Bazball Philosophy : इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच 16 जून से ऐतिहासिक एशेज सीरीज का आगाज होने जा रहा है। सीरीज का पहला मैच बर्मिंघम में खेला जा रहा है। हाल ही में वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप 2023 अपने नाम करने वाली ऑस्ट्रेलिया के हौसले बुलंद हैं और वह एक बार फिर से एशेज अपने नाम करना चाहती है। हालांकि इस सीरीज के शुरू होने से पहले इंग्लैंड की ‘बैजबॉल’ रणनीति को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान स्टीव वॉ का कहना है कि बैजबॉल रणनीति हमेशा कारगार साबित नहीं होगी। तो चलिए जानते हैं कि इंग्लैंड की ‘बैजबॉल’ रणनीति क्या है और यह कितनी कारगर है।ब्रैंडन मैक्कुलम
दरअसल पिछले साल एशेज सीरीज में मिली शर्मनाक हार के बाद इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड ने जो रूट को हटाकर बेन स्टोक्स को कप्तान बना दिया जबकि न्यूजीलैंड के पूर्व तूफानी बल्लेबाज ब्रैंडन मैक्कुलम को कोच बना दिया। मैक्कुलम ने कोच बनने के बाद टीम के खेलने के तरीके में बदलाव करते हुए आक्रामक बल्लेबाजी के जरिए विपक्षी टीम पर दबाव बनाने की रणनीति अपनाई। आक्रामक बल्लेबाजी की रणनीति को ‘बैजबॉल’ रणनीति कहा जाता है। इसका कारण यह है कि मैक्कुलम का निक नेम बैज है और उनकी इस रणनीति को बैजबॉल कहा जाता है।
बता दें कि ‘बैजबॉल’ रणनीति इंग्लैंड के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित हुई है। बेन स्टोक्स के कप्तान बनने और ब्रैंडन मैकुलम के मुख्य कोच बनने के बाद इंग्लैंड ने 13 टेस्ट मैचों में से 11 में जीत दर्ज की है। इस दौरान उसने करीब 5 रन प्रति ओवर की औसत से बल्लेबाजी की है।
इंग्लैंड ने अपनी ‘बैजबॉल’ रणनीति के जरिए भारत-पाकिस्तान और न्यूजीलैंड जैसी टीमों को टेस्ट क्रिकेट में मात दी है। अपनी रणनीति के जरिए इंग्लैंड ने न्यूजीलैंड और पाकिस्तान के खिलाफ तीन मैचों की सीरीज में क्लीन स्वीप किया तो वहीं भारत के खिलाफ भी एक मात्र टेस्ट मैच में जीत दर्ज की।
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