ऑस्ट्रेलिया दौरे पर डे-नाइट टेस्ट मैचों में भारत की परीक्षा इस बार गुलाबी रंग वाली कूकाबुरा गेंद से होगी।
ऑस्ट्रेलिया दौरे पर डे-नाइट टेस्ट मैचों में भारत की परीक्षा इस बार गुलाबी रंग वाली कूकाबुरा गेंद से होगी। Social Media
खेल

TOUR AUS:भारत का सामना उस ऑस्ट्रेलियाई अचूक अस्त्र से जिसमें कुशल है मेजबान

Author : Neelesh Singh Thakur

हाइलाइट्स

  • भारत की च्वाईस SG

  • ऑस्ट्रेलिया की पसंद जुदा

  • नाइट मैच में गुलाबी का रोल

राज एक्सप्रेस। इन दिनों भारतीय क्रिकेट टीम का ऑस्ट्रेलिया दौरा सुर्खियों में है। कप्तान विराट कोहली के पितृत्व अवकाश की स्थिति में भारतीय टीम के प्रदर्शन पर कयास लग रहे हैं। मेजबान की तुलना में चुनी गई भारतीय टीम की तुलना हो रही है। एक चीज पर चर्चा नहीं हो रही जो टूर पर सबसे अहम होने वाली है।

क्या चीज है वो? -

हम बात कर रहे हैं क्रिकेट में उस चीज की जिसके बिना खेल ही असंभव है! कभी इसकी पिटाई होती है तो कभी कोई खिलाड़ी इससे घायल होकर मैदान से आउट हो जाता है। जी हां हमारा इशारा लाल, सफेद, गुलाबी रंगों वाली क्रिकेट गेंदों की ओर है।

सबकी अपनी खासियत –

वैसे तो शुरुआती कालखंड से क्रिकेट में अधिकृत रूप से लाल गेंदों का चलन है लेकिन हाल ही के दिनों में क्रिकेट में हुए नए प्रयोगों के कारण गेंदों के रंग-रूप में भी काफी बदलाव हुए हैं। लाल से बदलकर गोरी यानी की सफेद हुई क्रिकेट बॉल के बाद डे-नाइट मैच में अब गुलाबी रंग की क्रिकेट गेंद प्रचलन में आ गई है।

क्या अंतर है इन गेंदों में? –

दरअसल क्रिकेट जगत में रंगों-प्रकारों के आधार पर क्रिकेट बॉल पर राय बंटी हुई है। कोई लाल रंग से खेलना चाहता है कोई सफेद से। पर अब चर्चा में है पिंक कूकाबुरा बॉल (Pink Kookaburra Ball)। दरअसल एसजी बॉल (SG ball), ड्यूक बॉल (Duke ball) और कूकाबेरा गेंदों (Kookaburra Ball) में कई अहम फर्क हैं। वो अंतर क्या हैं आईये जानते हैं।

एसजी गेंद (SG ball) –

संस्पेरेल्स ग्रीनलैंड्स (Sanspareils Greenlands) भारत में एक कंपनी है जो क्रिकेट के लिए उपयोगी वस्तुएं बनाती है। इस कंपनी की बॉल को ही संक्षिप्त रूप में एसजी बॉल कहा जाता है।

भारत में बनने वाली इन गेंदों को सिलाई के मामले में बेजोड़ माना जाता है। भारतीय टीम इसी गेंद से भारत में टेस्ट मैच खेलती है। रणजी ट्रॉफी के मैचों में भी इसका उपयोग होता है।

भारतीय पिचों पर 10-20 ओवर तक ही इस गेंद में स्विंग मिलती है। हालांकि जल्द चमक खो देने वाली एसजी गेंद की सीम 80-90 ओवरों तक रहने से तेज गेंदबाजों को रिवर्स स्विंग जबकि ग्रिप के कारण स्पिनर्स को इस पर पकड़ बनाने में मदद मिलती है।

ड्यूक गेंद (Duke ball) -

इंग्लैंड में बनंने वाली ये गेंदें तेज गेंदबाजों के लिए मददगार होती है। एसजी बॉल की तुलना में ये गेंदें स्पिनर्स के बजाए पेस बॉलर्स के लिए मददगार हैं। इंग्लैंड के अलावा वेस्टइंडीज की टीमें इन गेंदों से खेलती हैं।

सीम के कारण ज्यादा समय तक स्विंग मिलने के कारण ये गेंदें तेज गेंदबाजों को ज्यादा भाती हैं। स्पिनर्स तो अब तक इससे अक्सर जूझते नजर आए हैं।

कूकाबुरा गेंद (Kookaburra ball) -

ऑस्ट्रेलिया में बनने वाली कूकाबुरा गेंद से ऑस्ट्रेलिया के अलावा दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान, न्यूजीलैंड, श्रीलंका, जिंबाब्वे और न्यूजीलैंड खेलना पसंद करते हैं। कूकाबुरा की खासियत उसकी लो सीम है। इसकी मदद से पारी के शुरुआती 20 ओवरों तक गेंदबाजों को अच्छी स्विंग मिलती है।

हालांकि कुछ समय बाद यह बल्लेबाजों के लिए मददगार भी है। सिलाई उधड़ने की समस्या भी गेंदबाज बताते हैं। सिलाई खराब होने पर स्पिनर्स को गेंद पकड़ने में परेशानी होती है।

एसजी, ड्यूक की ही तरह कूकाबुरा भी लाल, सफेद और गुलाबी रंगों में आती है और यही गुलाबी रंग का ऑस्ट्रेलियाई अस्त्र भारतीय टीम के रंग में भंग डाल सकता है।

भारतीय टीम को इस रंग की कूकाबुरा गेंदों से खेलने का बहुत कम अनुभव है जबकि ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों के पास इससे खेलने का ज्यादा। भारत ने जो मैच खेला भी है वो भी एसजी की गुलाबी गेंद से खेला था।

आश्वस्त हैं पुजारा -

हालांकि समाचार एजेंसी से चर्चा में भारत के मध्य क्रम के बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा गुलाबी रंग वाली कूकाबुरा गेंद से खेलने के बारे में आश्वस्त नजर आए। उनका मानना है कि भारतीय टीम कोलकाता वाले डे-नाइट टेस्ट मैच के अपने अनुभव का इस्तेमाल कर कूकाबुरा गेंद की चुनौतियों का सामना करने में सफल होगी।

"गुलाबी गेंद से खेलना एक अलग चुनौती होगी क्योंकि इसकी गति और उछाल भी बदलती है।" हम ऑस्ट्रेलिया में गुलाबी कूकाबुरा (बांग्लादेश के खिलाफ भारत ने गुलाबी एसजी गेंद से मैच खेला था) के साथ खेलेंगे। यह थोड़ा अलग होगा।
चेतेश्वर पुजारा, बल्लेबाज, भारत

हाल ही में आईपीएल से रिहा हुए भारतीय खिलाड़ियों के पास पिंक कूकाबुरा गेंद पर हाथ साफ करने का बहुत कम समय होगा। कोरोना काल में तो अब गेंद पर लार तक लगाने का प्रतिबंध है ऐसे में परेशानी जरा ज्यादा हो सकती है। ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी इस गेंद से खेलने में खासे माहिर भी हैं।

भारत विदेशी धरती पर अपना पहला डे-नाइट टेस्ट मैच खेलेगा। कोलकाता में भारत ने बांग्लादेश से अपने पसंदीदा अस्त्र से मैच खेला था, लेकिन इस बार बारी ऑस्ट्रेलिया की है। अस्त्र भी उसका मैदान भी उसका।

मतलब भारत जब ऑस्ट्रेलिया में विदेशी धरती पर अपना पहला डे-नाइट टेस्ट मैच खेलेगा तब सामना पसंदीदा अस्त्र के बजाय मेजबान के अस्त्र और मैदान से होगा।

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डिस्क्लेमर – आर्टिकल प्रचलित रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारी जोड़ी गई हैं। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।

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