Kavita Singh Rathore
ऐसा माना जाता है कि बार-बार बच्चे को दूध पिलाने से स्तनों में दूध का उत्पादन बढ़ता है। डॉक्टर्स कहते हैं कि 24 घंटे के अंदर कम से कम 8-12 बार बच्चे को दूध पिलाना चाहिए।
स्तनों में दूध बढ़ाने के लिए सबसे जरूरी चीज है बच्चे की सही पोजीशन। ब्रेस्ट फीडिंग कराते समय बच्चा ब्रेस्ट को ठीक से पकड़ रहा है कि नहीं, उनका मुंह निप्पल पर है या नहीं या फिर उसका मुंह एरियोला को कवर कर रहा है या नहीं, इन सब पर ध्यान देना चाहिए।
कई बार बच्चे स्तन से थोड़ा दूध पीकर फिर दूसरे स्तन से दूध पीना शुरू कर देते हैं। इससे भी स्तनों में दूध की आपूर्ति कम हो जाती है। इसलिए ध्यान रखें कि बच्चा हर ब्रेस्टफीडिंग सेशन के दौरान दूसरे स्तन से दूध पीने से पहले एक स्तन का दूध खाली कर दे। इससे दूध का उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी।
जब कभी लगे,कि स्तनों से दूध कम आ रहा है, जो बच्चे के लिए काफी नहीं है, तो ब्रेस्ट कंप्रेशन अच्छा विकल्प है। यह स्तनपान के दौरान स्तनों को दबाने का तरीका है। इससे मिल्क ग्लैंड पर दबाव पड़ता है और दूध तेजी से बहने लगता है।
अगर मां को हाइड्रेट रहना बहुत जरूरी है। क्योंकि, ब्रेस्ट मिल्क में 90% पानी होता है। इसलिए दूध का उत्पादन बढ़ाने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी का सेवन जरूरी है। जन्म से लेकर लगभग 11 महीने तक पानी बॉडी वेट का 55-83 प्रतिशत तक होता है। इसके अलावा ब्रेस्ट मिल्क बढ़ाने के लिए पौष्टिक खाद्य पदार्थों के साथ संतुलित आहार का सेवन भी जरूरी माना गया है।
जो मां तनाव ज्यादा लेती हैं, उनके स्तनों में दूध की आपूर्ति कम होना स्वाभाविक है। दरअसल, थकान और तनाव दानेों ही दूध के उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। इस दौरान ऐसी एक्टिविटी का हिस्सा बनें, जो आपको रिलेक्स तो करें ही साथ ही तरोताजा भी महसूस कराएं।
एक मां के लिए अपने बच्चे से स्किन टू स्किन कांटेक्ट बहुत जरूरी है। बच्चे के करीब रहने और उसके साथ समय बिताने से ऑक्सीटोसिन नामक हार्मोन रिलीज होता है, जिससे स्तनों में दूध तेजी से बनने लगता है।
जन्म के शुरुआती हफ्ते मे बच्चे को दूध पिलाने के लिए बोतल का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। दूध पिलाने का यह तरीका मां और बच्चे के बीच की बॉन्डिंग को कमजोर बना सकता है। साथ ही मिल्क सप्लाई में कमी कर सकता है।