेंट मिनिस्टर सत्येंद्र जैन, मिनिस्टर ऑफ लॉ एंड रेवेन्यू कैलाश गहलोत शामिल थे। इस समिति ने सभी रिकमंडेशन्स को स्वीकार कर लिया। इस तरह दिल्ली में नई उत्पाद शुल्क नीति को लागू किया गया। यहां से आरोप लगने शुरू हुए कि, यह नीति कुछ बड़े शराब कारोबारियों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाई गई है।

नई उत्पाद शुल्क नीति के तहत दिल्ली में कुल 849 लिकर वेंड्स की बोली लगनी थी। 32 ज़ोन में डिवाइड दिल्ली के हर जोन में अधिकतम 27 वेंड्स की बोली लग सकती थी। इस नीति का उद्देश्य शराब व्यापार से सरकार का हस्तक्षेप कम कर पूरी तरह प्राइवेट हाथों को इस क्षेत्र की जिम्मेदारी देना था। नीति को लागू करते समय दिल्ली सरकार ने कहा था कि, इस नीति से 3200 करोड़ रुपए का लाभ होगा। सरकार का रोल शराब बिक्री से पूरी तरह खत्म करने से इस क्षेत्र में एफिशिएंसी भी आएगी।

क्या आरोप लगाए गए :

इस नीति के इम्प्लीमेंटेशन के बाद आरोप लगाए गए कि, नई नीति के चलते शराब व्यापार से सरकार का नियंत्रण पूरी तरह खत्म हो गया। सामाजिक और धार्मिक संगठन भी इस नीति से खुश नहीं थे क्योंकि इसके चलते शराब दुकानों की संख्या बढ़ गई थी। इसके अलावा इसे कोविड महामारी के समय लागू किया गया था। विपक्षी दलों का कहना था कि, नीति निर्धारण प्रक्रिया में उन्हें शामिल नहीं किया गया।

सभी आरोपों में सबसे गंभीर आरोप था आम आदमी पार्टी द्वारा बड़े शराब कारोबारियों से रिश्वत लेने का आरोप। दिल्ली सरकार में उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों ने इस नीति के कई लूप होल्स और सरकार के खजाने को नुकसान होने का उल्लेख करती एक रिपोर्ट दिल्ली के उपराज्यपाल को सौंपी। इसी दौरान बढ़ते विरोध को देखते हुए दिल्ली सरकार ने इस नई उत्पाद शुल्क नीति को वापस ले लिया।

दिल्ली उपराज्यपाल को सौंपी गई रिपोर्ट में बताया गया था कि, नई उत्पाद शुल्क नीति, GNCTD एक्ट 1991, ट्रांजेक्शन बिजनेस रूल 1993, दिल्ली एक्साइज 2009 और 2010 का उल्लंघन हैं। इस नीति के चलते सरकारी खजाने को नुकसान हुआ है। इसके बाद तमाम आरोपों की जांच के लिए दिल्ली के उप राज्यपाल ने सीबीआई जांच के आदेश दिए। सीबीआई की जांच के दौरान प्रवर्तन निदेशालय ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत जांच शुरू की। इस मामले में अब तक 245 जगह पर तलाशी की गई है। कई शराब कारोबारी ईडी की हिरासत में हैं।

ईडी ने जनवरी 2023 में दिल्ली, हैदराबाद, चेन्नई सहित देश भर में कई स्थानों पर तलाशी ली। मुंबई और अन्य जगहें, विभिन्न व्यक्तियों के खुलासे के बाद जब्त किए गए रिकॉर्ड के विश्लेषण के बाद, हेरफेर का खुलासा हुआ था। इस मामले में छह अहम आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। जिनमें विजय नायर, समीर महंद्रू, अमित अरोड़ा, सरथ रेड्डी, बेनॉय बाबू और अभिषेक बोइनपल्ली शामिल थे। इन लोगों के ठिकानों से ईडी ने कई करोड़ रुपए भी बरामद किये थे।

उत्पाद शुल्क नीति के बारे में अहम बिंदु :

  • नई शराब नीति के तहत शराब की 100 प्रतिशत बिक्री पूरी तरह प्राइवेट हाथों में दे दी गई। पहले 60 प्रतिशत बिक्री आबकारी विभाग के अंतर्गत होती थी। 40 प्रतिशत बिक्री पर ही निजी ठेकों का कंट्रोल था।

  • शराब बिक्री को पूरी तरह प्राइवेट कर देने से सरकार का शराब शुल्क निर्धारण में रोल भी शून्य हो गया। इसके चलते दुकानदार मनमानी करने लगे। जानकारी के अनुसार केवल 25 प्रतिशत छूट देने की इजाजत थी लेकिन कई जगह 50 प्रतिशत तक छूट दी गई।

  • नई शराब नीति के पहले L- 1 लाइसेंस फीस 25 लाख रुपए थी जो बढ़ाकर 5 करोड़ रुपए कर दी गई। इससे छोटे दुकानदार मार्केट से आउट हो गए। अब मार्केट पर केवल बड़े शराब कारोबारियों का कंट्रोल था।

आरोप लगाए गए कि, दिल्ली सरकार ने शराब नीति को ऐसे डिजाइन किया कि, बड़े कारोबारियों को लाभ हो। इसके लिए बड़े शराब कारोबारियों द्वारा आप नेताओं को 100 करोड़ रुपए की रिश्वत का अग्रिम भुगतान भी किया गया। इस रिश्वत का उपयोग आम आदमी पार्टी ने गोवा चुनाव के दौरान किया। इन सभी आरोपों की जांच ईडी कर रही है। इस मामले में मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन, बीआरएस नेता के. कविता और अब सीएम अरविन्द केजरीवाल भी सलाखों के पीछे हैं। सभी आरोपों को नकारते हुए आप ने गिरफ्तारियों को राजनीति से प्रेरित बताया है।

मामले में नया ट्विस्ट :

मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद आम आदमी पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी पर कई आरोप लगाए। आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि, 'BJP ने स्कैम के सरगना से इलेक्टोरल बांड के जरिए लिए 55 करोड़ रुपए लिए हैं। हम आरोप नहीं बल्कि सबूत पेश कर रहे हैं।' दरअसल, चुनाव आयोग द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों से पता चला है कि भाजपा को दिल्ली शराब नीति मामले में एक अनुमोदनकर्ता सरथ रेड्डी से 52 करोड़ रुपये के चुनावी बांड का 66 प्रतिशत प्राप्त हुआ। ये इलेक्टोरल बांड सरथ चंद्र रेड्डी की कंपनी अरबिंदो फार्मा द्वारा खरीदे गए थे, जिन्हें शराब नीति मामले में गिरफ्तार किया गया था, इसके एक साल बाद वह सरकारी गवाह बन गए थे।

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