भगत सिंह की जयंती पर जाने उनकी जीवन यात्रा

Shreya N

भगत सिंह को देश सेवा के भाव अपने परिवार से ही मिले थे। ऐसा माना जाता है कि एक बार बचपन में उन्होंने अपने खेत में बंदूक गाड़ दी थी, जिससे भविष्य में और बंदूकें उग आए और अंग्रेजों से लड़ने में काम आए।

बचपन से ही क्रांतिकारी विचार | Zeeshan Mohd - RE

1919 में हुए जलियांवाला बाग हत्याकांड ने भगत सिंह पर गहरा प्रभाव डाला। इस घटना के बाद ही उनके भीतर क्रांति की ज्वाला भड़की।

जलियांवाला बाग हत्याकांड ने बनाया क्रांतिकारी | Zeeshan Mohd - RE

भगत सिंह के घर वालों ने जब उनकी शादी करवानी चाही तो उन्होंने आज़ादी की लड़ाई लड़ने शादी से इंकार कर दिया। वे चंद्रशेखर आज़ाद से मिले और HRA के सदस्य बन गए।

शादी से इंकार | Zeeshan Mohd - RE

कॉलेज में पढ़ाई के समय से ही भगत सिंह ने अपने लेखों के जरिए लोगों में क्रांति के भाव जागृत किये। उनके लेख रंजीत सिंह नाम से छपते थे। जेल में रहने के दौरान भी उन्होंने कई पत्र व निबंध लिखे, जिनमें से ‘मैं नास्तिक क्यों हूं’ बहुत प्रचलित है।

अखबार में छांपे कई लेख | Zeeshan Mohd - RE

1928 में साइमन कमिशन के विरोध के दौरान हुई लाला लाजपत राय की मृत्यु का बदला लेने भगत सिंह अपने साथियों के साथ ब्रिटिश सिपाही स्कॉट को मारने निकले थे। पर गोली लग गई दूसरे सिपाही सॉन्डर्स को। इसके बाद सिंह, आज़ाद और राजगुरू रूप बदलकर लाहौर से भागे थे।

सॉन्डर्स की हत्या | Zeeshan Mohd - RE

1929 में भगत सिंह ने अपने साथी बी. के. दत्त के साथ दिल्ली असेंबली में बम फेंका था। इसका उद्देश्य किसी को मारना नहीं, बल्कि असेंबली को बिल पास करने से रोकना तथा लोगों तक अपनी आवाज़ पहुंचाना था। इसके बाद दोनों क्रांतिकारियों ने अपनी गिरफ्तारी भी दे दी थी।

दिल्ली असेंबली में बम | Zeeshan Mohd -RE

जेल की सजा के दौरान वहां की सुविधाओं, खान-पान और कैदियों के साथ हो रहे भेद-भाव के विरोध में भगत सिंह ने साथियों के साथ भूख हड़ताल की। उनकी 116 दिन की भूख हड़ताल के सामने अंग्रेजों को झुकना पड़ा। इस दौरान भगत सिंह की प्रसिद्धी भी बहुत अधिक बढ़ गई थी।

जेल में भूख हड़ताल | Zeeshan Mohd - RE

भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को फांसी देने की तारीख 24 मार्च 1931 थी। पर उन्हें 1 दिन पहले, 23 मार्च को शाम 7:30 बजे ही फांसी दे दी गई। उनका मृत शरीर भी उनके परिवार को देने के बजाय, जलाकर नदी में डाल दिया गया था।

समय से पहले फांसी | Zeeshan Mohd - RE

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