हिमा दास बर्थडे
हिमा दास बर्थडे Syed Dabeer Hussain - RE
खेल

देश की बेटी हिमा दास ने हमेशा किया है अपने देश का नाम रोशन, जानिए उनके बारे में

Priyank Vyas

राज एक्सप्रेस। भारतीय महिला खिलाड़ी हिमा दास आज किसी पहचान की मोहताज नहीं रह गई हैं। देश में शायद ही कोई व्यक्ति ऐसा होगा जो दास के नाम से वाकिफ नहीं होगा। हिमा ने पांच स्वर्ण पदक अपने नाम कर ना केवल खुद का बल्कि देश का भी नाम रोशन किया है। ऐसा करने वाली वे देश की पहली महिला खिलाड़ी भी हैं। आज देश की यह बेटी अपना 23वां जन्मदिन मना रही है। हालांकि अपने करियर की शुरुआत में हिमा दास एक फुटबॉलर बनना चाहती थीं। लेकिन अपने टीचर की सलाह पर उन्होंने धावक बनना पसंद किया। आज उनके जन्मदिन के मौके पर हम हिमा दास से जुड़ी स्पेशल बातें आपको बताने वाले हैं।

1. अपनी दौड़ से सबका दिल जीतने वाली हिमा दास का जन्म 9 जनवरी 2000 को असम के ढिंग में हुआ था। उन्हें आज के समय में ढिंग एक्सप्रेस के नाम से भी जाना जाता है। उनके पिता का नाम रंजीत और माता का नाम जोनाली है।

2. हिमा आज बुलंदियों को छू रही हैं, लेकिन उनका शुरूआती जीवन काफी संघर्षों से भरा रहा था। उनके पास संसाधनों की काफी कमी थी। लेकिन हिमा ने कभी हार नहीं मानी और अपने लक्ष्य को पाने के लिए कड़ी मेहनत करती रहीं।

3. धावक की शुरुआती पढ़ाई ढिंग हाई स्कूल और नवोदय विद्यालय से हुई है। इस दौरान हिमा को फुटबॉल खेलने का काफी शौक था। लेकिन उनके टीचर ने हिमा की फुर्ती और दौड़ को देखते हुए उन्हें एथलेटिक्स में जाने के लिए कहा। जिसे बाद हिमा ने इस तरफ अपने कदम बढ़ा दिए।

4. इस दौरान ही हिमा ने गुवाहाटी स्टेट चैम्पियनशिप में भी हिस्सा लिया और कांस्य पदक अपने नाम किया। यही से उनका नेशनल लेवल की प्रतियोगिताओं में भाग लेने का सफर शुरू हुआ।

5. हालांकि आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण उनका परिवार ट्रेनिंग का खर्च भी नहीं उठा पा रहा था। तब उनके कोच ने घरवालों से बात की, और हिमा अपने घर से 150 किलोमीटर दूर स्थित ट्रेनिंग सेंटर में जाने लगीं। घरवालों की स्थिति देखते हुए हिमा का पूरा खर्च भी सेंटर ने ही उठाया।

6. जिन जूतों को खरीदने के लिए हिमा के पिता ने रात दिन मेहनत की और अपनी बेटी के लिए 1200 रुपए के जूते लाए। जीतने के बाद हिमा उसी कंपनी की ब्रांड अम्बेसडर बन गईं।

7. हिमा दास ने 2018 आईएएएफ वर्ल्ड अंडर 20 चैम्पियनशिप में 400 मीटर में स्वर्ण पदक अपने नाम किया। इस दौरान हिमा ने 51।46 सेकेंड का समय लिया और किसी भी ट्रैक आयोजन में विश्व चैंपियनशिप खिताब जीतने वाली पहली महिला खिलाड़ी बनीं।

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