परमाणु ऊर्जा से जर्मनी ने किया तौबा
परमाणु ऊर्जा से जर्मनी ने किया तौबा Raj Express
यूरोप

परमाणु ऊर्जा से जर्मनी ने किया तौबा, आखिरी तीन परमाणु संयत्रों भी बंद, जानिए कारण

Priyank Vyas

राज एक्सप्रेस। इस समय पूरी दुनिया कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए परमाणु ऊर्जा की तरफ भाग रही है। परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में पूरी दुनिया में भारी-भरकम निवेश हो रहा है। वहीं दूसरी तरफ जर्मनी ने अपने आखिरी बचे हुए तीन परमाणु संयत्रों को भी बंद कर दिया है। इस तरह से जर्मनी में पिछले 6 दशक से चले आ रहे परमाणु ऊर्जा के इस्तेमाल के युग का अंत हो गया। वहीं जर्मनी के इस कदम को लेकर कई लोगों के मन में यह आशंकाएं उभर रही हैं कि आखिर जर्मनी ने ऐसा क्यों किया। तो चलिए जानते हैं।

परमाणु घटनाओं के चलते लिया फैसला :

दरअसल साल 1979 में जर्मनी के थ्री माइल द्वीप परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर एक बड़ा हादसा हो गया था। इसके बाद साल 1986 में चेरनोबिल परमाणु संयंत्र में एक परमाणु दुर्घटना हो गई थी। इसे दुनिया का सबसे बुरा परमाणु हादसा भी कहा जाता है। दरअसल इस घटना में 31 लोगों की सीधे मौत हो गई थी जबकि अगले कुछ सालों में 20 लोगों में थाइरॉयड कैंसर के मामले दर्ज किए गए थे। इन हादसों को देखते हुए जर्मनी ने अपने परमाणु संयत्रों को बंद करने का फैसला लिया।

फुकुशिमा हादसा :

साल 2011 में जापान में एक विनाशकारी भूकंप आया था। भूकंप की वजह से फुकुशिमा दाइची बिजली संयंत्र के तीन रिएक्टर पिघल गए। इस घटना के बाद तो जर्मनी ने परमाणु संयत्रों को बंद करने का पक्का मन बना लिया था। जर्मनी के लोगों का मानना है कि परमाणु ऊर्जा ना तो पूरी तरह से सुरक्षित है और ना ही पर्यावरण के लिए बेहतर है।

यूक्रेन युद्ध की वजह से हुई देरी :

बता दें कि जर्मनी साल 2022 में ही अपने बचे हुए तीन परमाणु संयत्रों को बंद करना चाहता था, लेकिन यूक्रेन युद्ध के चलते जर्मनी को रूस से ऊर्जा आयात करने पर कटौती करनी पड़ी। इस कारण ऊर्जा की कमी को पूरा करने के लिए जर्मनी ने परमाणु संयत्रों को बंद करने में देरी की।

रिन्युएबल एनर्जी :

दरअसल परमाणु संयत्रों को बंद करने के बाद जर्मनी का पूरा जोर अब रिन्युएबल एनर्जी पर है। हालांकि जर्मनी के सामने वर्तमान में बड़ी चुनौती अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने की होगी। इन तीन परमाणु संयत्रों से जर्मनी को 6 प्रतिशत ऊर्जा मिलती थी। जर्मनी ऊर्जा की इस जरूरत को गैस और कोयले से पूरी करेगा। हालांकि ऊर्जा के लिए कोयले का उपयोग करना पर्यावरण के लिए हानिकारण होता है। वर्तमान में जर्मनी की 30% से अधिक ऊर्जा कोयले से आती है।

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