अमेरिका की एंटीवायरल गोलियों के विकास के लिए कई डॉलर खर्च करने की योजना

अमेरिका ने कोरोना और उसके जैसी अन्य खतरनाक वायरसों से लड़ने के लिए एंटीवायरल गोलियों को तैयार करने का फैसला किया है। जिसके लिए अमेरिका कई डॉलर खर्च करने की योजना बना कर रहा है।
अमेरिका की एंटीवायरल गोलियों के विकास के लिए कई डॉलर खर्च करने की योजना
अमेरिका की एंटीवायरल गोलियों के विकास के लिए कई डॉलर खर्च करने की योजनाSocial Media

अमेरिका। पूरी दुनियाभर के देश कोरोना की एंट्री के बाद से घबरा गए हैं। सभी के मन में आने वाले समय यानि भविष्य को लेकर अभी से डर सताने लगा है कि, कहीं ऐसा न हो कि, आगे चलकर फिर ऐसी कोई महामारी जन्म न लेले। इसी के चलते अमेरिका ने इस बात को मद्देनजर रखते हुए कोरोना और उसके जैसी अन्य खतरनाक वायरसों से लड़ने के लिए एंटीवायरल गोलियों को तैयार करने का फैसला किया है। जिसके लिए अमेरिका कई डॉलर खर्च करने की योजना बना रहा है।

अमेरिका करेगा एंटीवायरल गोलियों का विकास :

दरअसल, आने वाले समय के लिए योजना तैयार करते हुए कोरोना और उसके जैसी गंभीर महामारियों से निपटने के लिए एंटीवायरल गोलियों का विकास करेगा और इसके लिए अमेरिका द्वारा 320 करोड़ डालर यानी भारतीय करेंसी में 23,754 करोड़ रुपये निवेश करने की योजना बनाई है। इस बारे में जानकारी देश के शीर्ष संक्रामक रोग विशेषज्ञ डा. एंथनी फासी ने व्हाइट हाउस में एक ब्रीफिंग के दौरान घोषणा कर दी। अमेरिका यह निवेश महामारी के लिए नए एंटीवायरल प्रोग्राम के तहत करेगा।

क्या करेंगी यह गोलियां :

बताते चलें, एंटीवायरल गोलियां संक्रमण के बाद लक्षणों को कम करने का काम करेगी। फिलहाल इन गोलियों के क्लीनिकल ट्रायल चल रहे हैं, इनके पूरा होने में कुछ समय लगेगा। खबरों की मानें तो यह साल के अंत तक मिलना शुरू होंगी। यह गोलियां रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की कोरोना रोधी दवा 2-डियोक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) वायरस के सभी वैरिएंट के खिलाफ कारगर होंगी और वायरस में वृद्धि को कम कर सकती हैं।

अध्ययनकर्ताओं का कहना :

अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि, 'हमने अपने अध्ययन में सार्स-कोव-2 संक्रमण द्वारा प्रेरित मेटाबोलिक रिप्रोग्रामिंग को लक्षित और बाधित करने के लिए 2-डियोक्सी-डी-ग्लूकोजका उपयोग किया। इसमें पाया गया कि, यह दवा वायरस वृद्धि को कम करती है, कोशिकाओं को संक्रमण प्रेरित साइटोपैथिक प्रभाव (सीपीई) से दूर रखती है और उन्हें खत्म होने से बचाती है।'

गौरतलब है कि, यह दवा DRDO और हैदराबाद स्थित डा. रेड्डी लैबोरटरीज ने तैयार की है और इसके कोरोना वायरस के खिलाफ सहायक चिकित्सा के रूप में इस्तेमाल के लिए मंजूरी भी दी जा चुकी है।

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