किसानों पर मेहरबान सरकार
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किसानों पर मेहरबान सरकार

Author : राज एक्सप्रेस

राज एक्सप्रेस। खेती और किसान के लिए यह वक्त जितना संघर्ष से भरा हुआ है, उससे ज्यादा संघर्ष से भरा भविष्य व्यापक समाज और मध्यम वर्ग के लिए होने वाला है। यह जरूरी ही नहीं अनिवार्यता है कि कृषि और कृषक के जीवन में आ रहे बदलावों से सक्रिय जुड़ाव रखा जाए। इसी को मद्देनजर रखते हुए मोदी सरकार ने बजट में किसानों के लिए प्रावधान किए हैं। उम्मीद करनी चाहिए कि इनसे किसानों के बुरे दिन दूर होंगे।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को वित्त वर्ष 2020-21 का बजट पेश किया, जिसमें उन्होंने किसानों की आमदनी बढ़ाने की दिशा में एक बड़ी घोषणा की है। वित्त मंत्री ने फल, सब्जियां और मांस जैसे जल्दी खराब होने वाले कृषि उत्पादों की ढुलाई के लिए किसान रेल का प्रस्ताव किया है। इसके तहत, इन उत्पादों को ट्रेन के रेफ्रिजरेटेड डिब्बों में ले जाने की सुविधा होगी। हालांकि, यह कोई नई पहल नहीं है, क्योंकि इससे पहले साल 2004 में तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने भी इसी तरह की योजना की शुरुआत की थी, लेकिन नाकाम होने पर इसे बाद में बंद करना पड़ा था। अब वही सवाल फिर सिर उठा रहा है कि जब यह योजना पहले परवान नहीं चढ़ पाई है, फिर वही गलती करने की क्या जरूरत है। बहरहाल, पिछले अनुभवों से तो यह तय है कि इस योजना को परवान चढ़ाना इतना आसान नहीं होगा और यह बड़ी चुनौती होगी।

किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए उनके उत्पादों का बाजार बढ़ाने के लिए सब्जियों, फलों तथा मांस जैसे कृषि उत्पादों की दूर-दूर तक ढुलाई के लिए रेफ्रिजरेटेड डिब्बों का प्रस्ताव किया गया है। विशेष किसान रेलगाड़ियां सार्वजनिक-निजी भागीदारी के तहत चलाने का प्रस्ताव है। वित्त मंत्री ने बजट पेश करते हुए किसानों के लाभ के लिए कई उपायों का प्रस्ताव किया। उन्होंने कहा कि जल्द खराब होने वाले सामान के लिए राष्ट्रीय शीत आपूर्ति श्रृंखला के निर्माण को लेकर रेलवे पीपीपी मॉडल में किसान रेल बनाएगी। इससे ऐसे उत्पादों की ढुलाई तेजी से हो सकेगी। वित्त मंत्री निर्मला ने बजट भाषण में कहा कि सरकार का चुनिंदा मेल एक्सप्रेस और मालगाड़ियों के जरिए जल्द खराब होने वाले सामान की ढुलाई के लिए रेफ्रिजरेटेड पार्सल वैन का भी प्रस्ताव है। जल्द खराब होने वाले फलों, सब्जियों, डेयरी उत्पादों, मछली, मांस आदि को लंबी दूरी तक ले जाने के लिए इस तरह की तापमान नियंत्रित वैन की जरूरत है।

बता दें कि लालू यादव ने बिहार के कृषि उत्पादों का बाजार बढ़ाने के लिए रेफ्रिजरेटेड वैन योजना की शुरुआत की थी। उन्होंने 20 जून, 2004 को पटना से दिल्ली के बीच चलने वाली ट्रेन जनसाधारण एक्सप्रेस में लगे दूध और सब्जियों से लदे एक रेफ्रिजरेटेड कोच को राजेंद्र नगर टर्मिनल से हरी झंडी दिखाकर नई दिल्ली के लिए रवाना किया था। लेकिन यह योजना कुछ ही महीनों बाद बंद हो गई। इसी तरह, पटना से हावड़ा के बीच भी ट्रेनों में इस तरह के रेफ्रिजरेटेड वैन जोड़कर चलाए गए, लेकिन कुछ महीनों में यह भी बंद हो गए। इन रेफ्रिजरेटेड वैन में सब्जियां और दूध की ढुलाई होती थी। कुछ महीने तक तो किसी तरह यह योजना चली, लेकिन बाद में यह भी बंद हो गई। दरअसल, इसके बंद होने के पीछे कई कारण थे। सबसे पहला कारण इसका व्यवहार नहीं होना था। गांवों से बड़े बाजारों तक माल पहुंचने में लंबा वक्त लग जाता था, उसके बाद उन्हें रेफ्रिजरेटेड वैन में लोड होने में वक्त लगता था और फिर माल को गंतव्य तक पहुंचने में भी वक्त लग जाता था। चूंकि ये उत्पाद सड़ने वाले थे, इसलिए गंतव्य तक पहुंचने से पहले ही इनकी गुणवत्ता खराब हो जाती थी, जिसके कारण बाजार में इन्हें कोई पूछने वाला नहीं होता था।

मूलत: इसी कारण से यह योजना परवान नहीं चढ़ सकी। सरकार की इस घोषणा में अगर-मगर के प्रश्न जरूर हैं, लेकिन इस योजना को अभी से खारिज किया जाना ठीक नहीं होगा। लालू के कार्यकाल की योजना की नाकामी का पता सरकार को है। अगर यह जानते हुए भी इसे फिर से साकार किया जा रहा है तो पूरे अध्ययन के बाद। सरकार को इस योजना को मूर्तरूप देने का समय देना होगा और इंतजार करना होगा। हो सकता है कि इस बार यह योजना वाकई काम कर जाए। इसके अलावा बजट में किसानों को एक और राहत दी गई है। अब किसानों का सामान विमान से जाएगा। इसके अलावा सरकार उन राज्यों को प्रोत्साहित करेगी जो केंद्र के मॉडल लॉ को मानेंगे। पंप सेट को सौर ऊर्जा से जोड़ने का प्रयास, 20 लाख किसानों को सोलर प्लांट दिए जाएंगे। पानी की कमी की समस्या, 100 ऐसे जिलों के लिए प्रयास किए जाएंगे।

वित्त मंत्री ने कहा कि अन्नदाता ऊर्जादाता भी है। पीएम कुसुम स्कीम से फायदा हुआ है। अब हम 20 लाख किसानों को सोलर पंप देंगे। कुल 15 लाख किसानों को ग्रिड कनेक्टेड पंपसेट से जोड़ा जाएगा। 162 मिलियन टन के भंडारण की क्षमता है। नाबार्ड इसे जियोटैग करेगा। नए बनाए जाएंगे। ब्लॉक और ताल्लुक के स्तर पर बनेंगे। सरकार जमीन दे सकती है। एफसीआई अपनी जमीन पर भी बना सकती है। सीतारमण ने बजट में महात्मा गांधी की बातों को याद दिलाकर उसे दोहराया। उन्होंने कहा कि असल भारत गांव में बसता है गांव और किसान उनकी हर योजना का केंद्र बिंदु होगा। इसके अलावा किसानों को व्यापार करने और जीवन को आसान करने के लिए के लिए कई महत्वपूर्ण कदम सरकार उठाएगी। उन्होंने कहा कि किसानों को उस स्थिति में पहुंचाना है जहां पर जीरो बजट पर खेती कर सकें। इस तरह की खेती से उन्हें किसी भी प्रकार के बाजार पर निर्भर नहीं होना पड़ता है जो बेहद सस्ती भी है। वित्तमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार कृषि क्षेत्र के बुनियादी ढांचे में निवेश कर रही है। दस हजार नई किसान उत्पादक कंपनी बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। वित्तमंत्री ने कहा कि दस हजार नए किसान उत्पादक संगठन बनाए जाएंगे। भारत जिस तरह से दाल में आत्मनिर्भर हो गया है उसी तर्ज पर हम तिलहन में भी कामयाबी हासिल करेंगे।

यह पहले से माना जा रहा था कि मोदी सरकार बजट में किसानों के लिए खास प्रावधान करेगी। किसानों की आय दोगुनी करने का जो लक्ष्य लेकर चल रही है, उसकी मियाद खत्म होने में अब सिर्फ दो साल का वक्त बचा है। सरकार जानती है कि अगर किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करनी है तो सबसे पहले उनकी फसल को बेहतर माहौल देना होगा। अगर किसान अपनी उपज को लेकर परेशान नहीं होगा तो वह आसानी से अपनी आय में इजाफा कर सकता है। अभी जिस तरह से बाजार में बिचौलियों का जाल बिछा है, उससे किसानों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार को इस दिशा में भी सोचना होगा। हालांकि, बिचौलियों का कब्जा खत्म करने की दिशा में भी बजट में ऐलान किए गए हैं, मगर यह इतना भी आसान नहीं है, जिनता सोचा जा रहा है। लिहाजा सरकार को इस दिशा में काफी काम करने की जरूरत है।

खेती और किसान के लिए यह वक्त जितना संघर्ष से भरा हुआ है, उससे ज्यादा संघर्ष से भरा भविष्य व्यापक समाज और मध्यम वर्ग के लिए होने वाला है। यह जरूरी ही नहीं अनिवार्यता है कि कृषि और कृषक के जीवन में आ रहे बदलावों से सक्रिय जुड़ाव रखा जाए। भारत में 2017 में एक किसान परिवार की मासिक आय 8,931 रुपए थी। भारत में किसान परिवार में औसत सदस्य सख्या 4.9 है, यानी प्रति सदस्य आय 61 रुपए प्रतिदिन है। बुनियादी बिंदु यह भी है कि किसानों की आय में वृद्धि का बाजार की कीमतों और गरिमामय जीवनयापन के लिए जरूरी आय से क्या संबंध होगा? इस पर भी गौर किया जाना बेहद जरूरी है। देखना होगा कि बजट के प्रावधान किसानों की जिंदगी पर क्या असर डालते हैं।

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