केंद्र ने आधी की राज्य के स्वामित्व वाली ईंधन विक्रेता कंपनियों की इक्विटी निवेश की धनराशि

वित्त मंत्रालय ने ऊर्जा परिवर्तन परियोजनाओं में निवेश का समर्थन करने के लिए खुदरा तेल विक्रेता कंपनियों के इक्विटी निवेश की राशि को आधा कर दिया है।
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हाईलाइट्स

  • तेल कंपनियों के लिए निर्धारित की गई थी 30,000 करोड़ इक्विटी निवेश राशि

  • ऊर्जा परिवर्तन परियोजनाओं में निवेश की वजह से इसे 15000 करोड़ किया गया

  • मैंगलोर व विशाखापत्तनम में 5,000 करोड़ से भूमिगत भंडारण की योजना स्थगित

राज एक्सप्रेस। वित्त मंत्रालय ने कहा है कि सरकार ने ऊर्जा परिवर्तन परियोजनाओं में उनके निवेश का समर्थन करने के लिए राज्य के स्वामित्व वाले ईंधन खुदरा विक्रेताओं में इक्विटी निवेश की राशि को आधा कर 15,000 करोड़ रुपये कर दिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले साल एक फरवरी को पेश किए गए 2023-24 के लिए वार्षिक बजट पेश करते हुए इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) और में 30,000 करोड़ रुपये के इक्विटी निवेश की घोषणा की थी।

हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) तीन राज्य स्वामित्व वाली कंपनियों की ऊर्जा परिवर्तन योजनाओं का समर्थन करेगी। उन्होंने कर्नाटक के मैंगलोर और आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में रणनीतिक भूमिगत भंडारण के लिए कच्चा तेल खरीदने के लिए 5,000 करोड़ रुपये का भी प्रस्ताव किया था। यह भूमिगत तेल भंडारण किसी आपूर्ति संबंधी व्यवधान से बचाने के लिए तात्कालिक प्रबंध के रूप में स्थापित करने की योजना बनाई गई है।

वित्त मंत्रालय ने कहा तेल बाजारों में उभरते रुझानों को देखते हुए उस योजना को भी स्थगित कर दिया गया है। जबकि राज्यों के स्वामित्व वाली अन्य तेल कंपनियों जैसे तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) और गेल (इंडिया) लिमिटेड ने भी शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन हासिल करने के लिए अरबों डॉलर का निवेश किया है, इक्विटी समर्थन तीन ईंधन खुदरा विक्रेताओं तक सीमित था। जिन्हें 2022 में भारी नुकसान हुआ था, जब उन्होंने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के बावजूद खुदरा पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस (एलपीजी) की कीमतें बरकरार रखने का निर्णय लिया गया था।

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