सिटी बैंक ने की बैंकिंग इतिहास की सबसे बड़ी गलती, गंवाने पड़ गए 3650 करोड़

अमेरिका के सिटी बैंक को अपनी ही एक गलती के कारण 3,650 करोड़ रुपये गंवाने पड़ गए। बता दें, बैंक की यह गलती बैंकिंग इतिहास में अब तक की हुई ऐसी सबसे बड़ी गलती है।
सिटी बैंक ने की बैंकिंग इतिहास की सबसे बड़ी गलती, गंवाने पड़ गए 3650 करोड़
सिटी बैंक ने की बैंकिंग इतिहास की सबसे बड़ी गलती, गंवाने पड़ गए 3650 करोड़ Syed Dabeer Hussain - RE

अमेरिका। कई बार बैंकों से ऐसी गलती हो जाती है। जिसके कारण बैंक को अपने ही पैसे गंवाने पड़ते हैं। ऐसा ही कुछ हुआ अमेरिका के सिटी बैंक के साथ। जी हां, अमेरिका के सिटी बैंक को अपनी ही एक गलती के कारण 3,650 करोड़ रुपये गंवाने पड़ गए। बता दें, बैंक की यह गलती बैंकिंग इतिहास में अब तक कि हुई ऐसी सबसे बड़ी गलती है। इस गलती के कारण ही सिटीबैंक गवाए हुए 3650 करोड़ रुपये वापस नही वसूल सकता।

क्या है मामला :

दरअसल, सिटी बैंक से जुड़ा यह मामला पिछले वर्ष 2020 के अगस्त का है। मामले के तहत सिटी बैंक को कास्मेटिक कंपनी रेवलॉन के ऋणदाताओं को लगभग 58 करोड़ रुपये ब्याज के रूप में देने थे, किन्तु तकनीकी गलती के चलते सिटीबैंक ने ऋणदाताओं के खाते में लगभग 10 गुना से भी अधिक रकम '6554 करोड़ रुपए' (करीब 900 डॉलर) डाल दिये। जिसके बाद कुछ ऋणदाताओं ने बैंक को पैसे लौटा दिए, परंतु इनमें कुछ ऋणदाता ऐसे भी थे, जिन्होंने बैंक को पैसे नही लौटाए यह रकम लगभग '3650 करोड़' (करीब 50 करोड़ डॉलर) के आस पास है। जिसके चलते मजबूरन सिटीबैंक को अमेरिका की कोर्ट में जाना पड़ा। इस मामले में अमेरिका की कोर्ट का भी कहना यही है कि, बैंक बचे शेष पैसे बैंक वापस नही वसूल सकता।

कोर्ट के फैसले से बैंक को लगा करोड़ों का झटका :

इस मामले पर अमेरिका की कोर्ट में जब सुनवाई हुई तो, अमेरिका के जज ने फैसला सुनते हुए कहा कि, 'ऋणदाता बैंक को चाहे तो पैसा नहीं लौटाए यह उनका अधिकार है। यह बैंक की गलती है जो, उन्होंने उनके खाते में यह रकम डाली। बैंक बची शेष रकम ग्राहकों से नहीं वसूल कर सकता।'

न्यूयॉर्क के इस नियम के चलते दिया गया यह फैसला :

बताते चलें, न्यूयॉर्क में ऐसे मामलों के लिए अलग कानून बनाया गया है जिसको "डिस्चार्ज फॉर वैल्यू डिफेंस" कहते हैं। इस कानून के अंदर अगर लाभार्थी किसी रकम का लेनदार है और बैंक ने गलती से उसे ज़्यादा रकम दे दी हो तब वो बैंक की दी हुई रकम रख सकता है। उसे बैंक रकम लौटने के लिए मजबूर नहीं कर सकता। ऐसे मामलों में पूरा फैसला ग्राहक के हाथ में रहता है वह रकम लौटाए या नहीं। इस मामले में भी उन ग्राहकों ने (जिन्होंने पैसा वापस नहीं किया) कोर्ट में यह ही दलील पेश की थी कि, उनको लगा बैंक उनकी रकम लौटा रहा है। इसके बाद ही कोर्ट ने ऐसा फैसला सुनाया और सिटी बैंक को हज़ारों करोड़ों का चूना लग गया।

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