90 scientists resign from chinas largest research center
90 scientists resign from chinas largest research center  Social Media
दुनिया

चीन के सबसे बड़े रिसर्च सेंटर के 90 वैज्ञानिकों ने दिया इस्तीफा

Author : Kavita Singh Rathore

चीन। चीन से शुरू हुए कोरोना वायरस का प्रकोप एक बार फिर चीन में नजर आ रहा है। वहीं, ऐसे हालातों के बीच चीन की सबसे बड़े रिसर्च सेंटर द इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी सेफ्टी टेक्नोलॉजी (Einest) का काम करना मुश्किल होता नजर आ रहा है। इसका कारण रिसर्च सेंटर से एक साथ 90 परमाणु वैज्ञानिकों के इस्तीफा देना बताया जा रहा है।

90 परमाणु वैज्ञानिकों ने दिया इस्तीफा :

दरअसल, चीन के सबसे बड़े द इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी सेफ्टी टेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर में लगभग 500 वैज्ञानिक काम करते हैं। इस रिसर्च सेंटर से बीते साल 200 वैज्ञानिकों ने इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद इस सेंटर में 100 से भी कम वैज्ञानिक बचे थे। वहीं, अब सेंटर से एक बार फिर 90 परमाणु वैज्ञानिकों के इस्तीफा देने की खबर सामने आई है। इन 90 वैज्ञानिकों के सेंटर छोड़ने के बाद रिसर्च सेंटर का संचालन काफी मुश्किल होता नजर आ रहा है।

इस्तीफा देने का कारण :

  • खबरों की मानें तो, एक साथ 90 वैज्ञानिकों के इस्तीफा देने का कोई एक मुख्य कारण नहीं है। इन वैज्ञानिकों ने कई कारणों से इस्तीफा दिया है। परंतु सबसे अहम बात जो सामने आई है वो यह है कि, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी इस रिसर्च सेंटर पर जबरदस्ती अपनी हुकूमत चलना कर यहां के वैज्ञानिकों से दबाव बना कर काम करवाना चाहती है।

  • इसका दूसरा जो मुख्य कारण सामने आया है वो यह है कि, इस सेंटर में कार्यरत सभी वैज्ञानिकों को उनके जरूरत का कोई भी जरूरी संसाधन और सुविधाएं मुहैया नहीं की जा रही थी।

  • वहीं, इसी साल जून में आईनेस्ट में काम करने वाले लोगों का अपने ही पेरेंटिंग सेंटर से विवाद की खबरें भी सामने आई थी। यही कुछ मुख्य बातें है जिनके आधार पर इस रिसर्च सेंटर के इतने वैज्ञानिकों के एक साथ इस्तीफा देने का अनुमान लगाया जा रहा है।

प्राइवेट कंपनियों की नजर :

बता दें, यह रिसर्च सेंटर आईनेस्ट हेफी इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल साइंस (चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंस) के दिशानिर्देश पर काम करता है। बैसे तो आईनेस्ट की गिनती चीन की काफी मानी जानी संस्थाओ में होती है। जो लगभग 200 से ज्यादा राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट्स में भाग ले चुकी है। परंतु पिछले कुछ समय से यहां फंड की कमी होने की समस्या बताई जा रही थी। इसी के चलते इस सेंटर को बड़े प्रोजेक्ट भी नहीं मिल रहे थे। जिससे प्राइवेट कंपनियां इस सेंटर के वैज्ञानिकों पर नजरें गाड़ीं थीं।

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