कबाड़ नीति : पुराने वाहन सड़कों से हटेंगे तो प्रदूषण कम होगा
कबाड़ नीति : पुराने वाहन सड़कों से हटेंगे तो प्रदूषण कम होगा Social Media
राज ख़ास

कबाड़ नीति : पुराने वाहन सड़कों से हटेंगे तो प्रदूषण कम होगा

राज एक्सप्रेस

महंगा होता तेल और चार पहिया और दो पहिया गाडिय़ों की बढ़ती कीमतों को काबू में करने सरकार ने कबाड़ नीति बनाई है। इस नीति में पहली नजर में कोई खामी नहीं दिखती। लोगों का फायदा जरूर हो सकता है। दरअसल, केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि लोग यदि अपना पुराना वाहन सरकार की वाहन कबाड़ नीति के तहत बेच देते हैं तो उन्हें नया वाहन खरीदने पर वाहन निर्माताओं की ओर से पांच फीसदी की छूट मिलेगी। केंद्र ने स्वैच्छिक वाहन कबाड़ नीति का एलान बजट 2021-22 में किया था। इसके अनुसार, निजी वाहनों को 20 साल और वाणिज्यिक वाहनों को 15 साल बाद फिटनेस परीक्षण कराना आवश्यक होगा। नीति में चार अहम घटक हैं। छूट के अलावा प्रदूषण फैलाने वाले पुराने वाहनों पर हरित कर और अन्य शुल्कों का प्रावधान भी किया गया है। इसके लिए पुराने वाहनों का ऑटोमेटेड सुविधा केंद्रों पर फिटनेस और प्रदूषण जांच को अनिवार्य किया गया है।

उम्मीद लगाई जा रही है कि नई नीति से आने वाले सालों में ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री का कारोबार 30 फीसदी बढक़र 10 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच जाएगा जो कि अभी करीब 4.50 लाख करोड़ रुपए का है। साथ ही इसके एक्सपोर्ट कंपोनेंट जो अभी 1.45 लाख करोड़ है, वह भी बढक़र तीन लाख करोड़ हो जाएगा। वाहन कबाड़ नीति से न केवल अर्थव्यवस्था में सुधार में मदद मिलेगी बल्कि ऑटो इंडस्ट्री को भी लाभ होगा। साथ ही वाहनों का प्रदूषण कम करने में भी मदद मिलेगी। आने वाले दिनों में ऑटो इंडस्ट्री सबसे ज्यादा रोजगार देने वाले क्षेत्रों में शामिल होगा और इससे देश में करीब 50 हजार से अधिक रोजगार बढ़ेंगे। अभी ऑटो सेक्टर को नए वाहन के निर्माण के लिए स्टील, रबर एल्युमीनियम व रबर को आयात करना पड़ता है जिससे नए वाहनों की कीमत बढ़ जाती है। कबाड़ नीति के लागू होने के बाद स्टील, रबर एल्युमीनियम और रबर के आयात की जरूरत नहीं होगी और इससे वाहनों की कीमतों में 30 से 40 फीसदी की कमी आएगी।

यह नीति हरित ईंधन और इलेक्ट्रिसिटी को बढ़ावा देने के साथ ही वाहनों के बेहतर माइलेज के लिए नई तकनीक को बढ़ावा देगा और इससे देश के भारी भरकम आठ लाख करोड़ रुपए के कच्चे तेल के आयात बिल में भी कमी लाएगा जिसके बढक़र 18 लाख करोड़ रुपए होने की संभावना है। रविवार को ही प्रदूषित शहरों की सूची जारी हुई है। शहरों के हिसाब से देखें तो कोई बड़ा सुधार नहीं आया है। प्रदूषित शहरों का ग्राफ कम नहीं हुआ है। वे शहर जो पिछली बार प्रदूषित शहरों की लिस्ट में थे, अब भी बने हुए हैं। कुछ नए शहर जरूर जुड़ गए हैं। माना कि प्रदूषण सिर्फ वाहनों से नहीं होता मगर यह भी एक कारक तो है। अगर सडक़ों से पुराने वाहन हटेंगे तो प्रदूषण पर काफी हद तक लगाम लगाई जा सकती है। सरकार की नई नीति काफी कारगर साबित हो सकती है।

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