नेपाल की साजिश, भारत से आपसी रिश्तों में दरार
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नेपाल की साजिश, भारत से आपसी रिश्तों में दरार-इलाकों पर जताया कब्‍जा

Priyanka Sahu

राज एक्‍सप्रेस। दुनिया भर में चीन के वायरस कोरोना या कहे कोविड-19 ने अपने पैर पसार रखे हैं, जिसके चलते भारत के अलावा सभी देश कोरोना से निपटने की जंग में लगे हैं। तो वहीं इन सबसे बीच भारत और नेपाल के बीच 'कालापानी बॉर्डर' का मुद्दा एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया है और दोनों यानी नेपाल-भारत के बीच दरार एवं विवाद बढ़ सकता है।

भारत के 3 इलाकों पर नेपाल का कब्‍जा :

दरअसल, नेपाल ने अपना नया मानचित्र यानी नक्शा तैयार कर ये साजिश रची है और भारत के एक नहीं बल्कि तीन इलाके को नेपाल ने अपने कब्‍जे में दिखाया है, जबकि ये इलाके भारत में आते हैं। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्‍व में कैबिनेट की बैठक के दौरान इस मैप यानी नक्‍शे को मंजूरी दी गई। नेपाल द्वारा जारी आधिकारिक नक्शे से नया विवाद खड़ा हो गया है।

कौन से हैं ये 3 इलाके :

  • लिंपियाधुरा

  • लिपुलेख

  • कालापानी

इतना नहीं नेपाल द्वारा नक्‍शा जारी किए जाने के बाद इस देश के राष्‍ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने ये बात भी कही कि, "लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी इलाके नेपाल में आते हैं और इन इलाकों को वापस पाने के लिए मजबूत कूटनीतिक कदम उठाए जाएंगे। नेपाल के सभी इलाकों को दिखाते हुए एक आधिकारिक मानचित्र जारी होगा।"

आर्मी चीफ के बयान के बाद लिया ये फैसला :

बता दें कि, पिछले दिनों पहले ही धारचूला से लिपुलेख तक नई रोड का रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की ओर से उद्घाटन किया गया था। हालांकि, इस दौरान नेपाल सरकार के एक मंत्री ने काठमांडू पोस्ट से कहा, सरकार भारत की तरफ से हो रहे अतिक्रमण को लंबे वक्त से बर्दाश्त कर रही थी, लेकिन फिर भारतीय रक्षा मंत्री ने लिपुलेख में नई सड़क का उद्घाटन कर दिया। हमें लग रहा था कि, भारत हमारी वार्ता की मांग को गंभीरता से ले रही है, लेकिन जब आर्मी चीफ ने विवादित बयान दिया तो हम घबरा गए, आखिरकार हमने नया नक्शा जारी करने का फैसला किया।

क्‍या था आर्मी चीफ का बयान :

दरअसल, भारतीय सेना प्रमुख एम. एम नरवणे ने चीन का नाम लिए बगैर कहा था कि, "लिपुलेख पर नेपाल किसी और के इशारे पर विरोध कर रहा है।''

क्‍या है ये विवाद ?

सबसे पहले नेपाल और ब्रिटिश भारत के विवाद की शुरूआत सन् 1816 में शुरू हुई थी, इस दौरान दोनों देशों के बीच सुगौली की संधि हुई थी, जिसके तहत दोनों के बीच महाकाली नदी को सीमारेखा माना गया था। वहीं, नेपाल 'कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा' पर सुगौली संधि के आधार पर अपना दावा पेश करता है। हालांकि, दोनों देश आपसी बातचीत से सीमा विवाद का हल निकालने की पक्ष जुटाव करते आए हैं, परंतु अब नेपाल का रुख बदला-बदला नजर आ रहा है और ये माना जा रहा है कि, चीन ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। कोरोना संकटकाल के बीच नेपाल के इस तरह के व्‍यवहार के लिए भारत चीन को जिम्‍मेदार मान रहा है।

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