मप्र में कारोबारी सुगमता होगी अव्वल
मप्र में कारोबारी सुगमता होगी अव्वल Syed Dabeer Hussain - RE
राज ख़ास

मप्र में कारोबारी सुगमता होगी अव्वल

Author : राज एक्सप्रेस

राज एक्सप्रेस। मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व में प्रदेश सरकार लगातार यह प्रयास कर रही है कि कारोबारी सुगमता में निरंतर सुधार हो और प्रदेश में नया निवेश आता रहे। उनका यह सोचना है कि नागरिक सेवाओं की तरह कारोबारियों की समस्याओं की सुनवाई भी जल्द से जल्द हो। मुख्यमंत्री कमलनाथ के 9 माह के कार्यकाल में ही मध्यप्रदेश तमाम मानकों पर देश के दूसरे प्रदेशों पर भारी पड़ रहा है।

मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार जो कहती है, वह करती है। इंदौर में 18 अक्टूबर को होने जा रहे मैग्नीफिसेंट एमपी में आने वाले औद्योगिक घरानों और उद्योगपतियों के लिए सरकार ने इस तरह से तैयारियां की हैं कि उन्हें निवेश के बाद मप्र में किसी भी तरह की दिक्कतों का सामना न करना पड़े। मप्र में बदलाव के वादे के साथ सत्ता में आई कमलनाथ सरकार देश की ऐसी पहली सरकार है, जिसने उद्योगों की समस्याओं के हिसाब से उद्योग नीति को मूर्तरूप दिया है। सरकार हर उद्योग के अनुसार सुविधाएं दे रही है। कमलनाथ सरकार का विजन मध्यप्रदेश को विकसित राज्यों की कतार में लाना है। इसके लिए सरकार ने उद्योगों को श्रेणियों में बांटा, फिर उनकी समस्याएं ढूंढी और फिर उनके निराकरण की उम्दा कोशिश की। उद्योगों के प्रति कमलनाथ सरकार का यह एजेंडा देश में शायद ही कहीं देखने को मिले।

कहा जाता है कि, कारोबारी सुगमता वह चाबी है जो प्रदेश में निवेश और उद्यमिता के ताले को खोल कर औद्योगिक गतिविधियों में इजाफा कर सकती है। इस पहल से एक ओर जहां कारोबारियों की राह आसान होगी, वहीं बढ़ती गतिविधियों से पनपे नए रोजगार युवाओं को बेहतर भविष्य देंगे। किसी प्रदेश में होने वाला निवेश काफी हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि कारोबारियों के लिए वहां कारोबार करना कितना आसान है। कारोबारी सुगमता में उस प्रदेश की स्थिति इसका सटीक आंकलन देती है। मध्यप्रदेश इस मामले में देश के अन्य प्रांतों से आगे है। यही कारण है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व में प्रदेश सरकार लगातार यह प्रयास कर रही है कि कारोबारी सुगमता में निरंतर सुधार हो और प्रदेश में नया निवेश आता रहे। उनका यह सोचना है कि नागरिक सेवाओं की तरह कारोबारियों की समस्याओं की सुनवाई भी जल्द से जल्द हो। मुख्यमंत्री कमलनाथ के 9 माह के कार्यकाल में ही मध्यप्रदेश तमाम मानकों पर देश के दूसरे प्रदेशों पर भारी पड़ रहा है।

हाल ही में विश्व बैंक और उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) की ओर से तैयार रिपोर्ट में कहा गया है कि कारोबारी सुगमता के मामले में मध्यप्रदेश चुनिंदा राज्यों में शामिल है। कारोबारी प्रस्तावों के क्रियान्वयन लिए जारी मानकों के अनुसार प्रदेश का अनुपालन 95 प्रतिशत है। कमलनाथ सरकार ने कारोबारी सुगमता में बढ़ोत्तरी करने के लिए नए तरीके अपनाए हैं जिनके सकारात्मक परिणाम भी हमें देखने को मिल रहे हैं। प्रदेश सरकार अपने इन्वेस्ट पोर्टल के जरिए संभावित निवेशकों को एकल खिड़की निस्तारण प्रदान कर रही है। कमलनाथ के राज में मध्यप्रदेश में निवेश के इच्छुक कारोबारियों को अब विभिन्न विभागों के चक्कर काटने की आवश्यकता नहीं है। अब वे एक ही स्थान पर संपर्क करके तमाम मंजूरियां, भूमि आवंटन और जरूरी रियायतें आदि हासिल कर सकते हैं। इतना ही नहीं आगे चलकर परियोजना के विस्तार या नवीनीकरण का काम भी यहीं से हो सकता है। वर्तमान में 8 विभागों की 32 सेवाओं का लाभ इन्वेस्ट पोर्टल के माध्यम से लिया जा सकता है।

मध्यप्रदेश में ऐसे अनेक कारक हैं जिनकी बदौलत वह निवेशकों की पहली पसंद बना हुआ है। मध्यप्रदेश में औद्योगिक भूमि प्रचुर मात्रा में मौजूद है। इंदौर के निकट पीथमपुर, भोपाल के निकट मंडीदीप, ग्वालियर के निकट मालनपुर इंडिस्ट्रयल एरिया के अलावा भी प्रदेश के विभिन्न जिलों में लैंड बैंक बनाये गये हैं जिन्हें जरूरत पड़ने पर कारोबारियों को आवंटित किया जा सकता है। मप्र औद्योगिक विकास निगम के पास कुल मिलाकर 1.20 लाख एकड़ जमीन तक उपलब्ध है। बीते कुछ समय में विभाग ने 650 से अधिक लैंड पार्सल कारोबारियों को आवंटित किए हैं। मध्यप्रदेश सरकार उद्यमियों को बहुत बड़ी तादाद में पूंजीगत रियायतें भी प्रदान कर रही है। प्रदेश में फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने वाले कारोबारी हों या स्टार्ट अप और एसएमई कारोबारी, मप्र सरकार उन्हें विभिन्न बुनियादी सुविधाओं के लिए पूंजीगत रियायत प्रदान करती है। विभिन्न उपक्रम लगाने वालों को स्टैंप शुल्क में मुक्ति और निशुल्क बिजली उपलब्ध कराने का प्रावधान भी प्रदेश सरकार ने किया है। उद्योगों को मूल निवेश राशि के 10 प्रतिशत से लेकर 40 प्रतिशत तक की छूट प्रदान की जाती है। वृहद श्रेणी के उद्योगों के लिए यह राशि 10 प्रतिशत और छोटे उद्योगों के लिए 40 प्रतिशत है।

सरसरी तौर पर देखने पर यह लग सकता है कि सरकार ये सारी रियायतें तो कारोबारियों को दे रही है, भला इससे आम जनता का क्या भला हो सकता है? कारोबारी सुगमता का सीधा संबंध प्रदेश की आम जनता से है। प्रदेश में निवेश समर्थक और कारोबार की अहमियत समझने वाली सरकार हो तो रोजगार की स्थिति में सुधार होता है। प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बीते कुछ दिनों में देश के शीर्षस्थ कारोबारियों के साथ मुलाकात कर उन्हें मध्यप्रदेश में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया और इन कारोबारियों में रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी और शापूरजी पालोनजी समूह के साइरस मिस्त्री समेत देश के तमाम बड़े उद्यमी शामिल थे। इन उद्यमियों ने प्रदेश में बड़े पैमाने पर निवेश की इच्छा भी जताई है। यह निवेश जब जमीन पर उतरेगा तो प्रदेश के आर्थिक विकास को तो गति मिलेगी ही, स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेंगे। प्रदेश सरकार ने निजी उद्यमों में मिलने वाले रोजगार में स्थानीय लोगों को 70 फीसदी आरक्षण देने की घोषणा भी की है।

मुख्यमंत्री कमलनाथ अपने वक्तव्यों में बार-बार यह दोहराते रहे हैं कि उद्योगों को बढ़ावा देना, प्रदेश में रोजगार के अवसर तैयार करना तथा प्रदेश की श्रम शक्ति को कुशल बनाना उनकी प्राथमिकता में है। ऐसे में अगर कारोबारी सुगमता के माध्यम से कारोबार के अनुकूल माहौल तैयार होता है तो इसमें सभी का हित है। भूमि आवंटन से लेकर श्रम सुधारों तक और राजस्व सुधार से लेकर विभिन्न क्षेत्रों में दी जा रही सब्सिडी तक प्रदेश कारोबारी सुगमता के साथ लगातार आगे बढ़ रहा है। देश की हृृदयस्थली होने के नाते मध्यप्रदेश एक विशिष्ट हैसियत रखता है। यहां होने वाला निवेश राज्य के सकल घरेलू उत्पाद को तो मजबूत करेगा ही, रोजगार के अवसरों के साथ ग्रामीण और अर्धशहरी इलाकों में रहने वाले लोगों की क्रयशक्ति में भी बढ़ोत्तरी करेगा। मौजूदा वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में यह बात कम मायने नहीं रखती।

मध्यप्रदेश देश के बिल्कुल बीच में होने के कारण कई वजहों से संपन्न है। यह प्रदेश सड़क, रेल और वायु मार्ग से जुड़ा है। जमीन, पानी और बिजली की भी समस्या अब दूर हो चुकी है। लिहाजा, प्रदेश में कारोबार करने आने वाले उद्योगपतियों के लिए यह बेहतर प्रवास होगा। मध्यप्रदेश सरकार उद्योगों के लिए वह सारे रास्ते खोल रही है, जो अब तक दूसरे किसी राज्य में नहीं हैं। मुख्यमंत्री कमलनाथ चूंकि खुद भी औद्योगिक घराने से हैं, इसलिए उन्हें यह भलीभांति पता है कि उद्योग शुरू करते समय किस तरह की दिक्कतों से जूझना पड़ता है।

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