वायु प्रदूषण रोकने को 5 सालों में BS-VI व CAFE-III मानक लागू करेगी केंद्र सरकार

Air Pollution : वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने पांच सालों में BS-VI और CAFE-III मानक लागू करेगी।
वायु प्रदूषण रोकने को 5 सालों में BS-VI व CAFE-III मानक लागू करेगी केंद्र सरकार
वायु प्रदूषण रोकने को 5 सालों में BS-VI व CAFE-III मानक लागू करेगी केंद्र सरकारRaj Express

हाईलाइट्स

  • BS-VI और CAFE-III लागू करना केंद्र के अगले 5 सालों के रोडमैप का हिस्सा

  • भारत स्टेज उत्सर्जन मानक BS-VI और CAFE-III यूरो-7 मानक के अनुरूप

  • योजना लागू होने से वाहनों की ईंधन दक्षता के साथ उत्सर्जन में भी आएगी कमी

राज एक्सप्रेस। वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण से निपटने के लिए केंद्र सरकार अगले पांच सालों में भारत स्टेज उत्सर्जन मानक BS-VI और कॉर्पोरेट एवरेज फ्यूल एफिशिएंसी यानी CAFE-III मानकों को लागू करेगी। 5 सालों में BS-VI व CAFE-III मानक लागू करना केंद्र सरकार के रोडमैप का हिस्सा है। 5 सालों में BS-VI व CAFE-III मानक लागू किए जाएंगे जो यूरो-7 मानकों के अनुरूप हैं। 5 सालों में BS-VI व CAFE-III मानक लागू होने से वाहनों की ईंधन दक्षता के साथ-साथ कार्बजन उत्सर्जन में भी कमी देखने को मिलेगी। केंद्र सरकार ने इस योजना पर शुरुआती काम शुरू कर दिया है। सड़क परिवहन मंत्रालय ने हितधारकों के साथ बीएस-VII मानकों की रूपरेखा पर चर्चा शुरू कर दी है।

केंद्र ने योजना पर शुरू किया शुरुआती काम

 केंद्र सरकार ने इस योजना पर शुरुआती काम शुरू कर दिया है। बता दें कि भारत स्टेज (बीएस) मानक भारत में वाहनों के लिए यूरोप भर में लागू होने वाले 'यूरो' उत्सर्जन मानकों के समान ही हैं। यूरोपीय आयोग ने जुलाई 2025 से कारों के लिए और 2027 से बसों और लॉरी के लिए यूरो-7 मानकों को लागू करने का प्रस्ताव किया है। भारत को भी दो कारणों से ऐसे मानकों को लागू करने की जरूरत है। पहला कारण किसी भी तरह वायु प्रदूषण को रोकना है, ताकि लगातार बढ़ रहे वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाया जा सके।

यूरोपीय मानकों के अनुरूप बनाने होंगे वाहन

दूसरा कारण यह है कि अगर भारत मेक इन इंडिया वाहनों के यूरोपीय देशों में निर्यात करना चाहता है, तो उसे यूरोपीय देशों के उत्सर्जन मानकों के अनुरूप वाहन तैयार करने होंगे। BS मानक यूरोपीय नियमों पर आधारित हैं। अलग-अलग देशों में मानक अलग-अलग होते हैं। अगर कोई देश इन देशों में वाहनों का निर्यात करना चाहता है तो उसे उसके मानकों के अनुरूप वाहन तैयार करने होंगे। नए उत्सर्जन मानकों को देश में लागू करने के लिए तेल कंपनियों के साथ समन्वय की जरूरत होगी, जिन्हें ईंधन की गुणवत्ता को उन्नत करना जरूरी है। इसमें वाहन उद्योग का सहयोग भी चाहिए होगा, जो आमतौर पर अब तक ऐसे बदलावों का विरोध करता रहा है। इन बदलावों के लिए बड़े स्तर पर निवेश करने की जरूरत पड़ेगी।

सड़क परिवहन मंत्रालय ने इस पर शुरू की चर्चा

सड़क परिवहन मंत्रालय ने हितधारकों के साथ बीएस-VII मानकों की रूपरेखा पर चर्चा शुरू कर दी है। सड़क परिवहन मंत्रालय यह भी देख रहा है कि यूरो-7 कैसे अंतिम रूप लेता है। पिछले साल, परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने वाहन उद्योग से BS-VI अनुकूल वाहनों के लिए तैयारी शुरू करने और सरकारी दबाव की प्रतीक्षा न करने का आग्रह किया था। इस मौके पर यह याद दिलाना जरूरी है कि सरकार को 2020 से BS-VI मानदंडों का पालन करने के लिए सीमा निर्धारित करनी पड़ी थी।

वाहन निर्माताओं के पूरे बेड़े पर लगता है CAFE

CAFE वाहन निर्माताओं के पूरे बेड़े पर लगाया जाता है और यह एक वित्तीय वर्ष में उसके सभी वाहनों द्वारा उत्पादित कार्बन डाइऑक्साइड के कुल उत्सर्जन पर निर्धारित सीमा है। ये मानक निर्माताओं को अधिक ईंधन-कुशल कारें बनाने के लिए बाध्य करते हैं, जो कम उत्सर्जन करती हैं। साथ ही ईंधन दक्षता भी बढ़ाती हैं। 2018 में अधिसूचित CAFE मानकों को दो लक्ष्य चरणों को ध्यान में रखते हुए लागू किया गया है।

ईवी की पैठ बढ़ाने में मदद करेगी यह पहल

CAFE मानकों के पहले चरण में 2022-23 तक 130 ग्राम/किमी का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके बाद 2022-23 के बाद 113 ग्राम/किमी का CO2 उत्सर्जन लक्ष्य तय किया गया है। माना जा रहा है कि सख्त उत्सर्जन मानकों और कॉर्पोरेट एवरेज फ्यूल एफिशिएंसी यानी CAFE-III मानकों को लागू करने से देश में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की पैठ बढ़ाने में मदद मिलने की उम्मीद है। उल्लेखनीय है कि भारत के ऊर्जा-संबंधित CO2 उत्सर्जन में सड़क परिवहन क्षेत्र का हिस्सा 12% से अधिक है। शहरी क्षेत्रों में होने वाले वायु प्रदूषण में इसका सबसे अधिक योगदान है।

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