पापुआ न्यू गिनी जोरदार भूकंप के झटकों से थर्राया
पापुआ न्यू गिनी जोरदार भूकंप के झटकों से थर्राया Syed Dabeer Hussain - RE
दुनिया

पापुआ न्यू गिनी जोरदार भूकंप के झटकों से थर्राया

Priyanka Sahu

पापुआ न्यू गिनी। देश इन दिनों अलग-अलग तरह की कई समस्याओं का सामना कर रहा है। इन समस्याओं में प्राकृतिक आपदा जैसे भूंकप के झटके भी शामिल हैं। अब उत्तर पूर्वी पापुआ न्यू गिनी (Papua New Guinea) में आज रविवार को भूकंप आने की खबर सामने आई है।

पापुआ न्यू गिनी में आए भूकंप की तीव्रता :

बताया जा रहा है कि, उत्तर पूर्वी पापुआ न्यू गिनी में आए सुबह 6:46 बजे भूकंप की तीव्रता क्‍या रही। इस बारे में अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (US Geological Survey) ने भूकंप की तीव्रता 7.6 मापी गई है, शुरुआती रीडिंग में भूकंप का केंद्र कम आबादी वाले क्षेत्र केनंटू से 67 किलोमीटर (42 मील) पूर्व में लगभग 50 से 60 किलोमीटर (30 से 40 मील) की गहराई पर था। इस दौरान NOAA की सलाह में कहा गया है कि, ''इलाके के लिए सुनामी का कोई खतरा नहीं है। भूकंप से हुए नुकसान के बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है, लेकिन यूएसजीएस का अनुमान है कि, भूकंप की तीव्रता को देखते हुए कुछ लोगों के हताहत होने और संपत्ति का नुकसान होना संभव है और इसका प्रभाव अपेक्षाकृत स्थानीय होना चाहिए।

भूकंप की स्थिति में क्या करें, क्या न करें

  • भूकंप आने पर आप घर से बाहर हैं तो ऊंची इमारतों, बिजली के खंभों आदि से दूर रहें।

  • भूकंप के झटके महसूस बंद होने तक बाहर ही रहें।

  • यदि आप गाड़ी चला रहे हो तो गाड़ी को रोक लें और गाड़ी में ही बैठे रहें।

  • पुल या सड़क पर जाने से बचें।

  • भूकंप आने के वक्त यदि आप घर में हैं तो फर्श पर बैठ जाएं।

  • यदि आप घर से बाहर नहीं निकल सकते तो, घर के किसी कोने में चले जाएं।

  • घर में कांच, खिड़कियों, दरवाज़ों और दीवारों से दूर रहें।

  • भूकंप के समय लिफ्ट का इस्तेमाल करने से बचें।

क्यों आता है भूकंप :

भूकंप के बारे में आए दिन ही खबरें लगातार सामने आ रही हैं, किसी न किसी राज्य में भूकंप के झटके महसूस हो रहे हैं। ऐसे में बार-बार भूकंप के चलते मन में सवाल आता ही होगा कि, आखिर क्‍यों बार-बार भूकंप के झटके लग रहे हैं। दरअसल, धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी होती है। इनर कोर, आउटर कोर, मैन्टल और क्रस्ट। क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल कोर को लिथोस्फेयर कहते हैं। ये 50 किलोमीटर की मोटी परत कई वर्गों में बंटी हुई है, जिसे टैक्टोनिक प्लेट्स कहते हैं। ये टैक्टोनिक प्लेट्स अपनी जगह पर कंपन करती रहती हैं और जब इस प्लेट में बहुत ज्यादा कंपित हो जाती हैं, तो भूकंप के झटके महसूस होते हैं।

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