तेल कंपनियों को प्रति टन 6800 रु. की जगह 9600 रु. देने होंगे
विंडफाल टैक्स की बढ़ी हुई दरें आज 16 अप्रैल से ही हो गई हैं प्रभावी
इससे पहले 4 अप्रैल को भी की गई थी विंडफाल टैक्स में बढ़ोतरी
राज एक्सप्रेस। केंद्र सरकार ने कच्चे तेल के मूल्य पर लगने वाले विंडफाल टैक्स या स्पेशल एडीशन एक्साइज ड्यूटी को 41 फीसदी बढ़ा दिया है। तेल कंपनियों को अब इस पर प्रति टन 6800 रुपये की बजाय 9600 रुपये का भुगतान करना होगा। Windfall Tax की बढ़ी हुई दरें आज 16 अप्रैल से ही प्रभावी हो गई हैं। बता दें कि इससे पहले 4 अप्रैल को यह टैक्स 4900 रुपये प्रति टन से बढ़ाकर 9600 रुपये प्रति टन कर दिया गया था।
इस प्रकार केंद्र सरकार ने अप्रैल माह में लगातार दो बार में विंडफाल टैक्स में 96 फीसदी की बढ़ोतरी की है। बढ़ोतरी केवल विंडफाल टैक्स के मामले में ही की गई है। डीजल, पेट्रोल और एविएशन टर्बाईन फ्यूल (एटीएफ) यानी हवाई ईंधन पर इसकी दर जीरो बनी हुई है। इनमें किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है।
Windfall Tax क्या होता है विंडफाल टैक्स ? यदि वैश्विक स्तर पर बेंचमार्क क्रूड के भाव प्रति बैरल 75 डॉलर से ऊपर पहुंच जाते हैं, तो घरेलू स्तर पर कच्चे तेल पर विंडफाल टैक्स लगाया जाता है। वहीं डीजल, एटीएफ और पेट्रोल के निर्यात पर तब यह कर लगाया जाता है, जब मार्जिन या प्रोडक्ट क्रैक्स प्रति बैरल 20 डॉलर से ऊपर निकल जाता है। इसका मतलब यह हुआ कि प्रोडक्ट क्रैक या मार्जिन कच्चे तेल और तैयार पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स के भाव के अंतर को कहते हैं।
Windfall Tax भारत में पहली बार एक जुलाई 2022 में लगाया गया था। भारत अब उन देशों में शामिल हो गया है, जहां एनर्जी कंपनियों के सामान्य से अधिक मुनाफे पर टैक्स लगाया जाता है। उस समय, पेट्रोल और एटीएफ पर 6-6 रुपए प्रति लीटर (12 डॉलर प्रति बैरल) और डीजल पर 13 रुपए प्रति लीटर (26 डॉलर प्रति बैरल) का निर्यात शुल्क लगाया गया था। इसकी दरों को पिछले दो सप्ताह में तेल की औसत कीमतों के आधार पर हर दो हफ्ते पर समीक्षा की जाती है।
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