PNB से धोखा, एक्स मारुति टॉप ऑफिशियल CBI जांच की जद में!

“बैंक की शिकायत में पांच अभियुक्तों का उल्लेख है, जिसमें तीन गारंटर कंपनियां- खट्टर ऑटो इंडिया Pvt. Ltd, कार्नेशन रियल्टी Pvt. Ltd और कार्नेशन इंश्योरेंस ब्रोकिंग कंपनी Pvt. Ltd शामिल हैं।”
एक्स मारुति टॉप ऑफिशियल CBI जांच की जद में
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हाइलाइट्स :

  • मारुति का पूर्व अधिकारी खट्टर जांच की जद में

  • 110 करोड़ रुपयों की कथित धोखाधड़ी का आरोप

  • बैंक ने सीबीआई से की बड़े फ्रॉड की शिकायत

राज एक्सप्रेस। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने मारुति उद्योग के पूर्व निदेशक (एमडी) जगदीश खट्टर को उनकी नई कंपनी द्वारा 110 करोड़ रुपये के कथित बैंक ऋण धोखाधड़ी की जांच के लिए पहरे में लिया है। अधिकारियों ने मंगलवार को इस बारे में जानकारी दी।

110 करोड़ का फटका-

पीटीआई के मुताबिक अपनी पहली सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) में, एजेंसी ने जाहिर तौर पर खट्टर और उनकी कंपनी कार्नेशन ऑटो इंडिया लिमिटेड को पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) को 110 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने के लिए जांच की जद में लिया है।

खट्टर का मारुति के संग साथ 1993 से 2007 तक रहा। सेवानिवृत्ति के वक्त खट्टर मारुति कंपनी में एमडी थे।

रिटायरमेंट के बाद कार्नेशन-

एफआईआर के मुताबिक सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने (खट्टर) कार्नेशन की शुरुआत की। इस नई शुरुआत के बाद खट्टर ने 170 करोड़ रुपयों के लोन के लिए आवेदन किया था जो कि खट्टर को साल 2009 में स्वीकृत हुआ। एफआईआर के मुताबिक साल 2015 में ऋण को वर्ष 2012 से प्रभावी होने के साथ गैर निष्पादित परिसंपत्ति घोषित किया गया।

अधिकारियों ने कहा कि, एजेंसी ने पंजाब नेशनल बैंक की शिकायत के आधार पर आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी से संबंधित आईपीसी की धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की है।

बिना अनुमति बेचा -

सीबीआई की एफआईआर में खट्टर पर आरोप है कि खट्टर और उनकी कंपनी ने बेईमानी और धोखे से माल बैंक को अंधेरे में रखकर बिना बैंक की अनुमति के बेच दिया और साथ ही उन फंड्स को कूटनीतिक रूप से तितर-बितर कर दिया। बैंक ने शिकायत की है कि, खट्टर की इस धोखाधड़ी से ट्रस्ट के नियमों का आपराधिक उल्लंघन हुआ और धोखा भी।

करोड़ों की चपत-

इस छल से बैंक को बेजा नुकसान हुआ और खट्टर और उनकी कंपनी को फायदा हुआ। बताया गया कि, बैंक ने फॉरेंसिक ऑडिट किया, जिसमें पता चला था कि, 66.92 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियां बिना उसकी मंजूरी के 4.55 करोड़ रुपये में बेची गईं।

झोंकी धूल-

खट्टर पर विक्रय से मिलने वाली रकम को बैंक में जमा करने के बजाए धोखाधड़ी करते हुए, हजम करने का आरोप लगा है। साथ ही लगातार धूल झोंककर लोन और अग्रिम की रकम को अपनी नई कंपनी की सहायक कंपनियों में बढ़वाता गया।

प्राथमिकी में कहा गया है कि, खट्टर ने बैंक के धन का गलत इस्तेमाल किया और धन का अपने पास धोखाधड़ी करके गलत संग्रह किया।

बैंक की लिप्तता-

इस मामले में बैंक प्रबंधन भी जांच की जद में आ रहा है। इतने बड़े घोटाले की बैंक को इतने सालों तक भनक नहीं लगी और खट्टर इतने घालमेल करता रहा यह सब जांच प्रक्रिया का हिस्सा होगा।

मासिक सत्यापन नहीं-

उजागर हुआ है कि, बैंक प्रबंधन ने कथित तौर पर स्टॉक्स का अनिवार्य मासिक सत्यापन नहीं किया। लंबे समय से न तो पूछा गया और न ही देनदारों/लेनदारों की किसी तरह की पड़ताल हुई। हालांकि एफआईआर से संकेत मिल रहे हैं कि, बैंक प्रबंधन की भूमिका भी संदेह के घेरे में होगी।

बैंक ने बताए 5 नाम-

बैंक ने अपनी शिकायत में पांच अभियुक्तों का उल्लेख किया था, जिसमें तीन गारंटर कंपनियां- खट्टर ऑटो इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, कार्नेशन रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड और कार्नेशन इंश्योरेंस ब्रोकिंग कंपनी प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं। जांच के दौरान इन नामों की प्रत्यक्ष भूमिका नहीं रहेगी। हालांकि एजेंसी ने संकेत दिए हैं कि, जांच में जरूरी होने पर नामजद दोषियों की भूमिका का भी पता लगाया जाएगा।

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