स्वर्ण पदक जीतने वाले धवल उतेकर की नजरें अब भारतीय कैंप पर
स्वर्ण पदक जीतने वाले धवल उतेकर की नजरें अब भारतीय कैंप पर Social Media
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स्वर्ण पदक जीतने वाले धवल उतेकर की नजरें अब भारतीय कैंप पर

News Agency

हाइलाइट्स :

  • 37वें राष्ट्रीय खेल 2023।

  • युवा एथलीट धवल उतेकर 400 मीटर बाधा दौड़ में स्वर्ण पदक जीता।

  • धवल उतेकर एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप या हांग्झोऊ एशियाई खेलों में क्वालीफाई नहीं हुए थे।

पणजी। 37वें राष्ट्रीय खेलों में 400 मीटर बाधा दौड़ में स्वर्ण पदक जीतने वाले गुजरात के उभरते हुये युवा एथलीट धवल उतेकर ने अब अपनी नजरे भारतीय कैंप पर टिका दी हैं।वडोदरा के 23 वर्षीय धावक ने कहा, “ यह मेरे लिए करो या मरो वाली स्थिति थी। यह मेरी क्षमता दिखाने की आखिरी घरेलू दौड़ थी। मैं यहां गोवा में स्वर्ण पदक जीतना चाहता था। मैं एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप या हांग्झोऊ एशियाई खेलों दोनों के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाया और यह मानसिक रूप से बहुत कठिन था।” बम्बोलिम एथलेटिक्स स्टेडियम में 400 मीटर बाधा दौड़ के फाइनल में सर्विसेस के निखिल भारद्वाज ने उन्हें कड़ी टक्कर दी, लेकिन धवल अपने प्रतिद्वंद्वियों से आगे फिनिश लाइन पार करने में सफल रहे। उनका स्वर्ण पदक जीतने का समय 51.20 सेकंड था, जबकि भारद्वाज ने रजत पदक के लिए 51.50 सेकंड का समय निकाला। विजय सिंह मलिक (सर्विसेस) 51.67 सेकंड के समय के साथ तीसरे स्थान पर रहे।

उन्होंने कहा, “ सीजन की अंतिम प्रतियोगिता में 400 मीटर बाधा दौड़ का खिताब मेरे आत्मविश्वास को बढ़ाएगा।” धवल उतेकर ने कहा कि अब वह राष्ट्रीय शिविर में जगह बनाना चाहते हैं क्योंकि वह पिछले दो वर्षों से खुद अभ्यास करने में असमर्थ हैं। सात साल पहले, उतेकर गुजरात में प्रतिभा खोज के दौरान खोजे गए कई युवा एथलीटों में से एक थे। 2020 में भारतीय वायु सेना में शामिल होने से उन्हें खेल में आगे बढ़ने का मौका मिला। उन्होंने 2021-2022 सीजन में अच्छी प्रगति की, लेकिन 2023 सीजन में वह पिछड़ गए। पिछले साल एक घरेलू प्रतियोगिता में उनका व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 50.55 सेकंड का था।

गाज़ियाबाद के पास हिंडन स्थित भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के इस एथलीट ने राष्ट्रीय खेलों में चैंपियन बनने के बाद कहा कि उनके पास सीमित संसाधन हैं और वह अच्छी प्रगति नहीं कर सकते हैं। अगर सुविधाएं सीमित हैं तो महीने या सप्ताह के लिए निर्धारित छोटे-छोटे लक्ष्यों को हासिल करना मुश्किल है। उम्मीद है कि राष्ट्रीय खेल उनके लिए अपने कौशल को और निखारने में मदद करेगा।

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