क्या है न्यायिक सुधार कानून
क्या है न्यायिक सुधार कानून Syed Dabeer Hussain - RE
एशिया

जानिए क्या है न्यायिक सुधार कानून, जिनका इजराइल ही नहीं बल्कि दुनियाभर में हो रहा विरोध

Priyank Vyas

राज एक्सप्रेस। दुनिया के एकलौते यहूदी देश इजराइल में इस समय ‘न्यायिक सुधार कानून’ को लेकर बवाल बचा हुआ है। बीते दिनों इस कानून के विरोध में इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ लाखों लोग सड़कों पर उतर आए। इसके अलावा इन कानूनों के चलते प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच भी कहासुनी हो चुकी है। हालांकि देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में हो रहे विरोध को देखते हुए फिलहाल बेंजामिन नेतन्याहू ने ‘न्यायिक सुधार कानून’ पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी है। ऐसे में आज हम जानेंगे कि आखिर ‘न्यायिक सुधार कानून’ क्या है? और इन्हें लागू करने के खिलाफ पूरी दुनिया में क्यों विरोध हो रहा है?

‘न्यायिक सुधार कानून’ क्या है?

दरअसल ‘न्यायिक सुधार कानून’ के जरिए प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू तीन महत्वपूर्ण बदलाव करना चाहते थे। पहला बदलाव यह है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट से वह शक्ति छिनना चाहती थी, जिसके तहत सुप्रीम कोर्ट संसद के किसी भी फैसले की समीक्षा कर सके। दूसरा बदलाव यह है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति को लेकर जो वर्तमान व्यवस्था है, उसमें बदलाव करना चाहती थी। इससे सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति करने में सरकार का दखल बढ़ जाता। तीसरा यह कि सरकार संसद को वह शक्ति देना चाहती थी, जिसके तहत संसद में साधारण बहुमत के जरिए सुप्रीम कोर्ट के किसी भी फैसले को पलटा जा सकता था।

क्यों हो रहा विरोध?

दरअसल लोगों का मानना है कि प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार ‘न्यायिक सुधार कानून’ के जरिए देश की न्यायपालिका को कमजोर करना चाहती है। इजरायल में कोई लिखित संविधान नहीं है। यही कारण है कि इजराइल के शासन तंत्र में संतुलन बनाए रखने में सुप्रीम कोर्ट की महत्वपूर्ण भूमिका है। ऐसे में लोगों को लग रहा है कि सरकार इन कानूनों के जरिए न्यायपालिका को अपने नियंत्रण में लाना चाहती है ताकि वह अपने मन मुताबिक फैसले करवा सके या न्यायपालिका के किसी फैसले को पलट सके।

खुद बचा रहे थे बेंजामिन नेतन्याहू :

कई लोगों का यह भी मानना है कि बेंजामिन नेतन्याहू खुद का बचाव करने के लिए ‘न्यायिक सुधार कानून’ लेकर आए थे। नेतन्याहू पर भ्रष्टाचार सहित कई अन्य मामले चल रहे हैं। ऐसे में वह इन कानूनों के जरिए न्यायपालिका पर नियंत्रण पाकर बरी होना चाहते थे। इसके अलावा अगर फैसला उनके खिलाफ भी आता है तो इस स्थिति में भी वह संसद के जरिए उस फैसले को पलट सकते थे।

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