आंसू गैस छोड़ने के बाद यह नजारा आम हुआ।
आंसू गैस छोड़ने के बाद यह नजारा आम हुआ। - Social Media
एशिया

मुलाजिमों से घिरी पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद, आंसू गैस छोड़ मारे लट्ठ

Author : Neelesh Singh Thakur

हाइलाइट्स –

  • कंगाल हुई पाकिस्तान सरकार

  • इस्लामाबाद में विरोध प्रदर्शन

  • इमरान सरकार के विरुद्ध लामबंदी

  • कर रहे वेतन में बढोत्तरी की मांग

राज एक्सप्रेस। पाकिस्तान में वेतन बढ़ाने की मांग पर ध्यान आकृष्ट कराने सरकारी कर्मचारी सड़कों पर उतर आए हैं। कर्मचारियों की मांग वेतन वृद्धि की थी लेकिन प्रधानमंत्री इमरान खान का विरोध करने पर लाठी और बंदूकों की धौंस दिखाकर प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले दागे गए। शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे सरकारी मुलाजिमों पर लाठीचार्ज भी किया गया।

सरकारी कर्मचारियों पर कार्रवाई।

सरकार पर आरोप -

पाकिस्तान की सरकार पर सरकारी कर्मचारियों का आरोप है कि हक की मांग करने पर सरकार लाठी और बंदूकों के दम पर निहत्थे कर्मचारियों की मांग को दबाने की कोशिश कर रही है। इसी कड़ी में बुधवार को पाकिस्तान में सचिवालय के पास एकत्रित सरकारी कर्मचारियों को पुलिस ने दमनकारी कार्रवाई के दौरान गिरफ्तार कर लिया।

राजधानी इस्लामाबाद में प्रदर्शन -

पाकिस्तान की मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में प्रदर्शनकारी सरकारी कर्मचारियों का जमावड़ा इमरान सरकार के लिए सिरदर्द साबित हो रहा है। राजधानी इस्लामाबाद में सचिवालय क्षेत्र, कैबिनेट इलाके के साथ ही न्यायालीन परिक्षेत्र में कर्मचारी सरकार का विरोध कर रहे हैं।

राजधानी में नेशनल प्रेस क्लब के बाहर भी कर्मचारियों ने जोरदार प्रदर्शन कर अपनी मांग दोहराई। प्रदर्शनकारी सरकारी कर्मचारियों में बलूचिस्तान और पंजाब के सरकारी कर्मचारी भी शामिल हैं। संसद भवन की ओर मार्च शुरू करने पर पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और कर्मचारियों पर लाठीचार्ज किया।

सरकार ने झाड़ा पल्ला -

सत्तासीन इमरान खान सरकार ने कर्मचारियों के आंदोलन को देश की सुरक्षा के लिए खतरा बताया है। सरकार के सूचना मंत्री शिबली फराज ने कहा कि प्रधानमंत्री इमरान खान खतरे वाले इलाकों की सुरक्षा के साथ ही प्रदर्शनकारी सरकारी मुलाजिमों के आंदोलन से चिंतित हैं।

सूचना मंत्री के मुताबिक प्रधानमंत्री इमरान खान ने संबंधित मंत्रालयों को आंदोलन के मुद्दों का निवारण तत्काल करने निर्देश दिये हैं।

कंगाली की ओर पाकिस्तान -

विदेश मामलों के जानकारों के मुताबिक पाकिस्तान सरकार की आर्थिक स्थिति इन दिनों काफी खराब है। आर्थिक रूप से कंगाल बताया जा रहा पाकिस्तान सरकारी कर्मचारियों का वेतन देने की स्थिति में तक नहीं है।

पाकिस्तान की मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पाकिस्तान का कुल रोजकोषीय घाटा जीडीपी के 8.6 फीसदी तक जा पहुंचा है। यदि सरकार कर्मचारियों के वेतन की मांग पर विचार करती है तो यह घाटा कई गुना बढ़ना तय है।

पाकिस्तानी पर इतना कर्ज -

हासिल आंकड़ों के अनुसार प्रत्येक पाकिस्तानी नागरिक पर अभी 1 लाख 75 हजार रुपये का कर्ज है। इमरान खान की सरकार ने इस कर्ज में 54901 रुपये का योगदान किया है। यह राशि कर्ज की कुल राशि का 46 फीसदी हिस्सा है।

दो साल में बढ़ा कर्ज -

पाकिस्तानियों पर कर्ज के इस बोझ में पिछले दो सालों के दौरान बढ़ोत्तरी हुई है। इमरान खान के पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनने के वक्त देश का प्रत्येक नागरिक 120099 रुपये के कर्ज के बोझ के तले दबा था।

अरबों डॉलर कर्ज का नतीजा -

पाकिस्तानी की संसद में पेश दो सालों के राजकोषीय नीति विवरण में जानकारी दी गई थी कि इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) नीत सरकार के कार्यकाल में नागरिकों पर 54,901 रुपये का कर्ज बढ़ गया।

आंकड़ों के मुताबिक जून 2018 में पाकिस्तान का कुल सार्वजनिक ऋण 120,099 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये रहा। इमरान खान सरकार के कार्यकाल के पहले साल के दौर में कर्ज की यह राशि 28 प्रतिशत बढ़कर 33,590 ट्रिलियन रुपये जा पहुंची। अगले साल इस कर्ज में 14 प्रतिशत तक और बढ़ोत्तरी देखी गई।

डॉन (dawn) की रिपोर्ट के अनुसार वेतन वृद्धि के लिए प्रदर्शन कर रहे सरकारी कर्मचारियों को नियंत्रित करने पुलिस को बल का प्रयोग करना पड़ा।

राजधानी पुलिस ने बुधवार को पाकिस्तान सचिवालय के पास वेतन वृद्धि की मांग कर रहे सरकारी कर्मचारियों को पीछे धकेलने के लिए आंसू गैस के गोलों का सहारा लिया।

कई गिरफ्तार -

पाकिस्तान के इस प्रमुख समाचार माध्यम डॉन के अनुसार प्रदर्शनकारी कई कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया। साथ ही सचिवालय ब्लॉक में फंसे लोगों ने बचने के लिए दरवाजा तक तोड़ दिया।

सचिवालय और कैबिनेट ब्लॉक के बाहर, संविधान एवेन्यू सहित शहर के कई इलाके कर्मचारियों के विरोध प्रदर्शन के गवाह बने। आपको बता दें कई सरकारी कर्मचारी विभिन्न मुद्दों पर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

प्रदर्शन की अहम वजह -

ऑल पाकिस्तान गवर्नमेंट एम्प्लाइज एसोसिएशन (APGE) और ऑल पाकिस्तान टीचर्स एसोसिएशन समूह सदस्य सभी संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण की मांग के साथ वेतन में असमानता के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।

पुलिस की कार्रवाई -

प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने पुलिस ने सड़कों पर कंटेनर रखवा दिए। इसके अलावा डी-चौक को सील कर दिया। APGE नेता रहमान बाजवा, बनारस जादौन और जावेद संजेरा की गिरफ्तारी की रिपोर्ट भी सामने आई है।

सरकार का रुख

सूचना मंत्री शिबली फ़राज़ ने इस्लामाबाद में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि प्रधानमंत्री मुद्दों के बारे में चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि तीन सदस्यीय सरकारी समिति जल्द ही एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करेगी।

"मुझे लगता है कि विरोध आज समाप्त हो जाएगा।"
शिबली फ़राज़, सूचना मंत्री, पाकिस्तान

रक्षा मंत्री ने रखा पक्ष -

एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, रक्षा मंत्री परवेज खट्टक, जो प्रदर्शनकारियों के साथ समिति की वार्ता का हिस्सा हैं, ने कहा कि सरकार कर्मचारियों को जून से पहले के महीनों के लिए एक विशेष भत्ता देना चाहती थी।

उन्होंने कहा कि एक आयोग भी इस मुद्दे को देख रहा है और बजट की घोषणा से पहले एक निर्णय देगा और समस्या हल हो जाएगी।

"सरकार की सीमाएं हैं एवं देश और राजकोष की स्थिति को ध्यान में रखते हुए जो उपयुक्त था उसी के अनुसार वेतन वृद्धि देने के लिए तैयार थी लेकिन अगर वे इसे अपनी शर्तों पर चाहते हैं, तो यह मुश्किल होगा।"
परवेज खट्टक, रक्षा मंत्री

प्रांतीय सरकारी कर्मियों का हवाला -

रक्षा मंत्री ने कहा कि एक और मुद्दा यह था कि प्रांतों के सरकारी कर्मचारी भी इस विरोध में शामिल हो गए थे, उन्होंने स्पष्ट किया कि केंद्र केवल तभी कुछ कर सकता है जब वह अपने कर्मचारियों से संबंधित हो।

"प्रांतीय समस्याओं का समाधान प्रांतीय सरकारों द्वारा किया जाता है, क्योंकि 18 वें संशोधन के बाद, हम उन्हें वेतन बढ़ाने का आदेश नहीं दे सकते।"
परवेज खट्टक, रक्षा मंत्री

कार्रवाई की निंदा -

इस बीच, पीपीपी अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने प्रदर्शनकारी सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ गिरफ्तारी और हिंसा की निंदा की है।

डिस्क्लेमर – आर्टिकल प्रचलित मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारी जोड़ी गई हैं। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।

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