ब्रिटेन में जन्मा 3 माता-पिता के DNA वाला बच्चा
ब्रिटेन में जन्मा 3 माता-पिता के DNA वाला बच्चा Kavita Singh Rathore - RE
यूरोप

ब्रिटेन में जन्मा 3 माता-पिता के DNA वाला बच्चा, जानें, कैसे हुआ मुमकिन

Kavita Singh Rathore

ब्रिटेन, दुनिया। किसी भी व्यक्ति की पहचान करने के लिए DNA (Deoxyribo Nucleic Acid) का इस्तेमाल होता है। DNA की जांच से आपसी रिश्तों की जानकारी निकाली जा सकती है, जैसे एक बच्चे का DNA उसके माता पिता से ही मैच होता अन्य किसी भी व्यक्ति से नहीं हो सकता। DNA को एक प्रकार से व्यक्ति की यूनिक आइडेंटिटी के तौर पर लिया जा सकता है। अगर हम कहें कि, एक बच्चे के शरीर में एक पुरुष और दो महिलाओं DNA मिला है तो क्या आप मानेंगे ? शायद आपका इस बात पर भरोसा करना मुश्किल हो, लेकिन यह खबर बिल्कुल सही है। ब्रिटेन से इस तरह की एक खबर सामने आई है।

ब्रिटेन में हुआ 3 माता-पिता के DNA वाला बच्चा :

दरअसल, ब्रिटेन से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। क्योंकि इस मामले के तहत एक बच्चे का जन्म एक पुरुष और दो महिलाओं के DNA से हुआ है। हालांकि, यह कोई चमत्कार नहीं है। इसके पीछे विज्ञान है। यह बच्चा एक तकनीक का उपयोग करके पैदा किया गया हैं। जिसका उद्देश्य माता-पिता को अपने बच्चों को बीमारियों से बचाना है। इस बारे में जानकारी मानव निषेचन और भ्रूणविज्ञान प्राधिकरण (Human Fertilization and Embryology Authority - HFEA) ने मंगलवार को दी है। HFEA ने इस बारे में बताते हुए कहा कि, 'न्यूकैसल विश्वविद्यालय में माइटो कॉन्ड्रियल दान उपचार कार्यक्रम के परिणामस्वरूप "पांच से कम" बच्चों का जन्म हुआ है।'

क्यों किया गया ऐसा :

कुछ बीमारियां जेनटिक होती है। जो हमें हमारे माता-पिता से मिलती है। ऐसे में यदि माता-पिता का DNA काम नही आया तो, इस बीमारी का कोई इलाज नही हो सकता है। इसी तरह की कुछ बीमारी को रोकने के लिए डॉक्टरों ने माइटोकॉन्ड्रियल डोनेशन ट्रीटमेंट (MDT) नामक तकनीक का उपयोग करके तीन माता-पिता का बच्चा तैयार किया। इस प्रक्रिया का उद्देश्य मां को माइटोकॉन्ड्रिया में दोषपूर्ण जीन से गुजरने से रोकना है।

कैसे की गई प्रक्रिया ?

इस बच्चे के शरीर में माता और पिता के शरीर से परमाणु DNA दिया गया था, जो व्यक्तित्व और आंखों के रंग जैसी प्रमुख विशेषताओं को परिभाषित करता है। इस बच्चे को तीसरे माता-पिता" द्वारा प्रदान किए गए माइटोकॉन्ड्रियल DNA की एक छोटी मात्रा भी दी गई थी। इस बारे में HFEA के नियामक ने कहा कि, 'माइटोकॉन्ड्रियल स्थानांतरण प्रक्रियाओं के परिणामस्वरूप पांच से कम जन्म दर्ज किए गए थे।'

MDT का प्रोसेस से हुआ मुमकिन :

बताते चलें, वैज्ञानिकों ने यह करिश्मा MDT प्रोसेस से किया है। बता दें, इस प्रोसेस मे सबसे पहले पिता के स्पर्म को लेकर मां के एग्स के साथ फर्टिलाइज किया जाता हैइसके बाद एक दूसरी स्वस्थ महिला के एग्स से न्यूक्लियर जेनेटिक मटेरियल लेकर माता-पिता के फर्टिलाइज एग्स में मिला दिया जाता है। ऐसा करते ही बन रहे एग पर स्वस्थ महिला के माइटोकॉन्ड्रिया का प्रभाव दिखने लगता है। पूरी प्रक्रिया के बाद इसे भ्रूण में स्थापित किया जाता है। हालांकि, यह प्रक्रिया बहुत ही सावधानी से पूरी करनी पड़ती है।

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