टेक कंपनियों के खिलाफ अमेरिका व ईयू ने शुरू की सख्ती,संकट में पड़े एपल, गूगल, मेटा, अमेजन

एप्पल गूगल और मेटा जैसी प्रमुख टेक कंपनियों की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। अमेरिका के बाद यूरोप में भी इन कंपनियों के खिलाफ रेगुलेटरी जांच शुरू की गई है।
Apple, Google, Meta, Amazon in trouble
Apple, Google, Meta, Amazon in troubleRaj Express
Published on
Updated on
3 min read

हाईलाइट्स

  • अमेरिका के बाद यूरोप में भी शुरू हुई इन कंपनियों के खिलाफ रेगुलेटरी जांच

  • भारत ने भी शुरू की डिजिटल प्रतिस्पर्धा कानून लाने की तैयारी

  • इस कानून का मकसद छोटी कंपनियों को फलने-फूलने का मौका देना है

राज एक्सप्रेस । अगले दिनों में एपल गूगल और मेटा जैसी दुनिया की प्रमुख टेक कंपनियों की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। अमेरिका के बाद यूरोप में भी इन कंपनियों के खिलाफ रेगुलेटरी जांच शुरू की गई है। भारत में डिजिटल प्रतिस्पर्धा कानून लाने की तैयारी है। इस कानून का मकसद छोटी कंपनियों को फलने-फूलने का मौका देना है। सवाल किया जा रहा है कि टेक कंपनियों के खिलाफ जांच क्यों की जा रही है और दोषी पाए जाने की स्थिति में क्या एक्शन लिया जाएगा ?

दुनिया में कई देशों की सरकारें छोटी कंपनियों को फलने-फूलने का मौका देने के लिए बड़ी टेक कंपनियों के एकाधिकार को तोड़ने के लिए सख्त कानून बना रही हैं। भारत सरकार ने भी डिजिटल प्रतिस्पर्धा कानून लाने की पहल की है, जो छोटी-बड़ी सभी कंपनियों को कारोबार के समान अवसर उपलब्ध कराएगी। भारत सरकार ने पिछले दिनों प्रस्तावित कानून का ड्रॉफ्ट जारी कर दिया है। जिस पर सभी पक्षकार 15 अप्रैल तक अपनी राय दे सकते हैं।

दूसरी ओर अमेरिका और यूरोप में भी एंटी-ट्रस्ट रेगुलेटर ने एप्पल, मेटा और अमेजन जैसी बड़ी टेक कंपनियों के खिलाफ जांच शुरू की है। इन कंपनियों पर आरोप है कि इन्होंने अपने दबदबे का दुरुपयोग करते हुए छोटी कंपनियों के लिए गैर-प्रतिस्पर्धी माहौल निर्मित किया है। अमेरिका-यूरोप के एक्शन से इस अनुमान को बल मिला है कि बाकी देशों में भी बड़ी कंपनियां भी जांच के दायरे में आ सकती हैं।

अमेरिका के फेडरल ट्रेड कमीशन (एफटीसी) ने 4 बड़ी टेक कंपनियों- अमेजन, एप्पल, गूगल और मेटा के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। इन सभी कंपनियों पर अपने दबदबे का गलत तरीके से फायदा उठाने का आरोप है। अमेरिकी और यूरोपीय रेगुलेटरों का आरोप है कि ये कंपनियां ऐसा माहौल तैयार करती हैं कि यूजर्स के लिए प्रतिद्वंद्वी कंपनियों के दावों पर यकीन कर पाना नामुमकिन होता है।

ई-कॉमर्स दिग्गज अमेजन पर आरोप है कि इसने व्यापारियों पर दबाव डाला और अपनी सेवाओं को बढ़ावा देने लायक माहौल तैयार किया। अमेजन पर गैरकानूनी तरीके से ऑनलाइन रिटेल मार्केट के एक बड़े हिस्से पर एकाधिकार की कोशिश करने का भी आरोप है। फेसबुक की मालिक मेटा ने इंस्टाग्राम और वॉट्सऐप को खरीदा था और यही कंपनी के गले की फांस बन रहा है। मेटा पर आरोप है कि उसने वॉट्सऐप और इंस्टाग्राम को इसलिए खरीदा, ताकि भविष्य में प्रतिस्पर्धा की गुंजाइश ही नहीं रहे।

जांच के बाद मेटा के शेयरों में गिरावट देखने को मिल रही है। एपल पर आरोप है कि यह यूजर्स को आईफोन पर निर्भरता बनाए रखने के लिए मजबूर करती रही है। पिछले दिनों ऐसी रिपोर्ट्स आई थीं कि एप्पल नया आईफोन लॉन्च करने के बाद अपडेट के जरिए पुराने मॉडल्स की परफॉरमेंस को धीमा कर देती है, जिससे लोग नया मॉडल खरीदने को मजबूर हो जाएं। गूगल पर सर्च इंजन और विज्ञापनों पर मोनोपॉली का आरोप है।

आपको याद होगा गूगल पर पिछले साल तकनीकी क्षेत्र में भी एकाधिकार के आरोप भी लगे थे। कंपनी की एआई टेक्नोलॉजी जेमिनी के सर्च रिजल्ट को लेकर भी पिछले दिनों विवाद देखने में आया था। तब आरोप लगाया गया था कि यह सर्च रिजल्ट खास किस्म के पूर्वाग्रह से ग्रस्त हैं। अमेरिका में सख्ती के बाद एप्पल, गूगल और मेटा के लिए यूरोप में कठिनाइयां बढ़ती दिख रही हैं। इन कंपनियों के खिलाफ डिजिटल मार्केट एक्ट (डीएमए) के तहत जांच की जा रही है। हालांकि, एप्पल ने यूरोपीय यूनियन के एक्शन के बाद उसके कई नियमों का पालन करना शुरू कर दिया है। जैसे कि आईफोन के साथ यूएसबी-सी चार्जर देना और वैकल्पिक ऐप उपलब्ध कराना शामिल है।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

और खबरें

No stories found.
logo
Raj Express | Top Hindi News, Trending, Latest Viral News, Breaking News
www.rajexpress.com