Kavita Singh Rathore
भारत के गुजरात में पहला ज्योतिलिंग 'सोमनाथ' समुद्र तट पर स्थित है। यहां की मान्यता है कि, यहां पर विधि-विधान से भगवान शिव का पूजन, स्मरण, मंत्र, जप एवं रुद्राभिषेक आदि करने पर सभी संकट और पाप दूर हो जाते हैं।
मल्लिकार्जुन ज्योतिलिंग आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले में स्थित है। इस मंदिर की मान्यता है कि, कार्तिकेय के जाने पर भगवान शिव उस क्रौंच पर्वत पर ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए तब से वे 'मल्लिकार्जुन' ज्योतिर्लिंग के नाम से प्रसिद्ध हुए।
महाकालेश्वर मंदिर मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित है। यह 12 ज्योतिर्लिंगों में तीसरा और 18 महा शक्ति पीठों में से एक है। महाकाल मंदिर की स्थापना 25 लाख वर्ष यानि द्वापर युग से पहले हुई थी। महाकालेश्वर की मूर्ति सभी ज्योतिर्लिंगों में इकलौती 'दक्षिणामूर्ति' है।
मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित ओंकारेश्वर (ॐकारेश्वर) ज्योतिर्लिंग को परमेश्वर लिंग के नाम से भी जाना जाता है। यहां की धार्मिक मान्यता है कि 'बाबा भोलेनाथ यहां रात्रि में शयन के लिए आते हैं। यह पृथ्वी पर एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां शिव-पार्वती रोज चौसर पांसे खेलते हैं।
उत्तराखंड के पहाड़ो गोद में स्थित केदारनाथ मंदिर जाना हर किसी का सपना होता है। इस मंदिर की भगवान से भक्तों के सीधे मिलन की मान्यता है।
भीमशंकर महादेव काशीपुर में भगवान शिव का प्रसिद्ध मंदिर है। मान्यता है कि जो भक्त इस मंदिर के प्रतिदिन सुबह सूर्य निकलने के बाद 12 ज्योतिर्लिगों का नाम जापते हुए इस मंदिर के दर्शन करता है, उसके सात जन्मों के पाप दूर होते हैं तथा उसके लिए स्वर्ग के मार्ग खुल जाते हैं।
उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर में अगर भक्त एक बार दर्शन और पवित्र गंगा में स्नान कर ले तो उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।
त्र्यंबकेश्वर शिव मंदिर महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित है। त्र्यंबकेश्वर ज्योर्तिलिंग के दर्शन मात्र से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। साथ ही पापों से मुक्ति मिल जाती है।
झारखंड स्थित बैद्यनाथ मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है जिन लोगों का विवाह नहीं हो रहा हो वह यहां आकर शिवजी का जलाभिषेक करें तो भोलेनाथ के आशीर्वाद से एक साल के अंदर उनकी शादी हो जाती है।
नागेश्वर मंदिर गुजरात के बाहरी क्षेत्र में द्वारिकापुरी से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। नागेश्वर का अर्थ है 'नागों के भगवान'। इसलिए जो नागेश्वर की पूजा करता है उसका मन और शरीर जहर मुक्त होगा।
रामेश्वर ज्योतिलिंग तमिल नाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है। यहां की मान्यता है कि रावण के वध के बाद भगवान राम अपनी पत्नी देवी सीता के साथ रामेश्वरम के तट पर कदम रखकर भारत लौटे थे और भगवान श्रीराम ने लंका से लौटते समय महादेव की इसी स्थान पर पूजा की थी।
महाराष्ट्र में औरंगाबाद के नजदीक दौलताबाद से 11 किलोमीटर दूर घृष्णेश्वर महादेव का मंदिर बना है। इस मंदिर की मान्यता है यहां निसन्तान जोड़ों को सन्तान की प्राप्ति होती है।