gurjeet kaur
सतना जिले के मैहर शहर में विंध्य पर्वत श्रृंखला की त्रिकूट पहाड़ी पर स्थित मैहर माता मंदिर भारत के सबसे दिव्य और 52 शक्तिपीठों में से एक है। मैहर माता मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहां आल्हा-उदल 900 साल से आज भी जीवित है और देवी को प्रतिदिन जल और पुष्प चढ़ाने के लिए आते हैं।
आगर मालवा जिले के नलखेड़ा में लखुन्दर नदी के तट पर पूर्वी दिशा में मां बगलामुखी मंदिर स्थित है। यहां बगलामुखी की मूर्ति स्वयंभू है। मां बगलामुखी के दाएं ओर धनदायिनी महालक्ष्मी और बाएं ओर विद्यादायिनी महासरस्वती विराजमान हैं। यहां लोग चुनाव में जीत, शत्रु का नाश और कोर्ट केस जैसी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए विशेष पूजन और अनुष्ठान करवाते हैं।
माँ पीताम्बरा शक्तिपीठ दतिया शहर के बीचो बीच स्थित है। यहां पीताम्बरा माता दिन के तीनों प्रहरों में अलग-अलग स्वरूपों में दर्शन देती हैं। इस मंदिर की स्थापना सिद्ध संत स्वामीजी ने साल 1935 में करवाई थी। राजसत्ता की कामना रखने वाले लोग यहां आकर माता की गुप्त रूप से विशेष पूजा करवाते हैं।
देवास जिले में स्थित देवी वैशिनी पहाड़ी पर टेकरी मंदिर है, जहां देवी तुलजा भवानी, चामुंडा माता और कालिका माता का मंदिर है। मुख्य रूप से देवी के दो मंदिर हैं जिन्हें छोटी माता (चामुंडा माता) और अन्य बड़ी माता (तुलजा भवानी माता) कहा जाता है। एक मान्यता के अनुसार यहाँ देवी माँ के दो स्वरूप अपनी जागृत अवस्था में हैं, जो भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं।
सीहोर जिले में रेहटी क्षेत्र के सलकनपुर में माता बिजासन का भव्य मंदिर है। 300 साल पहले बंजारों ने अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर विंध्याचल पहाड़ी मंदिर बनवाया था। सलकनपुर का देवीधाम एक हजार फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित है, जहां पहुंचने के लिए 1400 से अधिक सीढिय़ां चढऩीं पड़ती हैं।
उज्जैन स्थित हरसिद्धि मंदिर में सालभर में तीन बार गुप्त नवरात्र, चैत्र नवरात्र और कुंवार माह की नवरात्र का पर्व मनाया जाता है। नवरात्र के दौरान माता हरसिद्धि 9 दिन भक्तों को अलग-अलग रूप में दर्शन देती हैं। हरसिद्धि दुर्गा मंदिर का निर्माण राजा विक्रमादित्य द्वारा किया गया था।
ग्वालियर से 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित माँ शीतला मंदिर एक प्राचीन देवी स्थान है। इस चमत्कारी मंदिर क्षेत्रीय लोगों के लिए आस्था का बड़ा केंद्र है। नवरात्र के समय में हजारों श्रद्धालु ग्वालियर शहर से पैदल चलकर माँ शीतला के दर्शन करने आते हैं ।
मध्यप्रदेश के अमरकंटक जबलपुर के कालमाधव स्थित शोन नदी तट के पास माता का बायां नितंब गिरा था जहां एक गुफा है। इस शक्तिपीठ पर शक्ति को ‘काली’ तथा भैरव को ‘असितांग’ कहा जाता है। शक्ति का यह पावन स्थल काफी सिद्ध और शुभ फल प्रदान करने वाला है।
गढ़ कालिका का प्राचीन मंदिर धार शहर की ऊंची पहाड़ी की चोटी पर देवी सागर तालाब के पास स्थित है। यह मंदिर धार के पंवार राजवंश द्वारा स्थापित किया गया था। यह प्राचीन भारतीय मंदिर वास्तुकला का एक अनूठा उदाहरण है।
मध्यप्रदेश के अमरकंटक स्थित नर्मदा नदी के उद्गम स्थल पर शोणदेश स्थान पर माता का दायां नितंब गिरा था। यहां शोणदेश नर्मदा शक्तिपीठ है।
ये हैं मध्यप्रदेश की UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज साइट