ऐसेट मोनेटाइजेशन से वित्तीय स्थिति को मजबूत कर रही केंद्र सरकार
सीपीएसई से भी है केंद्र को लगातार लाभांश मिलते रहने की उम्मीद
इसका प्रदर्शन लगातार बेहतर हो रहा, लाभांश में भी हो रही है वृद्धि
राज एक्सप्रेस। निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग के सचिव तुहिन कांत पांडेय का अनुमान है कि इस वित्त वर्ष में ऐसेट मोनेटाइजेशन से सरकार को 12,000 करोड़ रुपये और अगले साल 15,000 करोड़ रुपये तक की कमाई हो सकती है। केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (सीपीएसई) से भी सरकार को लगातार लाभांश मिलने की उम्मीद है, जो आगे भी आय का एक स्थिर स्रोत बना रहने वाला है। बजट के बाद एक मीडिया समूह को दिए साक्षात्कार में तुहिन कांत पांडेय ने आईडीबीआई बैंक, भारतीय जहाज रानी निगम (एससीआई) और कंटेनर निगम (कॉनकोर) के निजीकरण से जुड़े मुद्दों पर विस्तार से बातचीत की। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अपने विभिन्न स्रोतों से लाभ बढ़ाने का प्रयास कर रही है।
इस बातचीत में एलआईसी के हालिया प्रदर्शन पर संतोष व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि यह बीमा कंपनी हाल के दिनों में डिजिटल पहल और उत्पाद पोर्टफोलियो में सुधार पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार निकट भविष्य में एलआईसी में हिस्सेदारी कम करने पर विचार नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ऐसेट मोनेटाइजेशन के माध्यम से अपनी वित्तीय स्थिति को मजबूत बनाने की कोशिश कर रही है। निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग के सचिव तुहिन कांत पांडेय ने बताया इस वित्तीय वर्ष में सरकार को ऐसेट मोनेटाइजेशन से 12,000 करोड़ से लेकर 15,000 करोड़ रुपये तक की कमाई हो सकती है। अगले वित्तीय वर्ष यानी 2025 में यह राशि बढ़कर 15,000 करोड़ रुपये तक जा पहुंचने का अनुमान है।
तुहिन कांत पांडेय ने बताया कि ऐसेट मोनेटाइजेशन के कई तरीके हो सकते हैं, इनविट्स (इन्फ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट ट्रस्ट), टोल-ऑपरेशन-ट्रांसफर (टीओटी) और सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल। इन तरीकों से जुटाई गई राशि भारत के समेकित कोष में जा सकती है। सीपीएसई से होने वाला लाभांश भी सरकार के लिए आय का अहम स्रोत है। पांडेय ने कहा कि सीपीएसई का प्रदर्शन लगातार बेहतर हो रहा है। उनसे मिलने वाले लाभांश में भी वृद्धि हो रही है। वित्त वर्ष 24 में सरकार को सीपीएसई से 3 लाख करोड़ रुपये के लाभांश मिलने का अनुमान था, लेकिन संशोधित अनुमानों में इसे 75,000 करोड़ रुपये बढ़ाकर 3.75 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है। वित्त वर्ष 25 के लिए लाभांश अनुमान 4 लाख करोड़ रुपये का है।
भारत सरकार हालांकि, निजीकरण और विनिवेश पर जोर दे रही है, लेकिन कई लोगों का मानना है कि हाल के सालों में इस पर उतना ध्यान नहीं दिया जा रहा है। तुहिन कांत पांडेय ने कहा कि अल्पांश हिस्सेदारी बिक्री के लिए सबसे पहले कंपनियों को सूचीबद्ध करना जरूरी होता है। 2014 से अब तक करीब 18 कंपनियों को सूचीबद्ध किया जा चुका है। जिनमें सरकार धीरे-धीरे अपनी हिस्सेदारी घटाकर 49% तक कर सकती है, ताकि कंपनी पर उसका नियंत्रण बना रहे। उन्होंने स्पष्ट किया कि हिस्सेदारी कम करना एक सोची-समझी रणनीति के तहत किया जाता है, जिसमें कई कारकों को ध्यान में रखा जाता है।
पांडेय ने आईडीबीआई बैंक, एससीआई और कॉनकोर जैसे निजीकरण के सौदों की स्थिति पर भी जानकारी दी। मार्केट ओरिएंटेशन के मामले में एलआईसी ने जबरदस्त प्रगति की है। यह बहुत महत्वपूर्ण है। बीमा कंपनी अपने उत्पाद पोर्टफोलियो के साथ-साथ डिजिटल पहल पर भी काम कर रहा है। हाल के दिनों में एलआईसी की कमाई में जबरदस्त बढ़ोतरी देखने को मिली है। इसकी एम्बेडेड वैल्यू में काफी अच्छी वृद्धि देखने को मिली है। आगे कमजोर पड़ने के लिए स्टॉक की कीमत बहुत महत्वपूर्ण होती है। एलआईसी एक अनोखा उद्यम है। बाजार को यह समझने की जरूरत है कि यह कुछ तिमाहियों से कैसा प्रदर्शन कर रहा है। यह महत्वपूर्ण बात है और इसे और अधिक कमजोर करने में जल्दबाजी नहीं की जानी चाहिए।
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