Shreya N
अमृतसर दिवाली मनाने, एक बहुत सुंदर जगह है। 1619 की दिवाली के दिन, सिक्खों के छठे गुरू, गुरू हरगोबिंद जी की मुगलों से रिहाई हुई थी। अमृतसर की दिवाली में इसी बात का जश्न मनाया जाता है। इस दिन सभी लोग स्वर्ण मंदिर में आकर दीप जलाते हैं, और पूजा करते हैं। साथ ही शहर की सड़को पर विशाल जुलूस निकलता है।
उदयपुर शहर अपने ऐतिहासिक किलों के लिए जाना जाता है। दिवाली के समय, ये किले बहुत ही सुंदर लाइटों से सजे होते हैं। इसके अलावा, साल 2012 से उदयपुर में दिवाली के समय भव्य लाइट फेस्टिवल भी मनाया जाता है, जिससे पूरा शहर जगमगा उठता है। दिवाली में इस उत्सव का आनंद लेना, एक अविस्मरणीय अनुभव होता है।
दिवाली के समय, मैसूर पैलेस बहुत आतुरता से मेहमानों का स्वागत करता है। पुरे महल को खूबसूरत लाइटों और दीयों से सजा दिया जाता है। इसके अलावा मैसूर में वायु प्रदूषण और मिट्टी प्रदूषण कम करने फटाकों के बजाय, सभी नगरवासी आकाश दिये उड़ाकर त्यौहार मनाते हैं।
अयोध्या और चित्रकूट के अलावा, वाराणसी वह जगह है जहां तुलसीदास जी ने रामचरितमानस लिखी थी। यहां के अस्सी घाट पर दीवाली के दिन हजारों दीप जलाकर, भव्य गंगा आरती की जाती है। इस दिन शहर में देवी-देवताओं के कई जुलुस भी निकलते है। दिवाली के अलावा कार्तिक पूर्णिमा के दिन, सभी घाटों पर देव दिवाली का उत्सव भी बहुत भव्य होता है।
वैगई नदी के किनारे बसा मदुरई का मीनाक्षी मंदिर भी दिवाली मनाने के लिए, भारत में एक बहुत सुंदर जगह है। दिवाली के समय यह मंदिर पीली लाइटो, दीयों, फूलों और रंगोलियों से सजा होता है। हर साल दिवाली के दिन यहां हजारों लोग आते हैं और चढ़ावा चढ़ाते हैं।
कोलकाता में दिवाली, भगवान श्रीराम की घर वापसी के उत्सव के रूप में नहीं, बल्कि मां काली की दानवो पर विजय के रूप में मनाई जाती है। इस दिन पुरा शहर सुंदर लाइटो और दीयों से सजा होता है। कोलकाता के प्रसिद्ध हावड़ा ब्रिज और बीबीडी बाग को भी बहुत सुंदर लाइटों से सजाया जाता है।
अयोध्या की दिवाली विश्व में सबसे भव्य होती है, क्योंकि यह शहर इस दिन अपने राजा की घर वापसी का उत्सव मनाता है। पिछले साल अयोध्या में सरयु के किनारे 17 लाख दिये जलाकर नया रिकॉर्ड भी बनाया गया था। दिवाली के समय, पूरी अयोध्या नगरी उत्साह से जगमगा उठती है।
भारतीय शहरों का प्राचीन इतिहास