गणेश पूजन में वर्जित है इन वस्तुओं का इस्तेमाल

Kavita Singh Rathore

पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार, भगवान गणेश के लिए तुलसी जी का रिश्ता आया था और उनके द्वारा मना करने पर तुलसी जी ने उन्हें दो पत्नियों का शाप दिया था और तब से ही गणेशजी की पूजा में तुलसी का प्रयोग नहीं किया जाएगा।

तुलसी | Syed Dabeer Hussain - RE

भगवान गणेश जी को केतकी के फूल नहीं चढ़ाते है। क्योंकि, भगवान भोलेनाथ को केतकी के फूल नापसंद हैं, इसलिए ही गणेश जी को भी सफेद फूल चढ़ाने से बचते हैं। इसका कारण ये है कि, शिवजी ने केतकी के फूल को शाप दिया था।

केतकी का फूल | Syed Dabeer Hussain - RE

चंद्रमा ने भगवान गणेश जी के गज स्‍वरूप का उपहास किया था। इस वजह से गणेशजी ने चंद्रमा का सौंदर्य खत्‍म होने का शाप दिया था और तब से ही गणेशजी की पूजा में भी कोई भी सफेद वस्‍तु नहीं चढ़ाई जाती। साथ ही हर चतुर्थी तिथि को चंद्र दर्शन करने के लिए भी शास्‍त्रों में मना किया गया है।

सफ़ेद जनेऊ | Syed Dabeer Hussain - RE

गणेशजी और चंद्रमाँ के रिश्ते अच्‍छे ना होने के कारण चंद्रमा के रंग की चीजें गणेशजी को नहीं चढ़ाई जाती हैं। आप पूजा में सफेद चंदन की जगह पीले चंदन और सफेद वस्‍त्र के स्‍थान पर पीले वस्‍त्र का प्रयोग कर सकते हैं।

सफ़ेद चंदन | Syed Dabeer Hussain - RE

गणेशजी की पूजा में बासे फूल या फिर मुरझाए फूल नहीं चढ़ाएं जाते। वैसे तो किसी भी भगवान को मुरझाए फूल नहीं चढ़ाना चाहिए। गणेशजी को दूर्वा चढ़ाना अच्छा माना जाता है। सूखे या फिर मुरझाए फूल से भगवान नाराज होते हैं। इससे वास्‍तु दोष भी लग सकता है।

बासे फूल या मुरझाए फूल | Syed Dabeer Hussain - RE

चावल को अक्षत कहा जाता हैं, इसका सीधा मतलब ये है कि, जिसका क्षय न हुआ हो, यानी कि वह टूटे न हो। अक्षत के रूप में साबुत चावलों का ही प्रयोग करें, जो कि कहीं से भी टूटे न हों। साथ ही गणेश पूजन में गीले चावलों का प्रयोग किया जाता है।

टूटे या सूखे चावल | Syed Dabeer Hussain - RE

गणेशजी की पूजा में मयूर और सर्प से जुड़ी कोई चीज नहीं चढाते, क्योंकि भगवान गणेशजी का वाहन मूषक (चूहा) महाराज हैं और सांप और मौर चूहे के दुश्मन हैं।

मयूर और सर्प से जुड़ी कोई चीज | Syed Dabeer Hussain - RE

गणेश चतुर्थी के लिए अगर नहीं सोची कोई सजावट

गणेश चतुर्थी के लिए अगर नहीं सोची कोई सजावट | Zeeshan Mohd - RE