राज एक्सप्रेस। क्रिकेट के खेल में अंपायर्स का दबदबा और साख अब दांव पर है। डिकी बर्ड, डेविड शेफर्ड, एस वैंकटराघवन जैसे अंपायर्स कम ही रह गए हैं जो बगैर किसी तकनीकी मदद लिए मैदान में खुद निष्पक्ष फैसले देने में माहिर हों। पिछले कुछ मैचों में गलत अंपायरिंग के कारण मैच तो क्या टूर्नानेंट तक के नतीजे प्रभावित हो गए। इन मैचों और अंपायर्स के फैसलों पर डालते हैं नजर-
इस उम्मीद से क्रिकेट में तकनीक के तमाम संसाधनों को एक के बाद एक उपयोग में लाया गया कि इससे अंपायर्स को फैसला लेने में आसानी होगी और सटीक फैसले निकलेंगे। लेकिन पिछले वनडे वर्ल्ड कप के फाइनल समेत कुछ मैचों और हाल ही में संपन्न एशेज़ सीरीज़ में अंपायरिंग के स्तर पर सवाल खड़े हुए।
अंपायर कुमार धर्मसेना के फैसलों पर उठाई अंगुली:
वनडे क्रिकेट वर्ल्ड कप 2019 के फाइनल मैच में ग्राउंड अंपायर कुमार धर्मसेना के फैसलों पर पूरी क्रिकेट बिरादरी ने अंगुली उठाई। अव्वल तो धर्मसेना का क्रिकेट करियर ही विवादों में रहा। खुद कभी गेंदबाजी एक्शन के कारण जांच प्रक्रिया से गुजरने वाले भूतपूर्व स्पिनर क्रिकेटर कुमार धर्मसेना अब अंपायर बनकर गलत फैसले दे रहे हैं।
फाइनल मैच में ओवर थ्रो पर छह रन देने का निर्णय अंपायर धर्मसेना का क्रिकेट करियर का अब तक का सबसे खराब फैसला रहा। इस फैसले से न्यूज़ीलैंड को फाइनल के खिताब से तक वंचित होना पड़ गया। फाइनल के बाद उम्मीद थी कि आईसीसी छोटे बड़े सभी मैचों में अंपायरिंग के स्तर में सुधार करेगी लेकिन एशेज़ सीरीज़ में भी गलत अंपायरिंग की परंपरा जारी रही।
खिलाड़ियों को अब डीआरएस के लिए भी तैयार रहना होगा:
एशेज़ सीरीज़ के पहले टेस्ट में मैदान के अंपायरों ने गलत फैसले दिए तो संबंधित टीमों को डीआरएस लेना पड़ा। जिसमें अंपायर के नतीजे गलत निकले। अंपायर यदि गलत फैसले लेने पर आमादा हो जाएं तो टीमों के डीआरएस पॉवर भी प्रभावित होते हैं।
चौंकिये नहीं एशेज़ टेस्ट सीरीज़ में पहले मैच के पहले दिन अंपायर्स ने पूरे 7 गलत फैसले दिए थे जिनमे से 5 को डीआरएस ने पलट दिया। मतलब अंपायर के गलत फैसलों के खिलाफ खिलाड़ियों को अब डीआरएस के लिए भी तैयार रहना होगा।
इस मैच में अंपायर जोएल विल्सन और अलीम डार के फैसलों पर स्पिन के जादूगर शेन वॉर्न और इंग्लैंड के पूर्व कप्तान नासिर हुसैन समेत तमाम दिग्गज क्रिकेटर्स ने सवाल उठाए। इस एकमात्र मैच नहीं बल्कि सीरीज़ के आगामी मैचों में भी अंपायरिंग का स्तर आलोचकों के निशाने पर रहा। वो भी तब जब एशेज़ सीरीज़ में कैमरा, स्कैनर से लेकर तमाम चीजें हाई क्वालिटी वाली रहती हैं।
पहली गेंद से ही अंपायरिंग भयावह रही।शेन वॉर्न
अंपायर्स के लिहाज से दिन चौंकाने वाला रहा। हम जानते हैं कि, यह कठिन काम है लेकिन अंपायरिंग बहुत घटिया रहीनासिर हुसैन
अब इसे लापरवाही नहीं तो क्या कहेंगे?
जब क्रिकेट जगत में तकनीक के गिने चुने साधन थे, मैदान में कुल मिलाकर मात्र दो अंपायर होते थे, तब अंपायर्स के फैसलों पर कभी अंगुली नहीं उठी लेकिन अब दो नहीं तीन अंपायर और उनकी सहायक टीम मिलकर भी सही फैसले नहीं ले पा रही है।
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