दुनिया के एक और देश में छाया गंभीर आर्थिक संकट
दुनिया के एक और देश में छाया गंभीर आर्थिक संकट Syed Dabeer Hussain - RE
मिडिल ईस्ट

दुनिया के एक और देश में छाया गंभीर आर्थिक संकट, 90 फीसदी आबादी के पास जरूरत के पैसे नहीं

Vishwabandhu Pandey

हाइलाइट्स :

  • मध्य-पूर्व का ‘पेरिस’ कहा जाने वाला लेबनान में छाया गंभीर आर्थिक संकट।

  • 90 फीसदी जनता के पास खाने का सामान खरीदने के लिए पैसे नहीं बचे।

  • लेबनान में आसमान छू रही है महंगाई।

  • लेबनान की हालत के पीछे भ्रष्टाचार और गलत आर्थिक नीतियां।

राज एक्सप्रेस। वर्तमान समय में भारत के दो पड़ोसी देश पाकिस्तान और श्रीलंका भीषण आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं। दोनों ही देशों में आर्थिक संकट के पीछे भ्रष्टाचार और गलत नीतियां एक बड़ी वजह है। अब दुनिया का एक ओर देश अपनी गलतियों के चलते इस संकट में फंस गया है। मध्य-पूर्व का ‘पेरिस’ कहा जाने वाला लेबनान आज इस स्थिति में आ गया है कि उसकी मुद्रा की कीमत 90 फीसदी तक गिर चुकी है। देश की 90 फीसदी जनता के पास खाने का सामान खरीदने के लिए पैसे नहीं बचे हैं। लोग बैंक में रखे अपने ही पैसे नहीं निकाल पा रहे हैं। तो चलिए जानते हैं कि लेबनान में स्थति कितनी खतरनाक है और इसके पीछे क्या बड़ी वजह है?

अपने पैसे के लिए डकैती

लेबनान के केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने 30 सालों बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। देश के साथ-साथ वहां का केंद्रीय बैंक भी दिवालिया हो चुका है। वहां हालात यह है कि लोगों को बैंक में रखे अपने ही पैसे निकालने के लिए बैंक में डकैती करना पड़ रही है। लोग बैंककर्मियों को डरा-धमकाकर उनसे अपने खाते में जमा पैसा निकाल रहे हैं।

आसमान छू रही मंहगाई

लेबनान में इस समय महंगाई आसमान छू रही है। मार्च में इस मुस्लिम देश में महंगाई दर 264 फीसदी तक पहुंच गई थी। वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार फरवरी 2022 से फरवरी 2023 के बीच लेबनान में खाद्य महंगाई दर सबसे अधिक थी। बेतहाशा महंगाई के चलते जिन लोगों के पास थोड़ा बहुत पैसा है, वह भी अपनी जरूरत का सामान नहीं खरीद पा रहे हैं।

क्यों बिगड़े हालात?

लेबनान की इस बुरी हालत के पीछे भ्रष्टाचार और गलत आर्थिक नीतियां हैं। 30 सालों तक केंद्रीय बैंक के गवर्नर रहे रियाद सलामेह ने जमकर कर्ज बांटे। खास बात यह है कि उन्होंने उन लोगों को भी कर्ज दिया, जो पिछला कर्ज ही नहीं चुका पा रहे थे। उन पर पैसों के गबन का भी आरोप है। जर्मनी और फ्रांस में उनकी संपत्ति जब्त की जा चुकी है। इसके अलावा पिछले कुछ सालों में विदेशों से आए मदद के पैसों का भी सही जगह उपयोग नहीं किया गया।

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