बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट होगा हर तरह से इको फ्रेंडली

अब भारतवासियों को जल्द ही बुलेट ट्रेन की सौगात मिलने वाली है। इस प्रोजेक्ट की खास बात यह है कि, इस बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को हर तरह से इको फ्रेंडली (हरित) तैयार किया गया है।
बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट होगा हर तरह से इको फ्रेंडली
बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट होगा हर तरह से इको फ्रेंडलीSocial Media

राज एक्सप्रेस। अब भारतवासियों को जल्द ही ख़ुशी की खबर मिलने वाली है, क्योंकि, अब जल्द ही कई रूट्स पर भी बुलेट ट्रेन चलती नजर आएगी। इससे जुड़ी खबर पिछले साल सामने आई थी कि, बुलेट ट्रेन के लिए ट्रेक निर्माण के कार्य का भार जानी-मानी कंपनी लार्सन एंड टुब्रो (L&T) को दिया गया था। वहीं, अब यह खबर सामने आई है कि, बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट हर तरह से इको फ्रेंडली (हरित) तैयार किया गया है।

बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट होगा इको फ्रेंडली :

दरअसल, भारत में बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट काफी समय से चर्चा में हैं। इसको लेकर कई बार पहले भी खबरें सामने आ चुकी हैं। भैराट के लोगों को बुलेट ट्रेन का बेसब्री से इंतज़ार है। अब यह खबर सामने आई है कि, बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को पूरी तरह से पर्यावरण फ्रेंडली या इको फ्रेंडली बनाया जा रहा है। बताते चलें, हाई स्पीड रेल के लिए दुनिया की पहली विशेष ग्रीन रेटिंग प्रणाली तैयार करने वाला भारत ही पहला देश है। इससे पहले अब तक किसी देश ने इस तरह की रेटिंग तय नहीं की है और यह रेटिंग इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल व नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड के सहयोग से तैयार की गई है।

अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट :

बताते चलें, हाई स्पीड रेल की रेटिंग के लिए जो मानक तैयार किया गया है उस मानक के आधार पर भारत में पहले से ही अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है। इसी कड़ी में आने वाली बुलेट ट्रेन रेल कॉरिडोर में पर्यावरण के ट्रैक से होकर चलेगी। यदि अहमदाबाद-मुंबई हाई स्पीड रेल कॉरिडोर की बात करें तो, इस कॉरिडोर के बीच हरियाली को बढ़ावा दिया जा रहा। इतना ही नहीं इसके लिए स्टेशनों को डिजाइन तैयार करते समय और इसके निर्माण के दौरान पर्यावरण और अक्षय उर्जा श्रोत का खास ध्यान रखा गया है।

प्राकृतिक प्रकाश से रोशनी :

बताते चलें, ग्रीन स्टेशन बिल्डिंग निर्माण के लिए ऐसी तकनीक को अपनाने का रास्ता ढूंढा जा रहा है। जिससे इसमें प्राकृतिक रोशनी से ही रोशनी हो। इसमें 75% प्रकाश वेंटिलेशन के माध्यम से प्राकृतिक होगा। जबकि बाकि 25% रोशनी दूसरे श्रोत से की जाएगी। जिससे दिन के समाय में स्टेशन परिसर में प्राकृतिक श्रोत से ही रोशन की जा सके और शाम होने के बाद सौर उर्जा से स्टेशन, परिसर और पूरे रेल ट्रैक में रोशनी की जा सके।

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