अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस Syed Dabeer Hussain - RE
दुनिया

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस आज, जानिए क्यों और किसकी याद में मनाया जाता है यह दिवस?

Vishwabandhu Pandey

राज एक्सप्रेस। हर साल 21 फरवरी का दिन पूरी दुनिया में International Mother Language Day यानि अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य दुनियाभर के लोगों में अपनी भाषा और संस्कृति के प्रति रुझान पैदा करना और उन्हें इस बारे में जागरूक करना है। ताकि लोगों को अपनी मातृभाषा बोलने में शर्म नहीं बल्कि गर्व की अनुभूति हो। तो चलिए जानते हैं कि मातृभाषा किसे कहते हैं? और अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने की शुरुआत कैसे हुई?

मातृभाषा किसे कहते हैं?

दरअसल मातृभाषा से आशय ऐसी भाषा से होता है, जिसे बच्चा पैदा होने के बाद अपनी मां या परिवार से सीखता है। यानि बच्चा जन्म के बाद जिस भाषा को सबसे पहले सीखता है, वही मातृभाषा कहलाती है। मातृभाषा के जरिए ही हम अपनी संस्कृति या धरोहर से जुड़ते हैं। किसी भी व्यक्ति के लिए अपनी मातृभाषा का ज्ञान होना बहुत आवश्यक है।

कैसे हुई शुरुआत?

बता दें कि अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने की शुरुआत बांग्लादेश से हुई थी। दरअसल साल 1952 में ढाका विश्वविद्यालय के छात्रों और कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपनी मातृभाषा को बचाने के लिए एक आंदोलन किया। हालांकि यह आंदोलन पाकिस्तान की तत्कालीन सरकार को पसंद नहीं आया और पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे लोगों पर गोलियां बरसानी शुरू कर दी। इस घटना में 16 लोगों की जान चली गई। बाद में इन्हीं लोगों की याद में 21 फरवरी 1999 को यूनेस्को ने अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने की घोषणा की।

भारत में कितनी मातृभाषा?

साल 2011 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार भारत में मातृ भाषाओं की कुल संख्या 19 हजार से अधिक है। हालांकि इसमें से 121 भाषाएं ऐसी हैं, जिन्हें 10 हजार से अधिक लोग बोलते हैं। इस दौरान यह भी सामने आया है कि एक घर के सदस्यों की मातृभाषा अलग-अलग हो सकती है।

हिंदी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली मातृभाषा :

साल 2011 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार भारत में 43.63 फीसदी लोग हिंदी को अपनी मातृभाषा मानते हैं। इसके बाद दूसरे नंबर पर बंगला और तीसरे नंबर पर मराठी भाषा सबसे अधिक बोली जाती है। वहीं अगर गैर सूचीबद्ध भाषाओं की बात करे तो राजस्थान में बोली जाने वाली भीली इस सूची में पहले जबकि गोंडी भाषा दूसरे नंबर पर आती है।

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