इतिहास के 5 विनाशकारी भूकंप
इतिहास के 5 विनाशकारी भूकंप Syed Dabeer Hussain - RE
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जब भूकंप के चलते गई लाखों जिंदगियाँ, जानिए इतिहास के 5 विनाशकारी भूकम्पों के बारे में

Vishwabandhu Pandey

राज एक्सप्रेस। सोमवार को तुर्की में आए भीषण भूकंप से चारों ओर तबाही फैल गई है। भूकंप के चलते तुर्की और सीरिया में अब तक 5000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी हैं, वहीं हजारों लोग लापता है। फिलहाल वहां रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। माना जा रहा है कि जैसे-जैसे रेस्क्यू ऑपरेशन आगे बढेगा, वैसे-वैसे मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है। तुर्की में आए भूकंप की तीव्रता 7.8 मापी गई है। तो चलिए आज हम इतिहास में आए उन 5 भूकम्पों के बारे में बात करेंगे, जिसके चलते लाखों लोगों की जान चली गई थी।

साल 1556, चीन :

इतिहास का सबसे विनाशकारी भूकंप 23 जनवरी 1556 को चीन के शांशी प्रांत में आया था। करीब 8 मैग्नीट्यूड की तीव्रता वाले इस भूकंप से कई जगहों पर जमीन फट गई थी। इस भूकंप के चलते चीन में 8 लाख 30 हजार लोगों की मौत हो गई थी, यह आबादी शांशी प्रांत की करीब 60 फीसदी थी।

साल 2010, हैती :

साल 2010 में हैती में 21वीं सदी का सबसे विनाशकारी भूकंप आया था। 7 मैग्नीट्यूड की तीव्रता वाले इस भूकंप के झटके पड़ोसी देश क्यूबा और वेनेजुएला में भी महसूस किए गए थे। इस भूकंप के कारण हैती में 3 लाख 16 हजार लोगों की मौत हो गई थी, जबकि लाखों लोग बेघर हो गए थे।

साल 1976, चीन :

चीन की राजधानी बीजिंग के उत्तर-पूर्व में स्थित तांगशान शहर में साल 1976 में इतना जोरदार भूकंप आया था, जिससे पूरा शहर ही तहस-नहस हो गया था। भूकंप इतना तेज था कि शहर के सबसे बड़े अस्पताल सहित सड़कें, पुल, रेलवे स्टेशन, घर और फैक्ट्रियां तबाह हो गई थीं। करीब 8.3 मैग्नीट्यूड की तीव्रता वाले इस भूकंप के चलते 2 लाख 42 हजार लोगों की मौत हो गई थी।

साल 2004, इंडोनेशिया :

इंडोनेशिया के सुमात्रा में साल 2004 में 9.1 मैग्नीट्यूड की तीव्रता वाला भूकंप आया था। यह भूकंप इतना जोरदार था कि इससे हिंद महासागर में सुनामी आ गई थी। इस भूकंप के चलते इंडोनेशिया, श्रीलंका, भारत और थाईलैंड में 2 लाख 25 हजार से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। भारत में इस भूकंप से 16 हजार से अधिक लोग मारे गए थे।

साल 2008, चीन :

चीन के सिचुआन प्रांत में साल 2008 में 8.2 मैग्नीट्यूड की तीव्रता वाला भूकंप आया था। इस भूकंप के चलते चीन में करीब 87 हजार लोगों की मौत हो गई थी, वहीं साढ़े तीन लाख से अधिक लोग घायल हो गए थे।

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