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इन दिनों भारी वित्तीय संकट से जूझ रही है अनिल अग्रवाल की कंपनी, यूं ही फॉक्सकॉन ने नहीं बनाई वेदांता से दूरी

आखिर ऐसा क्या हुआ कि दुनिया का बड़ा कॉन्ट्रैक्ट इलेक्ट्रॉनिक्स मेकर फॉक्सकॉन वेदांता के साथ संयुक्त उद्यम से निकल आया और अब गुजरात में अलग इकाई लगा रहा है?

हाइलाइट्स

  • अनेक उपाय करने के बाद भी वेदांता पर बढ़ता ही जा रहा है कर्ज

  • वेदांता की खस्ता वित्तीय हालत से चिंतित थी केंद्र सरकार और फॉक्सकॉन

  • वित्त वर्ष 2024 में वेदांता को चुकाना है 4.2 अरब डॉलर का कर्ज

  • फॉक्सकॉन ने वेदांता से बनाई दूरी, लेकिन भारत में काम करना जारी रखेगी

राज एक्सप्रेस। आखिर ऐसा क्या हुआ कि दुनिया का सबसे बड़ा कॉन्ट्रैक्ट इलेक्ट्रॉनिक्स मेकर फॉक्सकॉन वेदांता के साथ संयुक्त उद्यम सके बाहर निकल आया ? यह सवाल कई लोगों के मन में है। वैसे तो आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने भी सोमवार को कई चीजें साफ कर दी थीं, लेकिन इस पर से ठीक-ठीक जानकारी एक मीडिया रिपोर्ट के बाद सामने आई। यह जानकारी किसी को भी चौंकाने वाली है। मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि भारत सरकार और ताइवान की सेमीकंडक्टर निर्माता फॉक्सकॉन वेदांता की वित्तीय स्थिति को लेकर चिंतित हैं। फॉक्सकॉन को जब लगा कि अब वेदांता अपने कर्जों के दबाव से नहीं मुक्त हो जाएगी, उसी समय उसने कंपनी से दूरी बनाने का निर्णय ले लिया था।

वेदांता के लगातार बढ़ते कर्ज से परेशान था फॉक्सकॉन

वेदांता और फॉक्सकॉन ने एक साल पहले भारत में सेमीकंडक्टर उत्पादन इकाई संयुक्त उद्यम के रूप में लगाने के एक समझौते पर साइन किये थे। इस करार के तहत गुजरात में सेमीकंडक्टर प्लांट लगाया जाना था। रिपोर्ट के अनुसार वेदांता पर लगातार कर्ज बढ़ता जा रहा था, जिसने फॉक्सकॉन को परेशान कर दिया था।

वेदांता लिमिटेड की लंदन बेस्ड मूल कंपनी वेदांता रिसोर्सेस अपने बढ़ते कर्ज से परेशान है। कपंनी को इस वित्त वर्ष में अभी भी 2.2 अरब डॉलर का कर्ज चुकाना है। वित्त वर्ष 2024 में कंपनी को कुल 4.2 अरब डॉलर के लोन को चुकाना है। इसमें से कंपनी पहली तिमाही में 2 अरब डॉलर का भुगतान कर चुकी है। इस लोन संकट से निपटने के लिए ग्रुप बड़े पैमाने पर ब्रांड मोनेटाइजेशन, रिफाइनेंसिंग और जनरल रिजर्व्स के ट्रांसफर पर निर्भर है।

अनिल अग्रवाल ने कहा कर्जे में फंसे होने की बात गलत

वेदांता के कर्जों में फंसे होने की वजह से ही फॉक्सकॉन ने सोमवार को 19.5 अरब डॉलर के सेमीकंडक्टर जॉइंट वेंचर से बाहर होने की घोषणा की थी। कुछ रेटिंग एजेंसीज ने कर्ज में डिफॉल्ट होने के जोखिम को देखते हुए इस साल कंपनी को डाउनग्रेड किया था। वहीं, वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने कहा है कि ग्रुप की और से अभी लोन्स में कोई डिफॉल्ट नहीं किया गया है। उन्होंने दावा किया कि कंपनी अपनी सभी देनदारियां समय पर पूरा करने में सक्षम है।

फॉक्सकॉन के फैसले का नहीं पड़ेगा कोई असरः राजीव चंद्रशेखर

आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने अपने एक ट्वीट में कहा वेदांता के साथ जॉइंट वेंचर से बाहर होने के फॉक्सकॉन के फैसले का भारत के सेमीकंडक्टर फैब गोल्स पर कोई असर नहीं पड़ेगा। दो प्राइवेट कंपनियां साथ मिलकर काम करना चाहती हैं या नहीं, इससे सरकार का कोई लेना-देना नहीं है। दोनों कंपनियां अब स्वतंत्र रूप से भारत में अपनी कारोबारी रणनीतियों को आगे बढ़ा सकती हैं। वे सेमीकॉन और इलेक्ट्रॉनिक्स में उचित टेक्नोलॉजी पार्टनर के साथ आगे बढ़ेंगी।

वेदांता से अलग होकर गुजरात में यूनिट लगाएगी फॉक्सकॉन

इस बीच एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ताइवान की इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरर फॉक्सकॉन भारत में 4-5 सेमीकंडक्टर चिप मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करना चाहती है। देश के प्रमुख अंग्रेजी समाचार पत्र ने दावा किया है कि फॉक्सकॉन ने वेदांता के साथ जॉइंट वेंचर तोड़ने के एक दिन बाद इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी मिनिस्ट्री को इसके बारे में जानकारी दी है।

डेढ़ दो माह में दाखिल कर सकती है एप्लीकेशन

45-50 दिनों के अंदर फाइनल एप्लीकेशन सबमिट कर सकती है कंपनी रिपोर्ट में आईटी मिनिस्ट्री के एक अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि फॉक्सकॉन सभी प्रोसेस पहले से जानती है, इसलिए अगले 45-50 दिनों के अंदर फाइनल एप्लीकेशन सबमिट कर ऑफिशियल अनाउंसमेंट कर सकती है। इस मामले से परिचित एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि फॉक्सकॉन सेमीकंडक्टर चिप मैन्युफैक्चरिंग यूनिट गुजरात में स्थापित कर सकती है।

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