पायलटों व आकासा एयर के विवाद में हस्तक्षेप नहीं कर सकता, डीजीसीए ने हाईकोर्ट में रखा अपना पक्ष
हाईलाइट्स
डीजीसीए ने सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में रखा अपना पक्ष, कहा इस विवाद में हस्तक्षेप उसकी सीमा में नहीं
डीजीसीए ने दिल्ली हाईकोर्ट से ‘आकासा एयर’ की याचिका को जुर्माना लगाकर खारिज करने का आग्रह किया
डीजीसीए ने कहा हम विमानन कंपनी और पायलटों के बीच रोजगार समझौते में हस्तक्षेप नहीं कर सकते
राज एक्सप्रेस। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया है कि वह विद्रोही पायलटों और ‘आकासा एयर’ के बीच विवाद समझौते में हस्तक्षेप नहीं कर सकता। आकासा एयर ने नोटिस पीरियड पूरा किए बिना इस्तीफा देने वाले 43 पायलटों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। डीजीसीए ने कहा कि यह संबंधित पक्षों के हित में होगा कि याचिकाकर्ता कंपनी ‘आकासा एयर’ उड़ानों का संचालन बरकरार रखने के लिए जरूरी संख्या में पायलट नहीं होने पर सीमित संचालन बनाए रखने संबंधी डीजीसीए के आदेश का पालन करे।
डीजीसीए ने नई एयरलाइन कंपनी ‘अकासा एयर’ की एक याचिका के जवाब में यह बात कही। आकासा एयर की याचिका में कहा गया है कि अनिवार्य नोटिस पीरियड पूरा किए बिना अचानक 43 पायलटों के इस्तीफा देने से कंपनी संकट की स्थिति में आ गई है। जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने 19 सितंबर को कंपनी की याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था और सभी संबंधित पक्षों से अपनी लिखित दलीलें दाखिल करने को कहा था। विमानन कंपनी और उसके सीईओ विनय दुबे ने 14 सितंबर को हाईकोर्ट में याचिका दायर कर डीजीसीए को गैर-जिम्मेदाराना कार्यों के लिए इन पायलटों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।
डीजीसीए ने अपने जवाब में स्पष्ट किया थी कि उसके पास हवाईअड्डा संचालकों, एयरलाइन संचालकों या किसी अन्य हितधारकों के संबंध में किसी भी रोजगार अनुबंध और निर्णयों में हस्तक्षेप करने की कोई शक्ति या अधिकार नहीं है। डीजीसीए ने अदालत से आकासा एयर की याचिका को जुर्माना लगाकर खारिज करने का आग्रह करते हुए कहा कि डीजीसीए एयरलाइन और पायलट के बीच रोजगार समझौते में हस्तक्षेप नहीं कर सकता, जिसमें पायलटों की बर्खास्तगी का मामला शामिल है।
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