Koo App पर पहली बार जारी हुए विधानसभा चुनाव के आंकड़े
Koo App पर पहली बार जारी हुए विधानसभा चुनाव के आंकड़ेKoo App

Koo App पर पहली बार जारी हुए विधानसभा चुनाव के आंकड़े

Koo App ने पहली बार उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों से संबंधित जानकारियां जारी की हैं।

राज एक्सप्रेस। ट्वीटर को टक्कर दे रहा भारतीय सोशल मीडिया प्लेटफार्म कू (Koo App) आजकल हर मामले में आगे नजर आरहा है। Koo App ने पहली बार उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों से संबंधित जानकारियां जारी की हैं। यह आंकड़े उन भारतीयों की भावना को दर्शाते हैं, जिन्हें पहली बार कम्यूनिटीज बनाने और माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म पर अपनी मातृ भाषा का इस्तेमाल करने का मौका मिला था।

Koo App बनी प्रमुख जरिया :

दरअसल, इस साल 5 राज्यों में हुए चुनाव के दौरान कोरोना के चलते वर्चुअल रैलियों और ई-प्रचार किए गए। इस दौरान डिजिटल चुनाव प्रचार-प्रसार बहुत जोरों-शोरों से देखने मिला। जिसका प्रमुख जरिया Koo App बनी। 10 मूल भाषाओं में ऑनलाइन अभिव्यक्ति को सक्षम बनाने वाले Koo App से प्रत्याशियों के जुड़ने का सिलसिला तेज होता दिखा। इसके साथ ही प्रत्याशियों ने क्षेत्रों में और स्थानीय भाषाओं में अपने मतदाताओं तक पहुंचने के लिए इसका जमकर फायदा उठाया।

आंकड़ों के अनुसार :

सामने आए आंकड़ों के अनुसार, पांच राज्यों के 690 नवनिर्वाचित विधायकों में से लगभग 28.4% यानी 196 उम्मीदवार चुनावी मौसम के दौरान इस मंच पर मौजूद थे और इन्होंने मतदाताओं के साथ रीयल टाइम में ई-कनेक्ट करने, अपडेट देने, प्रतिक्रिया जानने के लिए Koo ऐप की बहुभाषी विशेषताओं का जमकर इस्तेमाल किया। भारतीयों को अपनी पसंद की भाषा में खुद की अभिव्यक्ति का अधिकार देकर सभी को एक साथ जोड़ने के Koo App के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए मंच पर इस दौरान कई फीचर्स पेश किए गए। इनमें चुनाव अपडेट, चैट रूम और लाइव फीचर जैसे विशेष टैब शामिल रहे, जो मतदाताओं के बीच उमीदवारों को अपनी बात ऑनलाइन रखने और सार्वजनिक चर्चा में जुड़ने में मदद करते हैं।

Koo पर अकाउंट वाले राज्यवार विजयी उम्मीदवार :

राज्य

कुल विजयी प्रत्याशी (Koo खाते वाले)

कुल विधानसभा सीटें

कुल सीटों का प्रतिशत

उत्तर प्रदेश :

  • 154

  • 403

  • 38.2%

पंजाब :

  • 23

  • 117

  • 19.7%

गोवा :

  • 11

  • 40

  • 27.5%

उत्तराखंड :

  • 7

  • 70

  • 10.0%

मणिपुर :

  • 1

  • 60

  • 1.7%

कुल :

  • 196

  • 690

  • 28.4%

राजनीतिक दलों के जीतने वाले उम्मीदवारों की संख्या :

यह डेटा विशेष रूप से उत्तर प्रदेश और पंजाब जैसे दो महत्वपूर्ण राज्यों पर केंद्रित है, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी (आप), भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी), राष्ट्रीय लोक दल (रालोद), शिरोमणि अकाली दल (शिअद) और अन्य राजनीतिक दलों के जीतने वाले उम्मीदवारों की संख्या दिखाई गई है, जिन्होंने चुनाव से पहले मतदाताओं के जोश को बढ़ाने के लिए मंच और इसके फीचर्स का इस्तेमाल किया।

उत्तर प्रदेश के लिए पार्टीवार विजयी उम्मीदवार

राजनीतिक दल

विजयी प्रत्याशी (Koo खाते वाले)

कुल प्रत्याशी (Koo खाते वाले)

कुल सीटों का प्रतिशत

भाजपा :

  • 137

  • 155

  • 88.4%

समाजवादी पार्टी :

  • 13

  • 31

  • 41.9%

राष्ट्रीय लोकदल :

  • 2

  • 5

  • 40.0%

अपना दल :

  • 1

  • 2

  • 50.0%

कांग्रेस :

  • 1

  • 40

  • 2.5%

कुल :

  • 154

  • 233

  • 66.1%

पंजाब के लिए पार्टीवार विजयी उम्मीदवार

राजनीतिक दल

विजयी प्रत्याशी (Koo खाते वाले)

कुल प्रत्याशी (Koo खाते वाले)

कुल सीटों का प्रतिशत

आम आदमी पार्टी :

  • 15

  • 15

  • 100.0%

कांग्रेस :

  • 6

  • 18

  • 33.3%

शिरोमणि अकाली दल :

  • 1

  • 6

  • 16.7%

कुल :

  • 22

  • 39

  • 56.4%

माइक्रो-ब्लॉगिंग का विकास :

यह आंकड़े बहुभाषी माइक्रो-ब्लॉगिंग के विकास पर प्रकाश डालते हैं और बताते हैं कि कैसे मूल भाषा में अभिव्यक्ति के लिए सबसे बड़े मंच के रूप में Koo ऐप ने चुनाव के दौरान तेजी हासिल की। हिंदी और पंजाबी में मतदाताओं के साथ चर्चा के अलावा उम्मीदवारों ने जमकर इस बेहतरीन बहुभाषी Koo (MLK or Multi-Lingual Koo) फीचर का इस्तेमाल किया। एमएलके फीचर मंच पर मौजूद विभिन्न भाषाओं में एक संदेश को रीयल टाइम में अनुवाद करने में सक्षम बनाता है। इस फीचर में पिछले दो महीनों की तुलना में 10 जनवरी से 10 मार्च 2022 की अवधि के दौरान इस्तेमाल में 442 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जिसमें उम्मीदवारों ने एमएलके का इस्तेमाल इलाके में अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए किया।

प्रवक्ता ने बताया :

इस संबंध में Koo ऐप के एक प्रवक्ता ने कहा, "Koo ने सभी राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों को भारतीय भाषाओं की ताकत का इस्तेमाल करने में सक्षम बनाया है और पांच राज्यों के नवनिर्वाचित विधायकों में से एक चौथाई से अधिक ने अपने मतदाताओं तक पहुंचने के लिए हमारे मंच का लाभ उठाया है। MLK फीचर का इस्तेमाल हमारे इस विश्वास को और दोहराता है कि बहुभाषी भारत को एक बहुभाषी मंच की जरूरत है जिस पर खुद को अभिव्यक्त किया जा सके। एक पारदर्शी, निष्पक्ष और तटस्थ ऐप के रूप में Koo ने न केवल उम्मीदवारों और मतदाताओं के बीच बातचीत और जुड़ाव को सक्षम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, बल्कि जागरूकता बढ़ाने और मतदाताओं को एक सजग फैसला लेने के लिए संवेदनशील बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा, Koo ऐप लोगों के मूड का आइना है, जो फर्जी खातों और बॉट्स द्वारा बिना किसी छेड़छाड़ के सामने आता है। 95 प्रतिशत से अधिक Koo यूजर्स ने मोबाइल नंबर का इस्तेमाल करके अपना खाता बनाया है, जिससे प्लेटफॉर्म पर बॉट्स की मौजूदगी सीमित हो गई है। इसलिए, यह डेटा भारतीयों के लिए अपनी मूल भाषा में अपने राय और विचारों को साझा करने के लिए पसंद के मंच के रूप में Koo ऐप के उभरने की शुरुआत करता है।”

Koo यूजर्स द्वारा की गई चर्चा :

चुनावों के दौरान मुख्य रूप से यूपी और पंजाब से, Koo ऐप पर चर्चा ने मतदाताओं की संवेदनशीलता को प्रतिबिंबित किया। जबकि यूपी के मतदाता बड़े पैमाने पर योगी आदित्यनाथ की वर्तमान भाजपा सरकार को फिर से चुनने के लिए बातचीत में लगे हुए थे, चर्चाओं में योगी आदित्यनाथ, अखिलेश यादव, स्वामी प्रसाद मौर्य, राहुल गांधी और अपर्णा यादव जैसे प्रमुख नेताओं का भी नाम जमकर सामने आया। इस बीच, पंजाब के Koo यूजर्स के बीच, सत्ता-विरोधी लहर में काफी तेजी देखने को मिली, जिसमें यूजर्स सरकार में बदलाव के बारे में बातचीत कर रहे थे। पंजाब के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री भगवंत मान, पूर्व सीएम चरण सिंह चन्नी, अरविंद केजरीवाल, राहुल गांधी और नवजोत सिंह सिद्धू जैसे नेताओं के बारे में राज्य के Koo यूजर्स द्वारा व्यापक रूप से चर्चा की गई।

Koo App की लॉन्चिंग :

Koo App की लॉन्चिंग मार्च 2020 में भारतीय भाषाओं के एक बहुभाषी, माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म के रूप में की गई थी, ताकि भारतीयों को अपनी मातृभाषा में अभिव्यक्ति करने में सक्षम किया जा सके। भारतीय भाषाओं में अभिव्यक्ति के लिए एक अनोखे मंच के रूप में Koo App भारतीयों को हिंदी, मराठी, गुजराती, पंजाबी, कन्नड़, तमिल, तेलुगु, असमिया, बंगाली और अंग्रेजी समेत 10 भाषाओं में खुद को ऑनलाइन मुखर बनाने में सक्षम बनाता है। भारत में, जहां 10% से अधिक लोग अंग्रेजी में बातचीत नहीं करते हैं, Koo App भारतीयों को अपनी पसंद की भाषा में विचारों को साझा करने और स्वतंत्र रूप से अभिव्यक्ति के लिए सशक्त बनाकर उनकी आवाज को लोकतांत्रिक बनाता है। मंच की एक अद्भुत विशेषता अनुवाद की है जो मूल टेक्स्ट से जुड़े संदर्भ और भाव को बनाए रखते हुए यूजर्स को रीयल टाइम में कई भाषाओं में अनुवाद कर अपना संदेश भेजने में सक्षम बनाती है, जो यूजर्स की पहुंच को बढ़ाता है और प्लेटफ़ॉर्म पर सक्रियता तेज़ करता है। प्लेटफॉर्म 2 करोड़ डाउनलोड का मील का पत्थर छू चुका है और राजनीति, खेल, मीडिया, मनोरंजन, आध्यात्मिकता, कला और संस्कृति के मशहूर लोग द्वारा अपनी मूल भाषा में दर्शकों से जुड़ने के लिए सक्रिय रूप से मंच का लाभ उठाते हैं।

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