हॉकी के जादुगर मेजर ध्यानचंद के कुछ अचीवमेंट्स

राज एक्सप्रेस & Kavita Singh Rathore

एम्स्टर्डम समर ओलंपिक में भारत ने अपने सारे मैच जीतकर गोल्ड मेडल हासिल किया था। ध्यानचंद इस ओलंपिक में 14 गोल्स के साथ हाईएस्ट स्कोरर रहे थे।

1928 ओलंपिक में गोल्ड और सबसे ज्यादा गोल | Syed Dabeer Hussain - RE

मेजर ध्यानचंद के खेल को देखकर हॉकी की दुनिया में सब उन्हें जादुगर कहने लगे। फाइनल में नीदरलैंड को अपनी हार पर विश्वास नहीं हुआ और उन्हें लगा कि ध्यानचंद की हॉकी में मेगनेट लगा है। जिसके बाद नीदरलैंड की ऑथोरीटीस ने ध्यानचंद की हॉकी तोड़ दी पर उन्हें कोई मेगनेट नहीं मिला।

नीदरलैंड ने तोड़ दी थी ध्यानचंद की हॉकी स्टीक | Syed Dabeer Hussain - RE

1932 ओलंपिक में भी मेजर ध्यानचंद ने अपने भाई रुप सिंह के साथ जलवा जारी रखा। ओलंपिक फाइनल में भारत ने युएसऐ को 24-1 से हराया जो उस समय की सबसे बड़ी जीत थी। दोनों भाइयों की जोड़ी ने भारत के लिए 35 में से कुल 25 गोल किये।

1932 में गोल्ड और वर्ल्ड रिकोर्ड | Syed Dabeer Hussain - RE

1934 में ध्यानचंद ने न्युज़ीलैंड, भारत, ऑस्ट्रेलिया, और श्रीलंका में कुल 23 मैच खेलें जिसमें उन्होंने 201 गोल किये।

बाइलेटरल मुकाबलों में भी जारी रहा दबदबा | Syed Dabeer Hussain - RE

1936 के बर्लिन ओलंपिक में ध्यानचंद को कप्तानी मिली और भारत ने फिर एक बार गोल्ड पर कब्ज़ा किया। इस ओलंपिक में भारत के खिलाफ सिर्फ एक गोल हुआ वो भी फाइनल में। भारत ने जर्मनी को 8-1 से हराया जिसमें 3 गोल ध्यानचंद ने किये।

1936 बर्लिन ओलंपिक और कप्तानी | Syed Dabeer Hussain - RE

ध्यानचंद ने 3 ओलंपिक के 12 मैचों में कुल 33 गोल किये है। इसके अलावा ध्यानचंद ने अपने करियर में 1000 से भी ज्यादा गोल किये है जिसमें 570 अंतरराष्ट्रीय गोल शामिल हैं।

500+ इंटरनेशनल गोल | Syed Dabeer Hussain - RE

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