मानसिक स्वास्थ्य को लेकर मैदान से दूरी बनाने पर  बोले विराट कोहली
मानसिक स्वास्थ्य को लेकर मैदान से दूरी बनाने पर बोले विराट कोहली Ankit Dubey - RE
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मानसिक स्वास्थ्य को लेकर मैदान से दूरी बनाने पर बोले विराट कोहली

Author : Ankit Dubey

राज एक्सप्रेस। भारत और बांग्लादेश के बीच पहला टेस्ट मैच इंदौर में कल से खेला जाने वाला है, मैच से पहले पत्रकार वार्ता में विराट कोहली (Virat Kohli) ने मानसिक स्वास्थ्य को लेकर अपनी राय पेश की। विराट कोहली का मानना है कि, ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ी ग्लेन मैक्सवेल (Glenn Maxwell) ने मानसिक स्वास्थ्य को लेकर क्रिकेट से दूरी बनाने का निर्णय लिया, जो कि काफी अच्छा निर्णय था। मानसिक स्वास्थ्य को लेकर इस बात को स्वीकार कर लेना अच्छी बात है। कोहली ने बताया कि वह भी इस दौर से गुजर चुके हैं और वे जानते हैं कि, ऐसी स्थिति में ऐसा लगता है कि सब कुछ खत्म हो चुका है।

मैक्सवेल ने मानसिक स्वास्थ्य को लेकर बनाई थी क्रिकेट से दूरी

ऑस्ट्रेलिया टीम के बल्लेबाजी ऑलराउंडर ग्लेन मैक्सवेल ने कुछ निजी परेशानियों को लेकर क्रिकेट से दूरी बना ली थी और उन्होंने यह साफ किया था कि वे मानसिक स्वास्थ्य को लेकर अपने निजी जिंदगी में परेशान है और वह क्रिकेट से कुछ समय के लिए दूर रहना चाहते हैं।उनके बाद ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज निक मेडिनसन ने भी मानसिक स्वास्थ्य को लेकर क्रिकेट से दूरी बनाई थी। क्रिकेट जगत में ऐसे कई ओर खिलाड़ी हैं जिन्होंने मानसिक स्वास्थ्य को लेकर क्रिकेट से दूरी बनाई है। लेकिन कभी कोई खिलाड़ी अपने मानसिक स्वास्थ्य को लेकर ऐसे खुलकर सामने नहीं आया।

विराट कोहली ने ग्लेन मैक्सवेल के इस फैसले को बताया सही

विराट कोहली ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपनी बात रखते हुए कहा कि इंटरनेशनल क्रिकेट में खिलाड़ियों को अपनी बात रखने का मौका अवश्य मिलना चाहिए मुझे लगता है कि ग्लेन मैक्सवेल ने सही किया है।

विराट कोहली ने 2014 में इंग्लैंड दौरे पर अपने खराब फॉर्म को लेकर भी बात रखी उन्होंने कहा कि मेरे कैरियर में भी इस तरह के मोड़ आए जब मुझे लगा कि अब कुछ नहीं हो पाएगा और सब खत्म हो जाएगा। कोहली ने आगे कहा कि अगर मैं ईमानदारी से बताऊं तो हर इंसान को अपने काम पर फोकस करना चाहिए, यह पता करना बहुत कठिन है कि दूसरे के दिमाग में क्या चल रहा है।

उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ी ने मानसिक स्वास्थ्य को लेकर अपनी बात सामने रख कर एक मिसाल पेश की है, अगर आप मानसिक रूप से सही महसूस नहीं कर रहे हैं तो आपको समय की जरूरत होती है। इस चीज का सम्मान होना चाहिए इसे नकारात्मकता के रूप में नहीं लेना चाहिए बल्कि, इसे सकारात्मकता के रूप में स्वीकार करना चाहिए।

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