आखिर, पेटीएम पेमेंट्स बैंक के खिलाफ इतनी सख्त कार्रवाई को क्यों मजबूर हो गया भारतीय रिजर्व बैंक ?

पेटीएम पर आरबीआई की कार्रवाई कारपोरेट जगत की सबसे बड़ी खबर बन गई है। बजट की वजह से कल और परसों इस पर ज्यादा चर्चा नहीं हो सकी, अब यह मुद्दा सुर्खियों में है।
RBI's strictness on Paytm creates stir among fintech companies
RBI's strictness on Paytm creates stir among fintech companiesRaj Express
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हाईलाइट्स

  • पेटीएम के खिलाफ आरबीआई की कार्रवाई बहुत अप्रत्याशित नहीं है

  • भारतीय रिजर्व बैंक की जांच के दायरे में 2018 से से ही है पेटीएम

  • मनी लांड्रिंग निरोधक कानून के उल्लंघन का मामला भी सामने आया

राज एक्सप्रेस। पेटीएम पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की कार्रवाई भारतीय कारपोरेट जगत की सबसे बड़ी खबर बन गई है। बजट की वजह से कल और परसों इस पर ज्यादा चर्चा नहीं हो सकी, लेकिन अब यह मुद्दा सुर्खियों में है। दरअसल, पेटीएम पर आरबीआई की यह कार्रवाई बहुत अप्रत्याशित नहीं है। कार्रवाई आज जरूर की गई है, लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने उसे 2018 से जांच के दायरे में ले रखा है। अनेक बार देश की सबसे बड़ी फिनटेक कंपनी को अपनी स्थिति स्पष्ट करने का मौका भी दिया। लेकिन पता नहीं किन वजहों से पेटीएम आरबीआई को संतुष्ट नहीं कर सका।

जांच में सामने आईं कई गंभीर गड़बड़ियां

लिहाजा आरबीआई को देश में फिनटेक क्रांति की अगुवा रही इस कंपनी के विरुद्ध बेहद सख्त कार्रवाई करनी पड़ी। इस बारे में विस्तार से आरबीआई ने अब तक कुछ नहीं बताया है। साथ ही पेटीएम ने भी कोई जानकारी नहीं दी है। सूत्रों के अनुसार रेगुलेटरी नियमों के उल्लंघन और चीन के साथ संबंधों पर बार-बार की चेतावनियों को नजरअंदाज करने के साथ-साथ पेटीएम पेमेंट्स बैंक द्वारा मनी लांड्रिंग निरोधक कानून के उल्लंघन का मामला भी आरबीआई की जांच में सामने आया है। इसके बाद ही आरबीआई ने पेटीएम के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्णय लिया है।

केवाईसी दस्तावेजों की भी ठीक से जांच नहीं

सूत्रों के मुताबिक, रिजर्व बैंक को पेमेंट्स बैंक की ऑडिट में कई गड़बड़ियों का पता चला है, जिनमें मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक कानून का उल्लंघन भी शामिल था। रिजर्व बैंक के मुताबिक, बैंक ने केवाईसी (नो योर कस्टमर) दस्तावेजों की भी ठीक से जांच नहीं की। रिजर्व बैंक ने पाया कि कंपनी ने क्लाइंट्स को जोड़ने से पहले फंड के स्रोत की जांच भी नहीं की। सूत्रों के अनुसार ऑडिट में पाया गया कि मर्चेंट एकाउंट के जरिये बड़े पैमाने पर ऐसे लेनदेन किए गए हैं, जहां धन के स्रोत का पता लगाने के लिए केवाईसी की प्रक्रिया ठीक तरह से नहीं अपनाई गई।

समूह की कंपनियों से देनेदेन में भी गड़बड़ी

सूत्रों ने बताया कि पेटीएम समूह की दूसरी कंपनियों के साथ 'संबंधित-पार्टी ट्रांजैक्शन' का भी मामला था। बैंकिंग नियामक आरबीआई को जांच में पता चला कि पेमेंट्स बैंक हितों के टकराव से स्वयं को बचाने के लिए जरूरी कदम नहीं उठाए। पेटीएम पेमेंट्स बैंक और पेटीएम समूह की अन्य कंपनियों के बीच जरूरत से ज्यादा घालमेल होने की वजह से भारतीय रिजर्व बैंक, पेमेंट्स बैंक की स्वायत्तता को लेकर चिंता में पड़ गया था। रिजर्व बैंक की जांच में सामने आया कि पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर शर्मा का बैंक के अहम फैसलों और ऑपरेशनों में अप्रत्यक्ष रूप से नियंत्रण रहा है।

शेयरहोल्डिंग पैटर्न से आरबीआई परेशान

सूत्रों ने यह भी बताया कि पेटीएम पेमेंट्स बैंक के जटिल ओनरशिप स्ट्रक्चर को लेकर भी रिजर्व बैंक चिंतित था। बैंक में वन97 कम्युनिकेशंस की 49 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि 10 फीसदी हिस्सेदारी विजय शेखर शर्मा और वन97 के ज्वाइंच वेंचर की है। इसके अलावा, शेयरहोल्डिंग और डायरेक्टरशिप के जरिये भी शर्मा का वनु97 पर कंट्रोल है। बताया जाता है कि केंद्रीय बैंक ने पेमेंट्स बैंक के आईटी सिस्टम में गड़बड़ियों के बारे में कंपनी को भी आगाह किया था, लेकिन अनेक चेतावनियों के बाद भी कंपनी ने इसे दुरुस्त कराने का प्रयास नहीं किया।

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