अपाचे ने भारत को दी ताकत
अपाचे ने भारत को दी ताकत PANKAJ BARAIYA - RE
राज ख़ास

अपाचे ने भारत को दी ताकत

Author : राज एक्सप्रेस

"पिछले कुछ वर्षों में भारतीय वायु सेना के मिग विमान जिस तेजी से दुर्घटनाग्रस्त होते रहे हैं उससे यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि आखिर कब तक हमारी सेना इन पुराने विमानों के सहारे दुश्मन से लोहा लेगी !अब वायु सेना को इसी माह फ्रांस से रफाल की पहली खेप भी मिलने वाली है। निश्चित रूप से इस कामयाबी के बाद दुश्मन भारत की तरफ आंख नहीं दिखा पाएंगे।"

राज एक्सप्रेस। बदलते दौर में जैसी गंभीर सामरिक चुनौतियां सामने आ रही हैं और लड़ाई के तौर-तरीके बदल रहे हैं, उसे देखते हुए अत्याधुनिक हथियारों और साधनों की जरूरत भी बढ़ी है। ऐसे में हमारी सेना के आधुनिकीकरण की महत्ता से इंकार नहीं किया जा सकता। भारतीय वायु सेना के इतिहास में मंगलवार को उस वक्त नया अध्याय जुड़ गया जब उसने दुनिया के सबसे आधुनिक लड़ाकू हेलीकॉप्टर- अपाचे एएच-64 ई को अपने बेड़े में शामिल कर लिया।

अमेरिका से खरीदे गए इन हेलीकाप्टरों को पठानकोट के वायुसैनिक अड्डों पर तैनात किया गया है। यह इलाका पाकिस्तान की सीमा के सबसे करीब है। फिलहाल भारत को 8 अपाचे मिले हैं। इन हेलीकॉप्टरों की खरीद के लिए भारत ने 2015 में अमेरिका के साथ करार किया था।हालांकि वायु सेना को इन हेलीकॉप्टरों की जरूरत कई सालों से थी। सेना के लिए जरूरी साजो-सामान खरीदने में इस तरह की देरी सेना को कमजोर ही करती है। आज मिस्र, ग्रीस, इंडोनेशिया, इजराइल, कुवैत, नीदरलैंड, कतर, सऊदी अरब और सिंगापुर सहित दुनिया के 15 देशों के पास अपाचे हैं। इन देशों के मुकाबले तो भारत की सामरिक जरूरतें कहीं ज्यादा बड़ी हैं।

भारत को सबसे बड़ी चुनौती अपने दो पड़ोसियों पाकिस्तान और चीन से है। हाल में पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ जिस तरह का हमलावर रुख अपनाया हुआ है और बार-बार युद्ध की धमकियां दे रहा है, उसे देखते हुए जरूरी है कि हमारी वायु सेना अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों और हेलिकॉप्टरों से सुसज्जित हो। हालांकि भारत अपनी ओर से युद्ध से बचने की नीति पर चलने वाला देश है, लेकिन दुश्मन के हमले का जवाब देने के लिए सेना का मजबूत होना जरूरी है। वायु सेना के बेड़े में अपाचे के शामिल होने से सेना की मारक क्षमता काफी बढ़ेगी।

अपाचे दुश्मन को करारा जवाब देने के लिए काफी है। यह एक मिनट में 128 लक्ष्यों पर निशाना साध सकता है और एक साथ सोलह टैंकरोधी मिसाइलें छोड़ने में सक्षम है। इसमें नीचे की ओर लगी राइफल में एक साथ 12 सौ गोलियां भरी जा सकती हैं। दो इंजनों वाले अपाचे की रफ्तार तो ज्यादा है ही, यह लगातार तीन घंटे उड़ान भर सकता है और कुछ ही मिनटों में दुश्मन के ठिकानों को तबाह कर सकता है। इसे किसी रडार पर भी नहीं पकड़ा जा सकता। पिछले कुछ वर्षो में भारतीय वायु सेना के मिग विमान जिस तेजी से दुर्घटनाग्रस्त होते रहे हैं उससे यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि आखिर कब तक हमारी सेना इन पुराने विमानों के सहारे दुश्मन से लोहा लेगी।

ऊंचे व दुर्गम पहाड़ी इलाकों में सैनिकों को लाना-ले जाना, रसद और हथियार पहुंचाना वायु सेना के लिए अब तक मुश्किलों भरा काम था। इसके लिए सेना ने चिनूक हेलीकाप्टर अपने बेड़े में शामिल किए हैं, लेकिन अब समस्या पाकिस्तान के साथ लगी सीमा पर घुसपैठियों को रोकने की है। अपाचे की मदद से घुसपैठियों को ढेर किया जा सकेगा। ये विमान अंधेरे में भी लक्ष्य को भेद सकते हैं। ऐसे में अपाचे सीमा की सुरक्षा में ज्यादा कारगर साबित होंगे। अब वायु सेना के अच्छे दिन आ गए हैं। इसी माह उसे फ्रांस से रफाल की पहली खेप भी मिलने वाली है। अगर देश के नीति-निर्माता सामरिक जरूरतों का ख्याल रखते हुए इसमें फैसले लेने में देरी न करते तो सेना को संसाधनों की कमी से जूझना न पड़ता।

वायु सेना की स्थापना को अगले माह 87 साल पूरे होने वाले हैं। अपने अब तक के इतिहास में वायु सेना देश की सीमा के अंदर हो या बाहर हर तरह की मुश्किलों का सामना जिस तरह किया है उसकी नजीर दुनिया में दूसरी नहीं मिलती है। भारतीय वायु सेना का ध्येय वाक्य है "नभ:स्पृशं दीप्तमं" जिसका मतलब है आप का रूप आकाश तक दमक रहा है। आजादी के पहले तक भारतीय वायु सेना को रॉयल इंडियन एयरफोर्स कहा जाता था। भारतीय वायु सेना को आज दुनिया की सबसे शक्तिशाली वायु सेना में शामिल किया जाता है।

भारत की आजादी से लेकर आज तक के इतिहास में जब भी भारत को युद्ध का सामना करना पड़ा या फिर कोई प्राकृतिक आपदा हो भारतीय वायु सेना हमेशा इन चुनौतियों का सामना करने के लिए हमेशा सबसे आगे रहती है। भारत की वायु सेना के पास 676 फाइटर एयरक्राफ्ट, 857 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, 809 अटैक एयरक्राफ्ट, 323 ट्रेनर एयरक्राफ्ट, 16 अटैक हेलिकॉप्टर समेत कुल 666 हेलिकॉप्टर हैं। भारतीय सेना की ताकत की बात करें तो इस वक्त भारत के पास ट्रेनिंग एयरक्राफ्ट के रूप में पर्सिवल प्रेंटिस, एचटी-2, हार्वार्ड स्पिटफायर, टाइगर मॉथ, वैंपायर व डाकोटा जैसे विमान हैं। वहीं लड़ाकू विमान की बात करें तो भारत की सेना में स्पिटफायर, टेंपीट, वैंपायर, तूफानी, हंटर और नैट किसी भी दुश्मन के पांव जमीन से उखाड़ सकते हैं।

भारत के बॉम्बर्स एयरक्राफ्ट पर नजर डालें तो लिबरेटर और कैनबरा आसमान से ही दुश्मन के किले को ढहाने में सक्षम हैं। वहीं ट्रांसपोर्ट एयरक्राप्ट के रूप में डाकोटा, डीवान सी-119, बॉक्सकार, ऑटर्स, वाइकाउंट, इलिशिन और पैकेट हर मुश्किल हालात में मदद पहुंचाने के लिए तैयार रहते हैं। टोह लेने वाले विमानों की बात करें तो स्पिटफायर, ऑस्टर और हार्वार्ड जैसे विमान 24 घंटे दुश्मन की हर हरकत पर नजर रखते हैं। जब 1962 में चीन से हारने के बाद भारत की हार पर विश्लेषण करते हुए हेंडरसन ब्रूक्स-भगत की रिपोर्ट जारी हुई थी तब 190 पेज की इस रिपोर्ट को साल 2014 ऑस्ट्रेलिया के पत्रकार नेविले मैक्सवेल ने इंटरनेट पर अपलोड किया।

मैक्सवेल युद्ध के वक्त द टाइम्स लंदन के भारत में पत्रकार के तौर पर मौजूद थे। मैक्सवेल ने अपनी जो रिपोर्ट पेश की उसमें बताया गया कि अगर भारत अपनी वायु सेना का सही ढंग से इस्तेमाल करता तो शायद युद्ध का परिणाम कुछ और होता। 1965 में भी भारत-पाक युद्ध के वक्त पाकिस्तान सेना के स्पेशल विमान सबरे पर भारतीय वायु सेना ने इस तरह हमला किया था कि, भारत की वायु सेना को सबरे का कातिल कहा जाने लगा था। 1971 के युद्ध में भी भारत ने 29 पाकिस्तानी टैंकों, 40 एपीसी और एक ट्रेन को नष्ट कर दिया था। पाक सेना के समर्पण से पहले वायु सेना ने पाकिस्तान के 94 लड़ाकू विमानों को मार गिराया था।

दुनिया की इतनी बड़ी ताकत होने के बावजूद भी सेना अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी समझती है। वायु सेना कभी भी अपने दुश्मन पड़ोसी देशों की तरह अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल नहीं करती है। भारत की वायु सेना ने हमेशा अपनी ताकत का इस्तेमाल विश्व में शांति स्थापित करने के लिए किया है। फिर चाहे कांगो युद्ध हो, गोवा मुक्ति संग्राम, बांग्लादेश मुक्ति युद्ध या फिर कारगिल वॉर, वायु सेना ने हमेशा से अपनी ताकत का प्रदर्शन संयमित तरीके से ही किया है। अपने ध्येय वाक्य की तरह ही भारतीय वायु सेना का रूप आकाश तक दमकता है। अब अपाचे हेलीकॉप्टर के आने के बाद भी भारतीय वायुसेना अपनी ताकत का बेजा इस्तेमाल कतई नहीं करेगी।

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