सेबी ने म्यूचुअल फंडों के विदेशी ईटीएफ स्कीमों में निवेश पर लगाया बैन, अधिकतम सीमा पर पहुंचा निवेश

सेबी ने म्यूचुअल फंडों को उन स्कीमों में पैसा लगाने से मना कर दिया है, जो विदेशी ईटीएफ में निवेश करती हैं। यह निर्देश एक अप्रैल से लागू हो जाएगा।
Securities and Exchange Board of India (SEBI)
Securities and Exchange Board of India (SEBI)Raj Express

हाईलाइट्स

  • बाजार नियामक सेबी का यह निर्देश एक अप्रैल से लागू हो जाएगा

  • म्यूचुअल फंड्स के लिए निवेश की अधिकतम सीमा 7 अरब डॉलर है

  • म्यूचुअल फंड्स का निवेश पहले ही इस सीमा तक पहुंच चुका है

राज एक्सप्रेस । भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने म्यूचुअल फंडों को उन स्कीमों में पैसा लगाने से मना कर दिया है, जो विदेशी ईटीएफ में निवेश करती हैं। बता दें कि बाजार नियामक सेबी का यह निर्देश एक अप्रैल से लागू हो जाएगा। बता दें कि म्यूचुअल फंडों के लिए विदेशी प्रतिभूतियों में निवेश की अधिकतम सीमा 7 अरब डॉलर निर्धारित है। भारतीय म्यूचुअल फंड हाउसेज का निवेश पहले ही इस सीमा तक पहुंच चुका है। इसका मतलब है कि म्यूचुअल फंड हाउसेज को अब उन स्कीमों में निवेश रोकना होगा, जो विदेश में ईटीएफ में निवेश करती हैं।

मार्केट रेगुलेटर ने म्यूचुअल फंडों के लिए विदेश में निवेश से जुड़ा नया आदेश जारी किया है। इसकी वजह यह है कि विदेश में ईटीएफ के लिए एक अरब डॉलर की सीमा तय की गई है। अब म्यूचुअल फंडों का निवेश इस सीमा के निकट जा पहुंचा है। सेबी ने इस बारे में म्यूचुअल फंड हाउसेज का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एएमएफआई) को 20 मार्च को एक पत्र लिखकर जानकारी दी है।

दरअसल, म्यूचुअल फंडों की ऐसी दो योजनाएँ हैं, जो विदेश में निवेश करती हैं। पहली योजना में सीधे विदेशी शेयरों में निवेश किया जाता है। इसके लिए 7 अरब डॉलर की सीमा निर्धारित है। दूसरी योजना फंड ऑफ फंड है, जो विदेश में ईटीएफ की यूनिट्स खरीदती है। इसके लिए एक अरब डॉलर की सीमा निर्धारित है। शेयर बाजार नियामक के इस आदेश के बाद म्यूचुअल फंड हाउसेज को अब उन स्कीमों में निवेश रोकना होगा, जो विदेश में ईटीएफ में निवेश करती हैं। देश में म्यूचुअल फंड्स की ऐसी 77 स्कीमें हैं, जिनके माध्यम से विदेश में निवेश किया जाता है।

सेबी ने पिछले साल 2023 में एक आदेश जारी करके कहा था कि विदेश में स्टॉक्स की कीमतों में गिरावट की वजह से अगर किसी म्यूचुअल फंड के एसेट अंडर मैनेजमेंट में कमी आती है, तो विदेशी स्टॉक्स में निवेश कर सकता है। म्यूचुअल फंडों की विदेश में निवेश करने वाली स्कीमें निवेश की ऊपरी सीमा को ध्यान में रख कभी इनवेस्टर्स से इनवेस्टमेंट लेती हैं तो कभी नहीं लेती हैं। जब उनके एसेट अंडर मैनेजमेंट की वैल्यू घट जाती है तो वे नया निवेश लेती है।

जब एयूएम की वैल्यू बढ़ जाती है, तो वे नया निवेश लेना बंद कर देती हैं। बता दें कि म्यूचुअल फंड्स की चार स्कीमों ने 26 फरवरी को इनवेस्टमेंट लेने पर रोक लगा दी थी। इनमें निप्पान इंडिया यूएस इक्विटी अपरचुनटीज, निप्पान इंडिया जापान इक्विटी, निप्पान इंडिया ताइवान इक्विटी और निपान इंडिया इटीएफ हैंगसेंग बीईईएस शामिल हैं। अभी ईटीएफ के अलावा ज्यादातर ग्लोबल फंड्स निवेशकों से नया निवेश ले रहे हैं। जैसे ही यह निवेश अधिकतम सीमा के निकट पहुंच जाएगा, वे निवेश लेना बंद कर देंगे।

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