gurjeet kaur
विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता में से एक है सिंधु घाटी सभ्यता। हजारों साल पुरानी यह सभ्यता अपने समय की सबसे आधुनिक संस्कृति थी। यह सभ्यता सिंधु - सरस्वती नदी के किनारों पर स्थित थी इसलिए इसे सिंधु घाटी सभ्यता कहा जाता है। इसका एक नाम हड़प्पा संस्कृति भी है।
अब तक इस संस्कृति को 2500 से 3000 ईसा पूर्व तक पुरानी माना जाता था लेकिन ताजा शोध के मुताबिक यह संस्कृति 7000 से 8000 साल तक पुरानी है। अब तक दो बार सिंधु सभ्यता से जुड़े स्थलों की खुदाई की जा चुकी है। तीसरे दौर की खुदाई में महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई है।
इस सभ्यता की पहुंच ईरान, ईराक और अफगानिस्तान तक थी। हड़प्पा सभ्यता से जुड़ी मुहर और धातु के सिक्के यहाँ पाए गए हैं। इस सभ्यता के लोग कृषि, वस्त्र और शिल्प उद्योग में काफी विकसित थे। इस संस्कृति के लोगों में अधिकतर शिल्प वर्ग के थे। मिट्टी के बर्तन, धातु के सामान और आभूषण बनाना इनकी विशेषता थी।
इस सभ्यता के प्रमुख शहरों में मोहनजोदड़ो, धौलावीरा, राखीगढ़ी, बनावली, लोथल और कालीबंगा शामिल है। राखीगढ़ी में तो दो बार खुदाई हो चुकी है। पुरातत्व से जुड़े विशेषज्ञों ने यहाँ तीसरे दौर की खुदाई की है। इसमें कई महत्वपूर्ण साक्ष्य मिले हैं।
सिंधु घाटी सभ्यता के लोग फैशन के बेहद शौकीन थे। पुरातत्व द्वारा की गई खुदाई में कई आभूषण, सज सज्जा का सामान और दर्पण भी प्राप्त हुआ है। यहाँ प्राप्त मूर्तियों के अवशेषों को देखने में पता चलता है कि, पुरुष भी आभूषण पहना करते थे।
सिंधु घाटी सभ्यता जो इतनी आधुनिक और इतने बड़े क्षेत्र में व्यापक थी कैसे विलुप्त हो गई इसे लेकर शोधकर्ताओं में मतभेद है। किसी का कहना है बाहरी आक्रमणकर्ताओं के आक्रमण से इस संस्कृति का पतन हुआ तो किसी का मानना है कि, सरस्वती नदी के सूखने से यहाँ के लोग सुदूर क्षेत्रों में चले गए। पतन का एक अन्य कारण बाढ़ भी माना जाता है।
सिंधु घाटी सभयता के लोग किस भाषा और लिपि में लिखते, बोलते थे वह अभी तक पढ़ी नहीं जा सकी है। इस सभ्यता से जुड़े लोगों द्वारा लिखे गए कुछ अभिलेख भी मिले हैं। इन अभिलेखों को जिस दिन पढ़ लिया जाएगा उस दिन कई और राज खुलेंगे।
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