हाइलाइट्स :
जम्मू-कश्मीर के मसले पर चीन-पाक की पैंतरेबाजी
UNSC में चीन ने फिर उठाया कश्मीर मसला, नहीं बनी बात
कश्मीर मामले पर चीन को छोड़कर अन्य 4 देश भारत के साथ
सदस्यों ने विरोध कर कहा- यह मुद्दे यहां उठाने की जरूरत नहीं
राज एक्सप्रेस। पाकिस्तान को सिर्फ उसका सदाबहार दोस्त चीन ही साथ दे रहा है, तो वहीं बाकी अन्य देश भारत के साथ हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद बैठक (UNSC Meeting) के दौरान भी कुछ ऐसा ही देखने मिला। जम्मू-कश्मीर मसले पर पाकिस्तान ने चीन के जरिये फिर पैंतरेबाजी की, परंतु फिर भी पाकिस्तान को नाकामी ही हाथ लगी है।
न्यूयॉर्क में बंद कमरे में UNSC बैठक :
दरअसल, हर बार की तरह इस बार भी 15 जनवरी को न्यूयॉर्क में बंद कमरे में हुई UNSC बैठक में जम्मू-कश्मीर मामले पर चीन द्वारा पाकिस्तान का समर्थन करते हुए अन्य देशों का समर्थन पाने की कोशिश की गयी, तो इस पर चीन को मुंह की खानी पड़ी, क्योंकि अन्य देशों के स्थायी सदस्यों फ्रांस, अमेरिका, ब्रिटेन और रूस के साथ 10 सदस्यों ने विरोध करते हुए कहा कि, इस मुद्दे को यहां उठाने की जरूरत नहीं, इस पर बहस के लिए यह सही जगह नहीं है, यह भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मुद्दा है।
पाक की अपील पर चीन ने रखा यह प्रस्ताव :
चीन द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में एओबी (एनी अदर बिजनेस) के तहत कश्मीर मसले पर क्लोज डोर मीटिंग का प्रस्ताव रखा और यह प्रस्ताव चीन ने पाकिस्तान द्वारा की गयी अपील पर रखा था, जो विफल रहा।
भारत के स्थायी प्रतिनिधि ने कहा-
यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, 'एक बार फिर हमने देखा कि एक सदस्य ने यह मुद्दा उठाने की कोशिश की, जिसे अन्य किसी का समर्थन नहीं मिला। हमें खुशी है कि इस मामले में पाकिस्तानी के किसी अनर्गल आरोप को सुरक्षा परिषद ने चर्चा योग्य नहीं पाया।'
UNSC बैठक में कौन-कौन होता है शामिल?
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की जब भी बैठक होती है, तो इस दौरान 5 देशों के स्थाई सदस्य अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन, जबकि 10 निर्वाचित सदस्यों का निश्चित कार्यकाल होता है। हर बार चीन यह चारों देशों से जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर समर्थन की बात करता है, लेकिन यह देश भारत सरकार के रुख का समर्थन करते हुए मुद्दे पर दखल देने से इंकार कर देते हैं।
बताते चलें कि, इसस पहले पिछले माह में भी बैठक के दौरान फ्रांस, अमेरिका, रूस और ब्रिटेन ने चीन द्वारा कश्मीर मुद्दे को उठाने के मंसूबों पर पानी फेर दिया था और यहीं बात कही थी कि, यह दो देशों के बीच का मामला है।
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